#The Udai - 09
08-07-2020
✍️ दिलीप कुमार उदय
व्यंग्यात्मक अल्फाज प्रस्तुत है.....
#पुष्कर में डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी की प्रतिमा से प्लास्टिक थैली कब हटेगी??
मेने अपने पिछले ब्लॉग #The Udai - 07 के माध्यम से अम्बेडकर साहब की प्रतिमा पर हुए घटनाक्रम पर प्रकाश डाला था। उक्त घटनाक्रम में कई नए मोड़ लोगो को देखने को मिले थे। आरोप प्रत्यारोप को लेकर कुछ ज्ञापन दिए गए, मुकदमा दर्ज करवाया गया था, मीडिया हेडलाइन, ब्रेकिंग न्यूज़ का शोर शराबा रहा उसके बाद से अभी तक उक्त घटना पर मौजूदा हालात पर कोई ठोस निर्णय, कार्यवाही एवं टीका टिप्पणी आदि नही हुए है। सभी लोग चुपचाप बैठकर तमाशबीन बने हुए है!!
उक्त प्रकरण में सबसे अधिक विचार एवं समीक्षा करने वाली बात यह है कि उक्त सूक्ष्म रूप से अंगुली टूटी प्रतिमा की जगह नई प्रतिमा लगाने की मांग और ज्ञापन उपखण्ड़ कार्यालय को पिछले 2-3 वर्षों से दिए जा रहे थे। मांग और ज्ञापन पर कार्यवाही करते हुए, उपखण्ड़ कार्यालय द्वारा प्रतिमा के लिए मौजूदा स्थिति क्या है,मरम्मत करनी है, नई लगानी है आदि की जानकारी प्राप्त करने हेतु प्रशासन के आग्रह पर मूर्तिकार अम्बेडकर पार्क में भेजे जाते है उसके बाद कुछ लोगो द्वारा विवाद उत्पन्न कर
*उल्टा.... उपखण्ड़ कार्यालय के कार्मिक ओर तत्कालीन उपखण्ड़ अधिकारी को ही प्रतिमा तुड़वाने का दोषी करार दे दिया जाकर एक व्हाट्सएप्प ग्रुप में भ्रामक, वर्ग विशेष को भड़काने, गुमराह करने वाली पोस्ट की जाती है उसके बाद मामला ज्यादा तूल पकड़ लेता है। भ्रामक पोस्ट की जानकारी पुलिस प्रशासन को भी होगी!*
मीडिया को दिए गए बयानो के मुताबिक अनाधिकृत रूप से प्रतिमा को थैली से ढकने वाले ने कहाँ था कि.... उपखण्ड़ अधिकारी एवं इनके कार्यालय द्वारा नगर पालिका स्वामित्व वाली अम्बेडकर जी की प्रतिमा के साथ जो भी कुछ किया जा रहा था तो दलित वर्ग के पार्षद, नेता व संघठन को अवगत कराना चाहिए था इन्हें विश्वास में लेना था उसके बाद प्रतिमा के साथ जो भी कुछ करना था करते *यह कितना अजीब और हास्यपद बयान है....उक्त बयान को समझा जाये तो बयान के अनुसार उपखण्ड़ अधिकारी द्वारा अपनी प्रशासनिक गतिविधियो का संचालन करने हेतु क्या कुछ संघठनो ओर कुछ तथाकथित नेताओं से अनुमति लेनी होगी???*
अम्बेडकर जी ने वंचित वर्ग के अधिकारों और हक के लिए जो भी किया यह सबको विदित है एवं इन्होंने अपने जीवनकाल में संवैधानिक,सामाजिक,शैक्षणिक
आर्थिक,राजनीतिक,साहित्यिक, औद्योगिक आदि कई क्षेत्रों में अनगिनत कार्य करके राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान निभाया है। दुनिया में करोड़ो लोग इनके अनुयायी है परन्तु *कुछ नासमझ गुमराह लोगो ने भारत रत्न संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी को सिर्फ अपना कॉपीराइट समझ रखा है! ऐसे कुछ लोग खुद के विवेक की जगह सत्ता में भागीदारी मिलने के आश्वासन और विश्वाश में अपने आकाओं के आदेश की अनुपालना करते है चाहे वह सही हो या गलत उस पर तनिक भी सोच विचार विश्लेषण नही करते है।*
यह कुछ लोग *अम्बेडकर जी को जपते है, अम्बेडकर जी को पढ़ते नही है! जिनको अपनी राजनीति चमकानी है वो जपने में विश्वास करते है शेष अपने अधिकारो को जानने के लिए अम्बेडकर जी को पढ़ते हैं* तो अब आप तय कर लीजिए अम्बेडकर जी को जपना है या पढ़ना है।
