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Monday, September 11, 2023

जी20 से दुनिया और भारत को क्या हासिल हुआ

#TheUdai News - 29 
11 सितम्बर 2023
✍दिलीप कुमार उदय
 
जी20 से दुनिया और भारत को क्या हासिल हुआ ?? 

अगले विश्व गुरु लूला जी!! 

 "महात्मा गांधी को जी20 के ग्लोबल नेताओं ने दी श्रदांजलि" 

 "जी20 बजट 900 करोड़, खर्च  किये 4100 करोड़ से ज्यादा" 

 "न करूंगा, न करने दूंगा"

इस G20 शिखर सम्मेलन की मुख्य बातें - 
One Earth. एक पृथ्वी 
One Family. एक परिवार 
One Future.  एक भविष्य 

जी20 सदस्यों द्वारा दिल्ली घोषणा पत्र को स्वीकार एवं समर्थन से भारत के लिए यह एक कूटनीतिक जीत एवं  बड़ी कामयाबी की तर्ज पर देखा जा सकता हे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा को अपनाने की सराहना की है और उनके समर्थन और सहयोग के लिए सभी साथी जी20 सदस्यों के प्रति आभार व्यक्त किया है।

लचीले बुनियादी ढांचे का निर्माण, गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे में निवेश, और एक बेहतर भविष्य बनाना जो सभी के लिए अधिक अवसर, सम्मान और समृद्धि का प्रतिनिधित्व करे।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने जी20 सदस्य देशों के नेताओं के साथ प्रतिष्ठित राजघाट पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने रेखांकित किया कि गांधी जी के शाश्वत आदर्श सामंजस्यपूर्ण, समावेशी और समृद्ध वैश्विक भविष्य के लिए सामूहिक दृष्टिकोण का मार्गदर्शन करते हैं।

विश्व गुरु फॉर्मूला
अब समझने वाली बात यह हे की भारत से पूर्व भी कई देशों ने जी20 की  मेजबानी की थी परन्तु भारत द्वारा की गई मेजबानी एवं कामयाबी को मुख्यधारा का मीडिया एवं पार्टी विशेष का आईटी सेल सत्ताधारी पार्टी की व्यक्तिगत कामयाबी मानकर पेश कर रहा है वही दूसरी तरफ इस जी 20 सम्मेलन को लेकर विपक्ष सरकार की आलोचना करके सवाल भी दाग रहा है 

मोदी जी को विश्व गुरु बताकर पार्टी प्रचार प्रसार किया जा रहा हे जबकि G20 शिखर सम्मेलन प्रतिवर्ष एक क्रमिक अध्यक्षता में आयोजित किया जाता है, तो उसके अनुरूप अगली क्रमिक जी 20 की अध्यक्षता की जिम्मेदारी ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला दा सिल्वा को सौंपी गई है तो फिर अगले  *विश्व गुरु लूला जी होंगे!!*

प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी के साथ जी20 के ग्लोबल नेताओं ने महात्मा गांधी को श्रदांजलि एवं श्रदा सुमन अर्पित करके गाँधी के खिलाफ विपरीत विचारधारा रखने वाले तमाम लोगो को बता दिया हे की  गांधी की विरासत एवं विचारधारा का जलवा बरकरार रहेगा

प्रधान मंत्री का एक्स पर पोस्ट : 

“प्रतिष्ठित राजघाट पर, जी20 परिवार ने शांति, सेवा, करुणा और अहिंसा के प्रतीक महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की। जैसे-जैसे विविध राष्ट्र एकजुट हो रहे हैं, गांधी जी के शाश्वत आदर्श सामंजस्यपूर्ण, समावेशी और समृद्ध वैश्विक भविष्य के लिए हमारी सामूहिक दृष्टि का मार्गदर्शन करते हैं।''

राष्ट्रपति बाइडेन का एक्स पर पोस्ट:
आज राजघाट स्मारक पर जाना और अपने साथी जी20 नेताओं के साथ पुष्पांजलि अर्पित करना सम्मान की बात थी। महात्मा गांधी का अहिंसा, सम्मान और सत्य का संदेश आज पहले से कहीं अधिक मायने रखता है - यह दुनिया को प्रेरित करता रहे और हमारे देशों के बीच बंधन का आधार बने

