About Me

Wednesday, August 21, 2024

#The Udai News -34

21 अगस्त 2024

✍️ दिलीप कुमार उदय

धार्मिक एवं पर्यटन स्थल पुष्कर में भारत बंद का दिखा सफल असर

आरक्षण में उप-वर्गीकरण के फैसले के खिलाफ दलित वर्ग का विरोध

पुष्कर में एससी एसटी आरक्षण में उप -वर्गीकरण फैसले के विरुद्ध पुष्कर के दलित वर्ग के कांग्रेस एवं भाजपा पार्टी के सभी नेतागण, सामजिक कार्यकर्ता  एवं पुष्कर के दलित समाज द्वारा अंबेडकर सर्किल पुष्कर से उपखण्ड कार्यालय पुष्कर तक नीले झंडे लेकर शांतिपूर्वक जुलुस निकालकर दलित वर्ग ने राष्ट्रपति के नाम उपखण्ड अधिकारी निखिल कुमार को ज्ञापन सौंपा।

पुष्कर में सुरक्षा की दृष्टि के मद्देनजर पुलिस बल साथ में रहा तैनाता।

व्यपारियों ने स्वैच्छा से तय समय तक बंद रखे अपने प्रतिष्टान।

शांतिपूर्वक भारत बंद का सफल असर दिखा पुष्कर में।

आखिर क्या हे मामला इस पर एक नजर :-

सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी कोटे के भीतर नए कोटे की अनुमति दी

सुप्रीम कोर्ट के 6:1 बहुमत के फैसले ने ईवी चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश राज्य के 2004 के फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि आरक्षण के लिए अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों का उप-वर्गीकरण नहीं किया जा सकता है, सुप्रीम कोर्ट ने एक अगस्त को एक फैसला सुनाया जिसमे कहा गया की अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण में उप-वर्गीकरण या सब-क्लासिफिकेशन  किया जा सकता है

उक्त फैसले के बाद समर्थन के साथ विरोध के स्वर भी देखे गए...

विरोध के कारण दलित समुदाय द्वारा भारत बंद का 21 अगस्त  2024  को आह्वान किया गया, इस बंद के क्या परिणाम आएंगे सरकार की इस पर क्या रुपरेखा रहेगी अभी स्पष्ट होना बाकी है। 

यह फेसला दलित और आदिवासी वर्ग में राजनीतिक फूट पैदा करेगा यह आरक्षण के मूल सिद्धांतों के ख़िलाफ़ है ऐसा आलोचकों का कहना है।

एक अहम एवं विधारणीय मुद्दा जो बनने वाला है कि इस वर्गीकरण को यदि लागू किया जाता हे तो कैसे किया जाएगा?

 कोर्ट ने कहा है कि ये उप -वर्गीकरण आंकड़ों के आधार पर होगा पर इस पर ज़्यादा विवरण नहीं दिया गया है... 

वंचित बहुजन आघाड़ी के अध्यक्ष प्रकाश अंबेडकर ने कोर्ट के फ़ैसले की आलोचना करते हुए कहा, “कोर्ट ने ये नहीं बताया है कि किस आधार पर पिछड़ापन तय किया जाएगा.”

केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहां की आरक्षण को जिस तरीके से बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर ने जो प्रावधान बनाए हैं वही प्रावधान वैसे ही लागू रहेंगे।

उन्होंने कहा कि जब तक समाज में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के खिलाफ छुआछूत जैसी प्रथा है तब तक एससी/एसटी श्रेणियों को सब-कैटेगरी में आरक्षण और क्रीमीलेयर जैसे प्रावधान नहीं होने देंगे।

अरविंद कुमार - असिस्टेंट प्रोफेसर यूनिवर्सिटी ऑफ़ लंदन (पॉलिटिकल साइंटिस्ट) उन्होंने इस फ़ैसले का विरोध करते हुए कहाँ  “सरकारें अपने समर्थकों और विरोधियों के हिसाब से जाति को चुन सकती हैं. इससे द्वेष बढ़ सकता है, जैसा हमने मणिपुर में देखा.” (स्रोत्र बीबीसी न्यूज़)

कोर्ट ने आरक्षण की कुछ नीतियों को पूर्व में कई मुद्दों पर खारिज भी किया  हैं. 