पूरे घटनाक्रम से जुडे वर्तमान और पूर्व विवाद के प्रकरण के पीछे की राजनीति को देखा जाए तो अम्बेडकर साहब की प्रतिमा की अंगुली टूटने के बाद से
पिछले 2-3 वर्षों में जिन लोगो ने ज्ञापन दिये थे मांग की थी उनमें सिर्फ इस बात पर जोर दिया गया कि प्रतिमा नई लगाई जाए। जबकि सूक्ष्म रूप से टूटी हुई प्रतिमा की मरम्मत रंगरोशन करके दुरस्त करने की बात विवाद उत्पन्न करने वालो में से किसी ने नही की साथ ही इन्होंने पार्क में फैली अव्यवस्था खराब कृत्रिम झरने से भरा हुआ गंदा पानी आदि फैली अव्यवस्था को दुरस्त करने एवं सौंदर्य, पेड़पौधे, मरम्मत की बात को पीछे धकेल दिया गया है। यानी केवल प्रतिमा के नाम पर कुछ लोगो ने अपनी राजनीति चमकाने ओर एक वर्ग विशेष के लोगो के साथ सहानुभूति प्राप्त की है। ओर इस मांग को लेकर अभी हाल ही में तूल देकर विवाद उत्पन्न हो गया उसके पीछे की राजनीति क्या थी क्या मंशा थी यह अगर जानने की जिसकी प्रबल इच्छा है वह इसके लिए पुष्कर के हाल ही के ओर कुछ पहले के अन्य प्रकरण और घटनाओं का विश्लेषण करते हुए स्वयं समझ सकते है।
नगर पालिका पुष्कर के स्वामित्व वाली जगह पर यह सब कुछ हुवा फिर भी नगर पालिका प्रशासन
किसी प्रकार का एक्शन लेने की हिम्मत नही जुटा पा रहा है साथ ही राज्य में जिस पार्टी की सत्ता है उसकी विपक्ष पार्टी की नगर पालिका पुष्कर में सत्ता है, यह सत्ता भी साहस नही कर पा रही है की क्या किया जाए *पता नही किसकी किसके पास किस तरह से नस दबी हुई है।*
अब बात करते है पुलिस प्रशासन की पुलिस के पास बहुत अच्छा और संतुष्ट करने वाला जवाब हमेशा होता है की जांच चल रही है, अब देखना यह है की जांच कब तक पूरी होती है?
विशेष सोचने वाली बात यह है की कोई प्रतिमा जर्जर हो गई हो खराब हो गई हो तो नई प्रतिमा की मांग जायज है। यदि सूक्ष्म रूप से प्रतिमा टूटी हुई है तो आधुनिक तकनीक के माध्यम से प्रतिमा की मरम्मत की जा सकती है। अब यदि सूक्ष्म रूप से टूटी हुई प्रतिमा की जगह नई प्रतिमा लगाने की परिपाटी शुरू हो गई तो, जब भी किसी कारणवश या राजनीतिक मंशा या षडयंत्र द्वारा प्रतिमा के सूक्ष्म खंडित होने पर लोग नई नई प्रतिमाओ की मांग करना शुरू कर देंगे जिससे माहौल खराब होंगे साथ ही नई राजनीतिक बहस शुरू हो सकती है।
*पुष्कर के अन्य पार्क में स्थित भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल जी नेहरू एवं महात्मा गांधी जी की भी कई सालों से प्रतिमा खंडित है, परन्तु कुछ तथाकथित लोगो का ध्यान केवल अम्बेडकर जी पर ही जाता है क्योंकि अम्बेडकर जी के नाम पर इनकी राजनीति जल्दी चमकती है।*
*इसलिए में ब्लॉग के माध्यम से प्रशासन से निवेदन अनुरोध करता हूं कि अम्बेडकर पार्क पुष्कर में अंगुली टूटी प्रतिमा से थैली हटाकर उसे दुरस्त किया जाए। दुरस्त कैसे करना है किस प्रकार करना है ताकि माहौल शांतिपूर्वक रहे यह नगर पालिका पुष्कर एवं सम्बंधित प्रशासन पर निर्भर करता है।*
उक्त घटना पर मीडिया में दिये गए बयानों और खबरो का विश्लेषण करते हुए लेख को प्रस्तुत किया गया है। लेख के विचार मेरे निजी है।
✍️धन्यवाद
Dilip Kumar Udai
*"The Udai"*
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08-07-2020
✍️ दिलीप कुमार उदय
व्यंग्यात्मक अल्फाज प्रस्तुत है.....