जी20 बजट 900 करोड़, खर्च  किये 4100 करोड़ से ज्यादा
मीडिया में प्रकाशित सूत्र - सरकारी रिकॉर्ड अनुसार, 9-10 सितंबर को हुए इस जी 20 समिट में 4,100 करोड़ रुपये से अधिक का खर्चा हुआ है। रिकॉर्ड्स के अनुसार इन खर्चों को मोटे तौर पर करीब 12 कैटेगरीज में बांटा गया है। साल 2023-24 के बजट में जी20 सम्मेलन की अध्यक्षता के लिए 990 करोड़ रुपये आवंटित किये गए थे।

 'न करूंगा, न करने दूंगा'
 वियतनाम में बाइडेन के संबोधन के बाद जयराम रमेश का प्रधानमंत्री पर तंज 

जी20 शिखर सम्मेलन में शामिल होने के बाद वियतनाम पहुंचे अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने मीडिया सम्बोधन में जिक्र किया की मैंने पीएम मोदी से मानवाधिकारों के सम्मान, स्वतंत्र प्रेस की महत्वपूर्ण भूमिका एवं समृद्ध देश के विकास में नागरिक संस्थाओं के महत्व को लेकर चर्चा की हे इसी बयान को लेकर जयराम रमेश ने (ट्विटर) एक्स' पर प्रधानमंत्री  पर तंज कसकर कहा  की 'न करूंगा, न करने दूंगा'

(भारत ने प्रोटोकॉल तय किये थे उसके अनुसार राष्ट्रपति बाइडेन के साथ आये पत्रकार राष्ट्रपति बाइडेन एवं प्रधानमंत्री मोदी से प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिये सवाल नही पूछ पायेंगे)

धन्यवाद🙏🙏

Dilip Kumar Udai
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Sunday, September 10, 2023

जी-20 क्या है ?

 #TheUdai - 28 
10 सितम्बर 2023
✍दिलीप कुमार उदय

जी-20 क्या है ?

G20 - ग्रुप ऑफ ट्वेंटी (G20) अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग का प्रमुख मंच है। यह सभी प्रमुख अंतरराष्ट्रीय आर्थिक मुद्दों पर वैश्विक संरचना और अधिशासन निर्धारित करने तथा उसे मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

इंडिया अर्थात भारत 1 दिसंबर 2022 से 30 नवंबर 2023 तक G20 की अध्यक्षता करेगा।

G20 की स्थापना

G20 की स्थापना 1999 में एशियाई वित्तीय संकट के बाद वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों के लिए वैश्विक आर्थिक और वित्तीय मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक मंच के रूप में की गई थी। 2007 के वैश्विक आर्थिक और वित्तीय संकट के मद्देनजर G20 को राष्ट्राध्यक्षों/शासनाध्यक्षों के स्तर तक उन्नत किया गया था, और 2009 में इसे "अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग हेतु प्रमुख मंच" के रूप में नामित किया गया था।

G20 शिखर सम्मेलन प्रतिवर्ष एक क्रमिक अध्यक्षता में आयोजित किया जाता है। 

शुरुआत में G20 व्यापक आर्थिक मुद्दों पर केंद्रित था, परंतु बाद में इसके एजेंडे में विस्तार करते हुए इसमें अन्य बातों के साथ व्यापार, जलवायु परिवर्तन, सतत विकास, स्वास्थ्य, कृषि, ऊर्जा, पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और भ्रष्टाचार-विरोध शामिल किया गया। 

G20 के सदस्य

ग्रुप ऑफ ट्वेंटी (G20) में 19 देश (अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किये, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका) और यूरोपीय संघ शामिल हैं। G20 सदस्य देशों में वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 85%, वैश्विक व्यापार का 75% से अधिक और विश्व की लगभग दो-तिहाई आबादी है।

अतिथि देश : 

बांग्लादेश, ईजिप्ट ,मॉरिशस, नीदरलैंड, नाइजीरिया, ओमान, सिंगापुर, स्पेन, संयुक्त अरब अमीरात

आमंत्रित अंतर्राष्ट्रीय संगठन : 