ओबीसी रिजर्वेशन में उप-वर्गीकरण, सरकारी नौकरी में पदोन्नति में आरक्षण,  स्थानीय निकाय चुनाव में औबीसी रिजर्वेशन आदि पहले ऐसा कई बार हुआ है कि कोर्ट ने पर्याप्त आंकड़ा न होने का हवाला देते हुए सरकार द्वारा पारित आरक्षण को नकारा भी है।

आंकड़ों को इकट्ठा करने में भी वक़्त लग सकता है. जैसे, ओबीसी आरक्षण में वर्गीकरण के लिए भाजपा सरकार ने 2017 में जस्टिस रोहिणी कमेटी का गठन किया था, जिनकी रिपोर्ट 2023 में पूरी हुई. पर ये रिपोर्ट अब ठंडे बस्ते में है।

लेख सामग्री में विचार मेरे निजी है।

धन्यवाद।

 🙏🙏

 Dilip Kumar Udai

(Bachelor of Journalism & LL.B.)


The Udai News

M: 9828782469

Blog:- https://dilipudai.blogspot.com

Facebook:- https://www.facebook.com/theudai

Twitter :- https://twitter.com/dilipudai

Youtube : - https://www.youtube.com/theudai

Saturday, June 22, 2024

#TheUdai News - 33   

22 जून - 2024 
✍दिलीप कुमार उदय

''पुष्कर कॉरिडोर" बनाम
पुष्कर की मुख्य समस्याए एवं आवश्यकताएं

तीर्थ नगरी पुष्कर के विकास एवं सौंदर्यकरण के नाम पर प्रस्तावित पुष्कर कॉरिडोर एवं पाथवे बनाने की कवायद शुरू होते ही यह विवाद एवं विरोध की भेट चढ़ गया है।

अयोध्या, काशी और उज्जैन की तर्ज पर कॉरिडोर बनाने हेतु, वहाँ पर हुईं तोड़फोड़ को देखते हुए पुष्कर वासियो को भी डर सताने लगा है की यदि तोड़फोड़ हुई तो हमारे घर और व्यवसायिक प्रतिष्ठानो पर भी आंच गिरेगी इसलिए इस प्रस्तावित कॉरिडोर का जमकर विरोध किया जा रहा है।

लगेगी आग तो आएँगे घर कई ज़द में 
यहाँ पे सिर्फ़ हमारा मकान थोड़ी है।....... राहत इन्दोरी की यह शायरी तो आपने सुनी ही होगी।

हाल ही में हुए लोकसभा चुनावो में यूपी के अयोध्या मंडल में  भाजपा की हार और इंडिया की जीत के बाद से ही अयोध्या के निवासियों को सोशल मीडिया पर एक पार्टी विशेष समर्थक लोगो द्वारा जमकर ट्रोल किया गया उनका बहिष्कार, आलोचना करते हुए उन्हें गद्दार करार देते हुए गालियां तक दी गई... गौरतलब यह है कि अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के उपरान्त भाजपा को यहाँ से प्रचंड जीत मिलने की पूरी उम्मीद थी परन्तु अयोध्या की जनता ने भाजपा की उम्मीदो पर पानी फेर दिया।

सोशल मीडिया पर अयोध्यावासियो को ट्रोल करने वाले लोगो की जमात में शामिल लोगो को पुष्कर कॉरिडोर को लेकर उत्पन्न हुए विरोध से शायद समझ आ गया होगा या आ जायेगा की बुनियादी जरूरतो को कुचल कर धर्म की राजनीति नहीं चल सकती।  इसलिए बिना सोचे समझे किसी को भी ट्रोल न करे धर्म एवं आस्था व्यक्ति का व्यक्तिगत विषय होता है।

भव्य कॉरिडोर बनाने के साथ -साथ यहाँ के नगरवासियों की जिंदगी को भी भव्य बनाने के प्रयास होने चाहिए, करोड़ो रूपये के कॉरिडोर से पूर्व कुछ करोड़ का बजट यहाँ की स्थानीय समस्याओं एवं आवश्यकताओं हेतु खर्च होने चाहिये

तीर्थनगरी पुष्कर श्रद्धा, भक्ति,आस्था, आध्यात्मिक एवं पौरोणिकता के स्वरूप से बना हुवा है इसे सिर्फ पर्यटन की दृष्टि से न देखे। विकास सौन्दर्यकरण के नाम पर तीर्थ नगरी के आध्यात्मिक, व्यवसायिक एवं पर्यटन सभी पहलुओं को समझते हुए पुष्कर तीर्थ का प्राचीन स्वरूप सुरक्षित रखते हुए योजनाओं का क्रियान्वयन करने की रूपरेखा तैयार की जाए।