#पुष्कर में डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी की प्रतिमा से प्लास्टिक थैली कब हटेगी??
मेने अपने पिछले ब्लॉग #The Udai - 07 के माध्यम से अम्बेडकर साहब की प्रतिमा पर हुए घटनाक्रम पर प्रकाश डाला था। उक्त घटनाक्रम में कई नए मोड़ लोगो को देखने को मिले थे। आरोप प्रत्यारोप को लेकर कुछ ज्ञापन दिए गए, मुकदमा दर्ज करवाया गया था, मीडिया हेडलाइन, ब्रेकिंग न्यूज़ का शोर शराबा रहा उसके बाद से अभी तक उक्त घटना पर मौजूदा हालात पर कोई ठोस निर्णय, कार्यवाही एवं टीका टिप्पणी आदि नही हुए है। सभी लोग चुपचाप बैठकर तमाशबीन बने हुए है!!
उक्त प्रकरण में सबसे अधिक विचार एवं समीक्षा करने वाली बात यह है कि उक्त सूक्ष्म रूप से अंगुली टूटी प्रतिमा की जगह नई प्रतिमा लगाने की मांग और ज्ञापन उपखण्ड़ कार्यालय को पिछले 2-3 वर्षों से दिए जा रहे थे। मांग और ज्ञापन पर कार्यवाही करते हुए, उपखण्ड़ कार्यालय द्वारा प्रतिमा के लिए मौजूदा स्थिति क्या है,मरम्मत करनी है, नई लगानी है आदि की जानकारी प्राप्त करने हेतु प्रशासन के आग्रह पर मूर्तिकार अम्बेडकर पार्क में भेजे जाते है उसके बाद कुछ लोगो द्वारा विवाद उत्पन्न कर
*उल्टा.... उपखण्ड़ कार्यालय के कार्मिक ओर तत्कालीन उपखण्ड़ अधिकारी को ही प्रतिमा तुड़वाने का दोषी करार दे दिया जाकर एक व्हाट्सएप्प ग्रुप में भ्रामक, वर्ग विशेष को भड़काने, गुमराह करने वाली पोस्ट की जाती है उसके बाद मामला ज्यादा तूल पकड़ लेता है। भ्रामक पोस्ट की जानकारी पुलिस प्रशासन को भी होगी!*
मीडिया को दिए गए बयानो के मुताबिक अनाधिकृत रूप से प्रतिमा को थैली से ढकने वाले ने कहाँ था कि.... उपखण्ड़ अधिकारी एवं इनके कार्यालय द्वारा नगर पालिका स्वामित्व वाली अम्बेडकर जी की प्रतिमा के साथ जो भी कुछ किया जा रहा था तो दलित वर्ग के पार्षद, नेता व संघठन को अवगत कराना चाहिए था इन्हें विश्वास में लेना था उसके बाद प्रतिमा के साथ जो भी कुछ करना था करते *यह कितना अजीब और हास्यपद बयान है....उक्त बयान को समझा जाये तो बयान के अनुसार उपखण्ड़ अधिकारी द्वारा अपनी प्रशासनिक गतिविधियो का संचालन करने हेतु क्या कुछ संघठनो ओर कुछ तथाकथित नेताओं से अनुमति लेनी होगी???*
अम्बेडकर जी ने वंचित वर्ग के अधिकारों और हक के लिए जो भी किया यह सबको विदित है एवं इन्होंने अपने जीवनकाल में संवैधानिक,सामाजिक,शैक्षणिक
आर्थिक,राजनीतिक,साहित्यिक, औद्योगिक आदि कई क्षेत्रों में अनगिनत कार्य करके राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान निभाया है। दुनिया में करोड़ो लोग इनके अनुयायी है परन्तु *कुछ नासमझ गुमराह लोगो ने भारत रत्न संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी को सिर्फ अपना कॉपीराइट समझ रखा है! ऐसे कुछ लोग खुद के विवेक की जगह सत्ता में भागीदारी मिलने के आश्वासन और विश्वाश में अपने आकाओं के आदेश की अनुपालना करते है चाहे वह सही हो या गलत उस पर तनिक भी सोच विचार विश्लेषण नही करते है।*
यह कुछ लोग *अम्बेडकर जी को जपते है, अम्बेडकर जी को पढ़ते नही है! जिनको अपनी राजनीति चमकानी है वो जपने में विश्वास करते है शेष अपने अधिकारो को जानने के लिए अम्बेडकर जी को पढ़ते हैं* तो अब आप तय कर लीजिए अम्बेडकर जी को जपना है या पढ़ना है।