नियमित अंतर्राष्ट्रीय संगठनों (यूएन, आईएमएफ, डब्ल्यूबी, डब्ल्यूएचओ, डब्ल्यूटीओ, आईएलओ, एफएसबी और ओईसीडी) और क्षेत्रीय संगठनों (एयू, एयूडीए-एनईपीएडी और आसियान) की पीठों के अतिरिक्त G20 के अध्यक्ष के रूप में भारत द्वारा आईएसए, सीडीआरआई और एडीबी को अतिथि अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के रूप में आमंत्रित किया जाएगा।

G20 की कार्यशैली 

G20 अध्यक्षता के तहत एक वर्ष के लिए G20 एजेंडा का संचालन किया जाता है और शिखर सम्मेलन का आयोजन किया जाता है। 

G20 में दो समानांतर ट्रैक होते हैं: वित्त ट्रैक और शेरपा ट्रैक। वित्त मंत्री और सेंट्रल बैंक के गवर्नर वित्त ट्रैक का नेतृत्व करते हैं जबकि शेरपा ट्रैक का नेतृत्व शेरपा करते हैं।

शेरपा पक्ष की ओर से G20 प्रक्रिया का समन्वय सदस्य देशों के शेरपाओं द्वारा किया जाता है, जो नेताओं के निजी प्रतिनिधि होते हैं। वित्त ट्रैक का नेतृत्व सदस्य देशों के वित्त मंत्री और सेंट्रल बैंक गवर्नर करते हैं। दो ट्रैक के भीतर, विषयगत रूप से उन्मुख कार्य समूह हैं जिनमें सदस्यों के संबंधित मंत्रालयों के साथ-साथ आमंत्रित/अतिथि देशों और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधि भाग लेते हैं (वित्त ट्रैक मुख्य रूप से वित्त मंत्रालय के नेतृत्व में है)। ये कार्य समूह प्रत्येक अध्यक्षता के पूरे कार्यकाल में नियमित बैठकें करते हैं। शेरपा वर्ष के दौरान हुई वार्ता का पर्यवेक्षण करते हैं, शिखर सम्मेलन के लिए एजेंडा आइटम पर चर्चा करते हैं और G20 के मूल कार्य का समन्वय करते हैं।

इसके अलावा, ऐसे सम्पर्क समूह हैं जो G20 देशों के नागरिक समाजों, सांसदों, विचार मचों, महिलाओं, युवाओं, श्रमिकों, व्यवसायों और शोधकर्ताओं को एक साथ लाते हैं।

इस समूह का कोई स्थायी सचिवालय नहीं है। इसकी अध्यक्षता ट्रोइका द्वारा समर्थित है - पिछला, वर्तमान और आने वाला अध्यक्षता। भारत की अध्यक्षता के दौरान, ट्रोइका में क्रमशः इंडोनेशिया, भारत और ब्राजील शामिल होंगे

लेख सामग्री साभार : G20 ऑर्गेनाइजेशन

धन्यवाद🙏🙏

Dilip Kumar Udai
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Saturday, September 9, 2023

असल मुद्दे बनाम ध्यान भटकाऊ रणनीतिक मुद्दे

 #TheUdai - 27

10 सितम्बर 2023

✍दिलीप कुमार उदय

व्यंग्यात्मक अल्फाज प्रस्तुत है :-

देश के असल मुद्दे बनाम ध्यान भटकाऊ रणनीतिक मुद्दे

सभी को विदित है की देश के असल मुद्दे क्या है!!!

फिर भी राजनीति करने वाले देश की जनता को बगला कर मुख्य मुद्दों से ध्यान हटाकर सिर्फ और सिर्फ ऐसे मुद्दों पर लाकर खड़ा कर देती है जो देश के नागरिकों को बांटने का कार्य बखूबी कर देती है। राजनीतिक पार्टियों को बहुत ही शानदार तजुर्बा और अनुभव है इनके पास विवादित मुद्दों की पूरी खान है कि कब कोनसा किस समय क्या मुद्दा जनता के समक्ष पेश करना है, ताकि असल मुद्दों से ध्यान भटकाकर राजनीतिक लाभ अर्जित किये जा सके।