खेर असल मुद्दे की बात यह है कि  पुष्कर कॉरिडोर बनाम पुष्कर की मूल समस्याएं
भव्य कॉरिडोर में करोड़ों रुपये खर्च करने से पहले
पुष्कर की आवश्यकताओं एवं समस्याओ पर खर्च किया जाना चाहिए।  प्रथम दृष्टि में पहले समस्याओ और आवश्यकताओं का निवारण होना चाहिए उसके उपरांत  कॉरिडोर जैसी योजना वो भी पुष्कर के प्राचीन स्वरुप को बरक़रार रखते हुए पुष्कर वासियो को भरोसे में रखते हुये स्थानीय सुझावों को मध्येनजर रखते हुए निर्णय लिया जाकर।

पुष्कर की कुछ मुख्य समस्याओं एवं आवश्यकताओं की सूची निम्न प्रकार से पेश है.....

1.सरोवर में जाने वाले दूषित पानी एवं प्रतिबंध के बावजूद खाद्य सामग्री बेचने वाली समस्या। 
2.पुष्कर में कई स्थानों पर  बरसाती पानी के भराव की समस्या।
3.पब्लिक टॉयलेट की कमी की समस्या।
4.आवारा पशुओं की समस्या।5.साफ-सफाई की समस्या।
6.ऊंचाई वाले बस स्टैंड पर बसों के ठहराव वाली समस्या।
7.प्रमुख मार्गों पर स्थानीय एवं यात्रियों हेतु जो पैदल पाथवे बने हुए है उनपर अतिक्रमण की समस्या।


8.ब्रह्मा मंदिर परिसर की मरम्मत की आवश्यकता।
9.पब्लिक गार्डन की आवश्यकता।
10.खेल मैदान की आवश्यकता।
11.नवीन हॉस्पिटल की आवश्यकता।
12.राजकीय चिकित्सालय के सामने नेहरू उद्यान की दुर्दशा सुधारने की आवश्यकता।

समस्याओ एवं आवश्यकताओं का पिटारा बहुत लंबा बन सकता  है फिलहाल राज्य-केंद्र तक पहुँच रखने वाले स्थानीय नेतागण एवं प्रशासन इन समस्याओं एवं आवश्यकताओं का ही समाधान कर दीजिए, उसके बाद ही कॉरिडोर के बारे में सोचिये।

नगर पालिका, विधायक (केबिनेट मंत्री) , सांसद (केंद्रीय मंत्री)  से लेकर राज्य और केंद्र तक एक ही पार्टी सत्ता की चेन से जुडी हे तो इस चेन का इस्तेमाल करते हुए पुष्कर के हित को देखते हुए विकास की गंगा की धार को तीर्थ नगरी में लेकर आने का सामर्थ्य जुटाए।

धन्यवाद।
 🙏🙏

 Dilip Kumar Udai
(Bachelor of Journalism & LL.B.)

The Udai News
M: 9828782469
Blog:- https://dilipudai.blogspot.com
Facebook:- https://www.facebook.com/theudai
Twitter :- https://twitter.com/dilipudai
Youtube : - https://www.youtube.com/theudai

Monday, October 30, 2023

 #TheUdai News - 32   
28 अक्टूबर 2023
✍दिलीप कुमार उदय

 ''विधायकनामा"
पेश हे विधानसभा क्षेत्र - पुष्कर के प्रत्याशी का परिचयनामा - 2 

भाजपा  प्रत्याशी -  सुरेश सिंह रावत ( पूर्व संसदीय सचिव एवं विधायक)

सुरेश सिंह रावत एक राजनीतिज्ञ और राजस्थान विधान सभा के सदस्य हैं जो राजस्थान के पुष्कर विधानसभा क्षेत्र का वर्ष 2013 से प्रतिनिधित्व कर रहे है 

पुष्कर के इतिहास में सर्वाधिक मतों से जीत हासिल करने का रिकॉर्ड इनके नाम दर्ज है, 10 वर्षो के राजनितिक सफर के दौरान राज्य में भाजपा की सत्ता के समय संसदीय सचिव के पद पर भी रहे सुरेश सिंह रावत पुष्कर क्षेत्र में  से भाजपा के बड़े नेता के रूप में भी जाने जाते है 
  