पूरे घटनाक्रम से जुडे वर्तमान और पूर्व विवाद के प्रकरण के पीछे की राजनीति को देखा जाए तो अम्बेडकर साहब की प्रतिमा की अंगुली टूटने के बाद से
पिछले 2-3 वर्षों में जिन लोगो ने ज्ञापन दिये थे मांग की थी उनमें सिर्फ इस बात पर जोर दिया गया कि प्रतिमा नई लगाई जाए। जबकि सूक्ष्म रूप से टूटी हुई प्रतिमा की मरम्मत रंगरोशन करके दुरस्त करने की बात विवाद उत्पन्न करने वालो में से किसी ने नही की साथ ही इन्होंने पार्क में फैली अव्यवस्था खराब कृत्रिम झरने से भरा हुआ गंदा पानी आदि फैली अव्यवस्था को दुरस्त करने एवं सौंदर्य, पेड़पौधे, मरम्मत की बात को पीछे धकेल दिया गया है। यानी केवल प्रतिमा के नाम पर कुछ लोगो ने अपनी राजनीति चमकाने ओर एक वर्ग विशेष के लोगो के साथ सहानुभूति प्राप्त की है। ओर इस मांग को लेकर अभी हाल ही में तूल देकर विवाद उत्पन्न हो गया उसके पीछे की राजनीति क्या थी क्या मंशा थी यह अगर जानने की जिसकी प्रबल इच्छा है वह इसके लिए पुष्कर के हाल ही के ओर कुछ पहले के अन्य प्रकरण और घटनाओं का विश्लेषण करते हुए स्वयं समझ सकते है।
नगर पालिका पुष्कर के स्वामित्व वाली जगह पर यह सब कुछ हुवा फिर भी नगर पालिका प्रशासन
किसी प्रकार का एक्शन लेने की हिम्मत नही जुटा पा रहा है साथ ही राज्य में जिस पार्टी की सत्ता है उसकी विपक्ष पार्टी की नगर पालिका पुष्कर में सत्ता है, यह सत्ता भी साहस नही कर पा रही है की क्या किया जाए *पता नही किसकी किसके पास किस तरह से नस दबी हुई है।*
अब बात करते है पुलिस प्रशासन की पुलिस के पास बहुत अच्छा और संतुष्ट करने वाला जवाब हमेशा होता है की जांच चल रही है, अब देखना यह है की जांच कब तक पूरी होती है?
विशेष सोचने वाली बात यह है की कोई प्रतिमा जर्जर हो गई हो खराब हो गई हो तो नई प्रतिमा की मांग जायज है। यदि सूक्ष्म रूप से प्रतिमा टूटी हुई है तो आधुनिक तकनीक के माध्यम से प्रतिमा की मरम्मत की जा सकती है। अब यदि सूक्ष्म रूप से टूटी हुई प्रतिमा की जगह नई प्रतिमा लगाने की परिपाटी शुरू हो गई तो, जब भी किसी कारणवश या राजनीतिक मंशा या षडयंत्र द्वारा प्रतिमा के सूक्ष्म खंडित होने पर लोग नई नई प्रतिमाओ की मांग करना शुरू कर देंगे जिससे माहौल खराब होंगे साथ ही नई राजनीतिक बहस शुरू हो सकती है।
*पुष्कर के अन्य पार्क में स्थित भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल जी नेहरू एवं महात्मा गांधी जी की भी कई सालों से प्रतिमा खंडित है, परन्तु कुछ तथाकथित लोगो का ध्यान केवल अम्बेडकर जी पर ही जाता है क्योंकि अम्बेडकर जी के नाम पर इनकी राजनीति जल्दी चमकती है।*
*इसलिए में ब्लॉग के माध्यम से प्रशासन से निवेदन अनुरोध करता हूं कि अम्बेडकर पार्क पुष्कर में अंगुली टूटी प्रतिमा से थैली हटाकर उसे दुरस्त किया जाए। दुरस्त कैसे करना है किस प्रकार करना है ताकि माहौल शांतिपूर्वक रहे यह नगर पालिका पुष्कर एवं सम्बंधित प्रशासन पर निर्भर करता है।*
उक्त घटना पर मीडिया में दिये गए बयानों और खबरो का विश्लेषण करते हुए लेख को प्रस्तुत किया गया है। लेख के विचार मेरे निजी है।
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