अभी हाल ही का नया विवादित मुद्दा  *इंडिया बनाम भारत*

देश के राजनीतिक गलियारों से लेकर चाय -चौपाल, तमाम मीडिया, घर परिवार तक एक बहस का मुद्दा बड़ी चालाकी से छोड़ दिया गया है। *इस मुद्दे को लेकर हकीकत में जैसा जनता सोच रही है प्रतिक्रिया कर रही है वैसा कुछ नही है। मुद्दे को सिर्फ चुनावी माहौल में जनता को बगलाने हेतु पेश किया जा रहा है। यह मुद्दा सिर्फ राजनीतिक नफे नुकसान के लिए ही लाया गया है, सत्ता हो या विपक्ष दोनों ही अपनी राजनीतिक रोटियां सेखने में निपुण है।*

देश के सत्ता पक्ष को पटखनी देने हेतु विपक्ष ने इंडिया (Indian National Developmental Inclusive Alliance - I.N.D.I.A) नाम का नया गठबंधन बनाकर देश की राजनीति में उथल पुथल मचाने की तैयारी युद्धस्तर पर की जा रही है।

क्योंकि जैसे ही देश के विपक्ष ने

इंडिया नाम से नया गठबंधन बनाया केंद्र के सत्ता पक्ष को अचानक *इंडिया बनाम भारत याद आ गया।*  संघ प्रमुख ने एक कार्यक्रम में कहाँ कि इंडिया की जगह भारत का नाम इस्तेमाल हो ,एक तरह से यह उनकी अपील थी ..... उसके उपरांत राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की ओर से जी-20 के रात्रिभोज निमंत्रण में  प्रेसिडेंट ऑफ़ इंडिया की जगह प्रेसिडेंट ऑफ़ भारत लिखा होने से लेकर चल रहे ज़ी -20 सम्मेलन तक में...इंडिया बनाम भारत करके मुद्दे को गर्म किया जा रहा है।

विपक्ष (इंडिया दल) आरोप मंढ रहे है कि केंद्र सरकार देश के नाम के तौर पर *इंडिया शब्द का इस्तेमाल बंद करके अब केवल भारत* कहे जाने की योजना पर  कार्य कर रही है।

उपरोक्त आरोप पर केंद्र सरकार हो या राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से आधिकारिक तौर पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

असल मे पिछले 9 वर्षों में कई योजनाएं इंडिया नाम से केंद्र ने चलाई है .....उसी पर तंज कसते हुए कांग्रेस कार्य समिति (CWC) के सदस्य *गुरदीप सप्पल*  ने ट्वीट (अब X) किया है........

मोदी सरकार की दो सौ से ज़्यादा योजनाएँ चल रही हैं। इनमें से:

*52* योजनाओं का नाम इण्डिया पर है

*22* योजनाओं का नाम प्रधानमंत्री पर है 

और सिर्फ़ *5* योजनाओं का नाम भारत पर है।

ये भारत प्रेम नया नया ही है, INDIA गठबंधन से डर कर है।

*मायावती (BSP) ने कहा* : 

भारत बनाम इंडिया में बीजेपी ने गरीबी, महंगाई, बेरोजगारी और विकास के जरूरी मुद्दों को दरकिनार कर दिया है। इसलिए BSP पार्टी... इन जातिवादी, सांप्रदायिक एवं पूंजीवादी गठबंधनो से दूरी बनाए रखना सही समझती है।

*बीजेपी सांसद सुशील मोदी ने कहा*  संविधान में भारत और इंडिया दोनों है, अगर 75 सालों से भारत को इंडिया लिखा गया है तो प्रेसिडेंट ऑफ भारत लिखने में क्या आपत्ति है? हम "भारत माता की जय" बोलते हैं। विपक्ष यदि "इंडिया माता की जय" बोलना चाहे तो बोले।

*अरविंद केजरीवाल ने कहा*  देश 140 करोड लोगों का है किसी एक पार्टी का देश नही है अगर मान लीजिए कल को  इंडिया एलाइंस ने अपना नाम परिवर्तन करके यदि भारत रख लिया तो फिर BJP भारत का नाम भी बदल देंगें ? फिर क्या भारत का नाम बीजेपी रखेंगे!