विधानसभा में विरोध के अनूठे प्रयोग करते हुए  लंपी वायरस के मुद्दे पर गाय को लेकर विधानसभा पहुँच थे इसी प्रकार बिजली का प्रतीकात्मक खम्बा एवं बील लेकर  भी  विरोध  दर्ज करवाकर मीडिया  में में चर्चित रहे थे अभी हाल ही में  पुष्कर के एक कपड़ा व्यापारी के द्वारा भाजपा विधायक सुरेश सिंह रावत पर गंभीर आरोप लगाए गए  हैं इस आरोप के कारण मीडिया में  पुनः खासे चर्चित हुए है 

भाजपा के असंतुष्ट कार्यकर्ता  एक बार पुनः तीसरी बार  विधानसभा क्षेत्र - पुष्कर के प्रत्याशी बनाये जाने पर खफा हे कांग्रेस की तरह यहाँ भी असंतुष्ट कार्यकर्ता नाखुश, निराश, हताश और मायुश है  इस वजह से बागी उम्मीदवार या अन्य राजनितिक दांव -पेच में जीत की हैट्रिक में अड़चने रुकावटे पैदा होने के आसार बन सकते है 

राजस्थान विधान सभा सचिवालय, विधानसभा सदन 14  (2013-18) एवं सदन 15 (2018-23) के अनुसार भाजपा  प्रत्याशी का परिचय 

सुरेश सिंह रावत 
पिता का नाम श्री सूरज सिंह रावत
माता का नाम श्रीमती राधा देवी रावत

लिँग पुरुष
जन्म तिथि एवं स्थान 28/3/1980 ग्राम मुहामी, अजमेर
शिक्षा स्‍नातक (बी.ए. (आनर्स)), महर्षि दयानन्‍द सरस्‍वती विश्‍वविद्धालय, अजमेर
जीवनसाथी का नाम श्रीमती रेखा रावत
विवाह की तिथि 29/11/2008
बच्चों की संख्या 2 पुत्र
व्यवसाय कृषि
मोबाइल नंबर 9414006464
सदस्य श्रेणी सामान्य

पद
2013-18 सदस्य, चौदहवीं राजस्थान विधान सभा
2018-23 सदस्य, पंद्रहवीं राजस्थान विधान सभा
02/04/2014-27/05/2016 सदस्य, याचिका समिति, राजस्थान विधान सभा
27/05/2016-01/05/2017 सदस्य, नियम समिति, राजस्थान विधान सभा
18/01/2016 - 17/12/2018 संसदीय सचिव, कार्यकाल, राजस्थान सरकार
सामाजिक पद
अध्यक्ष, तीर्थ गुरु श्री पुष्‍करराज विकास न्‍यास, पुष्‍कर, जिला अजमेर
2000-2002 सदस्य, अखिल भारतीय रावत युवा महासभा, राजस्‍थान
राजनीतिक पद
प्रदेश मंत्री, भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा, राजस्‍थान
प्रदेश महामंत्री, खेल प्रकोष्‍ठ, भारतीय जनता पार्टी, राजस्‍थान
2009-2013 मण्‍डल अध्‍यक्ष, भारतीय जनता पार्टी, श्रीनगर मण्‍डल, जिला अजमेर
अन्य पद
2017 से प्रदेश उपाध्यक्ष, भारत स्‍काउट एवं गाइड, राजस्‍थान
अन्य जानकारी
खेलकूद - क्रिकेट, कब्‍बडी (राष्‍ट्रीय स्‍तर पर)
विदेश यात्रा
गल्‍फ कन्‍ट्रीज (दुबई व 6 अन्‍य देश), हांगकांग, मॉरिशस, सिंगापुर

सम्मान एवं पुरस्कार
रावत रत्‍न, रावत महासभा, राजस्‍थान

स्थायी पता
बाबा फार्म, ग्राम मुहामी, वाया गगवाना, जिला अजमेर

स्थानीय पता
 एफ-19, विधायकपुरी, जयपुर

उपरोक्त उपलब्ध जानकारी अनुसार सावधानी पूर्वक तथ्यो की सामग्री को समावेश करते हुए परिचय को प्रेषित किया गया है यदि फिर भी किसी प्रकार की त्रुटि या जानकारी छूट गई हो तो टीम सुरेश सिंह रावत जानकारी उपलब्ध कराने का कष्ट कर सकते है, ताकि हम अपने ब्लॉग में जानकारी अपडेट कर सके।
धन्यवाद।