*कांग्रेस के जयराम रमेश* ने कहा इंडिया शाइनिंग का नारा BJP लेकर आई थी। डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, न्यू इंडिया ऐसे कई चीजे है उसके जवाब में कांग्रेस ने *भारत जोड़ो यात्रा शुरू की।*

*गौरव गोगई* ने कहा इसरो,आईआईटी, आईआईएम, 

आईएस,आईपीएस आदि इन सभी मे आई का मतलब इंडिया ही है BJP सरकार इंडिया गठबंधन से इतना डर गई है कि बेबुनियाद काम कर रही है।

*राहुल गांधी* ने कहा कि : दिलचस्प बात है, हम जब भी अडानी पर सवाल उठाते हैं, मोदी जी एक नया ‘distraction’ ले आते हैं।

'INDIA या भारत' भी एक ऐसा ही मुद्दा है।

अब सबसे दिलचस्प तथ्य यह है कि...*2004 में जब 'भारत' नाम का भाजपा ने विरोध किया था!*

मुलायम सिंह यादव की कैबिनेट ने एक प्रस्ताव पारित किया कि संविधान में संशोधन करके 'इंडिया, दैट इज़ भारत' की जगह 'भारत, दैट इज़ इंडिया' लिखा जाना चाहिए। तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने फिर यह प्रस्ताव राज्य विधान सभा में रखा, *भाजपा को छोड़कर सभी ने इसे स्वीकार कर लिया।* भाजपा ने प्रस्ताव पारित होने से पहले ही वॉकआउट कर दिया था।

वर्ष 2010 और 2012 में कांग्रेस के सांसद शांताराम नाइक ने इस मुद्दे पर दो प्राइवेट बिल पेश किए थे, इस बिल के जरिए उन्होंने *संविधान से इंडिया शब्द पूरी तरह से हटाने का प्रस्ताव रखा था।*

वर्ष *2015 में योगी आदित्यनाथ* भी इस मुद्दे पर प्राइवेट बिल पेश कर चुके हैं। इस बिल में उन्होंने *संविधान में ‘इंडिया, दैट इज भारत’ की जगह ‘इंडिया, दैट इज हिंदुस्तान’ करने का प्रस्ताव दिया था।*

*2015 में मोदी सरकार (BJP) ने किया था विरोध*

वर्ष 2015 में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर हुई. इसमें देश का नाम 'इंडिया' की बजाय सिर्फ 'भारत' किए जाने की मांग की गई थी। *तब (मोदी सरकार) केंद्र ने इस याचिका का विरोध किया था* नवंबर 2015 में केंद्र सरकार ने अपना जवाब देते हुए कहा था, *देश को 'इंडिया' की बजाय 'भारत' कहने की जरूरत नहीं है*

याचिका का विरोध करते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा था कि संविधान के प्रारूप के दौरान संविधान सभा में देश के नाम को लेकर लंबी बहस हो चुकी है और काफी विचार-विमर्श के बाद अनुच्छेद-1 को सर्वसम्मति से अपनाया गया था।

2016 एवं 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने 'इंडिया' का नाम बदलकर 'भारत' करने की याचिका को  दोनों बार यह पुष्टि करते हुए  खारिज कर दिया कि "भारत" और "इंडिया" दोनों का संविधान में उल्लेख है।

अंत मे संविधान में क्या लिखा है उसको भी जान लेते है :-

Article 1 Says "India, that is Bharat, shall be a Union of States." 

भारतीय संविधान के आर्टिकल 1 में लिखा है, 'इंडिया, दैट इज भारत' यूनियन ऑफ स्टेट्स.' 

इंडिया अर्थात भारत, राज्यों का एक संघ होगा

धन्यवाद🙏🙏

Dilip Kumar Udai
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Monday, August 28, 2023

विधायक (एमएलए) के दावेदार!!

 #TheUdai - 26
29 अगस्त 2023
✍दिलीप कुमार उदय
व्यंग्यात्मक अल्फाज प्रस्तुत है :-

विधायक (एमएलए) के दावेदार!!

कोन किस पार्टी से कर रहे है दावेदारी किसको मिलेगा टिकट आदि चर्चाओ का बाजार गर्म होने की कगार पर आ चुका है!!

विधानसभा के चुनाव की तारीख जैसे -जैसे नजदीक आ रही है वैसे वैसे विधायक बनने की तम्मना दिल मे संजोये रखने वाले एवं  राजनीति के क्षेत्र में अपना करियर चुनने एवं समाज सेवा करने की प्रबल इच्छा प्रकट करने वाले भावी विधायक एवं प्रत्याशीजनों को नमस्कार 🙏एवं अग्रिम शुभकामनाएं।😊💐

विधायक बनकर अपने क्षेत्र में विकास की गंगा बहाने का जज्बा रखने वाले ऐसे तमाम लोग विधायक बनने के प्रबल दावेदार है!! पर सोचनीय विषय यह है कि क्या दावेदार सिर्फ पूर्व विधायक, पूर्व में हारे हुए विधायक, हारे हुए पूर्व प्रत्याशी, खुद को शीर्ष नेता के दाएं हाथ- बाएं हाथ कहलवाने वाले, किसी जाति धर्म के विशेष नेता एवं स्वयंभू नेता या किसी पार्टी में विशेष पद पर विराजित लोग ही दावेदार हो सकते है?? कोई किसी पार्टी का समान्य सदस्य या आमजन यह सपना नही देख सकता ??😌😌

बेशक सपने देखने भी चाहिए और सपने को साकार करने के प्रयत्न भी करने चाहिए.......

पार्टीया टिकट नही देती है तो निर्दलीय के तोर पर भी प्रयास करने चाहिए। 

विधानसभा क्षेत्रो में जाति धर्म के बाहुल्य के तौर पर कब तक आमजन को गुमराह किया जाएगा..... फला जाति के इतने प्रतिशत वोट शेयर है तो प्रबल दावेदार फला जाति का ही होगा! यह मानसिकता आमजन के दिल दिमाग मे  बिठा दी गई है।

प्रत्याशी की योग्यता, व्यक्तित्व, संवैधानिक सोच एवं उसके विजन से ज्यादा उसकी जाति एवं उसके धर्म की बात की जाती है।

क्या किसी क्षेत्र में जाति विशेष के बाहुल्यता के अनुसार पार्टियां अपनी टिकट वितरण प्रणाली बनाती है ?? यदि ऐसा ही है तो पार्टियों में सिर्फ औपचारिकता वाली, नाममात्र वाली लोकतांत्रिक व्यवस्था है। 

क्या क्षेत्र विशेष किसी जाति धर्म की बापोती बन चुका है! साहब फला जाति के अलावा कोई नया चेहरा आ गया तो सीट तो गई ..... 

क्या पुराने चेहरों से सब खुश है!! नही तो फिर नए आने दो ना नए लोग आएंगे नया आयाम लिखेंगें, नया इतिहास बनायेंगे।

 लोगो द्वारा आम चर्चा में कहाँ जा रहा है......

अचानक से नए नए चेहरे होर्डिंग/बेनर के माध्यम से दिख रहे हैं सोशल मीडिया के द्वारा दिख रहे हैं। चुनावी मौसम आते ही बिलो से बाहर निकल रहे हैं तो भाई निकलने दो लोकतंत्र है, संवैधानिक देश है सबको हक है,अधिकार है, खुद को स्थापित करने का राजनीति में अपना दमखम दिखाने का भविष्य बनाने का...... अभी तो रेस में सब दौड़ सकते है दौड़ने दो क्या दिक्कत है। दावेदारों की बाढ़ आ रही है तो आने दो, बाढ़ नियंत्रण एवं प्रबंधन की व्यवस्था का जिम्मा पार्टियों का है वे कुशल प्रबंधन करना बखूबी जानते है।

नए चहरे तो चुनावी मौसम में ही आयेंगे , राजनीति की अखाड़े में कूदने आये तो कूदने दो जो पुराने है चुनावी मौसम से पूर्व से ही उछल कूद कर रहे है उन्होंने कोनसा तीर मार लिया ऐसी कोनसी विकास की गंगा बहा दी।

जनता को बगलाकर मुख्य मुद्दों को भटकाने के सिवा करते क्या है सिर्फ अपनी राजनीतिक रोटियां अलग अलग चूल्हों पर सेकते रहते है।

नया जमाना है नई सोच है तो नया सोचिए नया जरूर मिलेगा!

दावेदार युवा हो या वरिष्ठ, सोच नई होनी चाहिए, नई सोच होगी तो बेशक मजेदार और लाजवाब होगी।

अंततः यही कहूंगा जिसने पिछले 5 सालों में क्षेत्र में रहकर समाज सेवा में अग्रणी रहकर खून पसीना बहाया हो तन मन धन से समाज सेवा की हो वो प्रबल दावेदार होगा..... बिल्कुल नही जी......😉🤨🤨

पार्टियों में दावेदार वो होगा जो हाईकमान की नजर में प्रचंड वोट से जीत हासिल करने हेतु सारे साम दाम दंड भेद में निपुण हो ऐसे महानुभाव को आशीर्वाद प्रदान किया जायेगा।

इसलिए कभी कभी चुनावी मौसम के दिनों में बिल से निकलने वाले नए चेहरे भी सितम ढा सकते हैं।

उक्त लेख में प्रयुक्त विचार मेरे निजी है।

लेख पर प्रतिक्रिया दीजिये, लाइक एवं शेयर भी कीजिये।

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Friday, November 18, 2022

दिशा सूचक बोर्ड बन गए है- नेता सूचक बोर्ड

 #The Udai - 25
18 नवंबर 2022

✍️दिलीप कुमार उदय

व्यंग्यात्मक अल्फाज प्रस्तुत है :-

दिशा सूचक बोर्ड बन गए है- नेता सूचक  बोर्ड

(पुष्कर - 0 KM, जयपुर - 145 KM, ब्रह्मा मंदिर ---->> )  इस तरह से लिखे हुए दिशा सूचक बोर्ड पुष्कर के प्रमुख मार्गो पर स्थित है।

पुष्कर एक धार्मिक एवं अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल है जो सभी को विदित है सभी भली भांति जानते है परंतु यहाँ पर सभी प्रमुख मार्गों पर लगे हुए दिशा सूचक बोर्ड पर आए दिन बेनर, होर्डिंग्स टंगे रहते है उसी संदर्भ में लेख प्रस्तुत है:-

अमूमन पूरे देश में नेशनल, स्टेट हाइवे रोड पर शहर -कस्बो एवं  गांवों में दिशा सूचक बोर्ड लगे हुए होते है जो सभी आमजन , राजनेताओ एवं रसूखदारों को पता है। यह दिशा सूचक आमजन हो यात्रीगण हो सभी को गंतव्य स्थान तक पहुँचने के लिए मददगार साबित होते है क्योकि इनपर विभिन्न स्थानों के मार्गों की दूरी आदि की जानकारी अंकित होती है। 

तकनीक के इस दौर में इलेक्ट्रॉनिक गेजर्ट्स स्मार्ट यूज़र्स गूगल मैप जैसी एप्लिकेशन से भी गंतव्य स्थान तक पहुँच जाते है।

 राजस्थान सरकार की राजधारा एप्लिकेशन से भी सरकारी विभाग- कार्यालय एवं आमजन की सुविधार्थ  एवं आवश्यक सेवाओं के महत्वपूर्ण स्थानों को इस ऐप के माध्यम से ढूंढा जा सकता है।

तकनीक के इस दौर की बात ही निराली है, तकनीकी ज्ञान में हर कोई निपुण नही है, इसलिए राज्य एवं स्थानीय सरकारों द्वारा लगाए गए दिशा सूचक बोर्ड आजकल नेता सूचक एवं रसूकदार सूचक बोर्ड बनकर रह गए है 

आये दिन किसी न किसी पार्टी विशेष नेताओ के या रसूकदार लोगो द्वारा स्वयं एवं पार्टी प्रचार प्रसार हेतु या फिर जन्मदिवस के स्वागत सत्कार, विशेष पर्व आदि आदि.... की शुभकामनाएं प्रेषित करने हेतु बड़े बड़े होर्डिंग्स ,बेनर को दिशा सूचक बोर्ड पर टांग दिया जाता है जब तक तेज हवाओं का दौरे शुरू नही होता या फिर होर्डिंग्स फट नही जाता या

कोई नया बेनर नही लगा दिया जाता तब तक होर्डिंग्स या बेनर दिशा सूचक बोर्ड पर सजा रहता है!

निजी वाहन से लेकर यात्री वाहन, ट्रांसपोर्ट वाहन आदि से यात्री या आमजन की नजरें दिशा सूचक बोर्ड ढूंढती रहती है जब दिशा सूचक बोर्ड नजर आता है तब उसपे गंतव्य स्थान या मार्ग दूरी नजर नही आती है नजर आती है फलाने नेता या फलाने रसूकदार द्वारा हमारे शहर कस्बे में आपका स्वागत अभिनन्दन है। स्थान की जगह या मार्ग का तो पता नही पर यात्री को नेता या रसूकदार लोगो के  नाम जरूर पता चल जाते है। 

दिशा सूचक बोर्ड के साथ साथ पुष्कर में प्रवेश करते ही महात्मा गांधी सर्किल भी आये दिन नेता स्वागत सर्किल बन जाता है। महात्मा गांधी जी तो सर्किल में नजर ही नही आते क्योकि गांधी जी की प्रतिमा के बिल्कुल सामने बेनर लगा दिया जाता है। गांधी जी तो नजर नही आते है नजर आते है मुस्कुराते हुए नेताजी, फलाने जी, रसूकदार जी के बड़े बडे होर्डिंग्स एवं बेनर। 

पता नही क्यो विज्ञापन हेतु निर्धारित स्थान पर बेनर लगाने में इनको इतना परहेज क्यू रहता है! उपरोक्त बताई गई जमात को लगता है कि बेनर दिशा सूचक बोर्ड एवं गांधी सर्किल पर स्थित गांधी जी की प्रतिमा के बिल्कुल सामने लगाने से ही इनकी कद काठी लोगो को पता चलेगी। 

बेचारे कई शिर्ष नेताओ ओर रसुकदारो को तो पता ही नही की मेरा मुस्कुराता हुआ इठलाता हुवा इतराता हुवा, काले ऐनक के साथ फलाने श्रीमान के साथ दिशा सूचक बोर्ड पर कितने महीनों से टंगा हुवा है। यह टंगा हुवा बेनर आमजन को यात्रियों को कितनी तकलीफ देय पैदा कर रहा होगा इनसे अंजान है बेचारे क्या करे कार्यकर्ताओं का मित्रो का मान रखने के लिए टंगे रहते है!😊

आमजन यात्रीगण दूसरे माध्यम से पता लगाते रहते है किस स्थान तक किस मार्ग तक पहुँचे है क्योकि शहर के सभी दिशाओं में लगे दिशा सूचक बोर्ड तो नेताओ और रसूकदार के बैनरो से होर्डिंग्स से ढके हुए जो रहते है।

सोचिये -  दिशा सूचक बोर्ड जरूरी है या दिशा सूचक बोर्ड पर इन लोगो के बेनर, होर्डिंग्स जरूरी है ?? 🤨🤨

कई जगह पर दिशा सूचक बोर्ड में एक तरफ विज्ञापन हेतु जगह निर्धारित होती है और कई जगह पर नही होती है। ज्यादातर अक्सर ऐसा देखा जा सकता है कि जहाँ दिशा सूचक बोर्ड लगे हुए है उनपर विभिन्न स्थानों की दिशा एवं दूरी अंकित होती है उस दिशा सूचक बोर्ड पर अधिकांश समय बेनर ही टंगे रहते है।

बेचारे अधिकारी, कर्मचारी भी विवश है दिशा सूचक बोर्ड से बेनर हटाने का साहस कभी नही दिखाते यदि साहस दिखा दिया तो उस अधिकारी, कर्मचारी का भगवान ही मालिक है !! क्योकि पुष्कर की जनता में मौजूद राजनीतिक पार्टी के कार्यकर्ता, रसूकदार एवं नेता स्वयं को प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक, उच्च अधिकारी के खासमखास दाएं- बाएं हाथ, कलाई, भुजा, हथेली, अंगुली पता नही क्या क्या समझते है 🤙🙋‍♂️☝️🫴🫲🫵 😜😎

दिशा सूचक बोर्ड पर बेनर होर्डिंग्स के मामले में विरोधी पार्टियां सदैव मित्रता का भाव रखती है इस मामले में इनके विचार बड़े नेक है!😊

उक्त लेख में प्रयुक्त विचार मेरे निजी है।

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धन्यवाद🙏🙏

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Dilip Kumar Udai
(B.J., & LL.B)
Independent Journalist,
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