 भाजपा  प्रत्याशी -  सुरेश सिंह रावत के राजनितिक सफर में दर्ज हुई  जीत का संक्षिप्त ब्यौरा

सदन सं. 14 (2013-18) कुल प्राप्त मत 90013 निकटतम प्रतिद्धंदी  श्रीमती नसीम अख्तर इंसाफ (मत 48723) अन्तर - 41290  परिणाम -  सुरेश सिंह रावत  की जीत 

सदन सं. 15 (2018-23) कुल प्राप्त मत  84860 निकटतम प्रतिद्धंदी श्रीमती नसीम अख्तर इंसाफ  (मत  75471) अन्तर - 9389 परिणाम - सुरेश सिंह रावत  की जीत 

 Dilip Kumar Udai
(Bachelor of Journalism & LL.B.)

The Udai News & 
City Bureau - Pushkar Express News Bharat 24×7 National Hindi News Channel 
M: 9828782469
Blog:- https://dilipudai.blogspot.com
Facebook:- https://www.facebook.com/theudai
Twitter :- https://twitter.com/dilipudai
Youtube : - https://www.youtube.com/theudai
Linkedin:- https://www.linkedin.com/in/


Friday, October 27, 2023

#TheUdai News - 31  
27 अक्टूबर 2023
✍दिलीप कुमार उदय

 ''विधायकनामा"

पेश हे विधानसभा क्षेत्र - पुष्कर के प्रत्याशी का परिचयनामा - 1

पहला परिचय कांग्रेस प्रत्याशी - श्रीमती नसीम अख्तर इंसाफ (प्रदेश कांग्रेस कमेटी उपाध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री नसीम अख्तर इंसाफ) का

पुष्कर विधानसभा क्षेत्र में सक्रियता लगातार बरक़रार रखने एवं पायलट समर्थक छवि के कारण आलाकमान ने नसीम के साथ किया इंसाफ!

कांग्रेस प्रत्याशी - श्रीमती नसीम अख्तर इंसाफ पुष्कर क्षेत्र में लगातार सक्रीय रहने के कारण हमेशा चर्चों में रहती है, पिछले 2 विधान सभा चुनाव हारने के बावजूद पार्टी ने फिर दिया मौका, समर्थको में जबरदस्त उत्साह और खुशी की लहर, असंतुष्ट कार्यकर्ता नाखुश, निराश, हताश और मायुश, भारत जोड़ो यात्रा में नसीम ने सक्रीयता दिखाते हुए समर्थको के साथ यात्रा में हुई थी शामिल| समर्थक टीम नसीम के नाम से सोशल मीडिया में जय जयकार एवं गुणगान करने में अव्वल, नसीम विधानसभा क्षेत्र - पुष्कर में आयोजित छोटे से लेकर बड़े सामजिक कार्यक्रमो में अपनी उपस्थति दर्ज करवाकर आमजन में बेहतर नेता की छवि का आभास कराने में माहिर|

असंतुष्ट कार्यकर्ता बागी उम्मीदवार द्वारा या अन्य तरीके से इन्साफ की डगर पर नसीम की राह में रोड़े पैदा करने, संकट पैदा करने को बेताब है ऐसी चर्चाओं का बाजार में पुष्कर गर्म हो चूका है|

राजस्थान विधान सभा सचिवालय, विधानसभा सदन 13 (2008-13) के अनुसार कांग्रेस प्रत्याशी - श्रीमती नसीम अख्तर इंसाफ का परिचय

सदन सं. 13 (2008-13), जिला - अजमेर, चुनाव क्षेत्र - पुष्कर (सामान्य), दल - इण्डियन नेशनल कांग्रेस, चुनाव - आम चुनाव, विभाजन सं. - 80, कुल प्राप्त मत 42881, निकटतम प्रतिद्धंदी - श्री भंवरसिंह पलाडा (मत 36347)  6534 के अंतर् से जीत दर्ज करते हुए विधानसभा की दहलीज पर प्रवेश किया था 

श्रीमती नसीम अख्तर इंसाफ

पिता का नाम - श्री हाजी मोहम्मद यूसुफ पंवार

माता का नाम - श्रीमती हज्‍जानी जेबुनिशा

लिँग -  स्त्री

जन्म तिथि एवं स्थान -  28/5/1971 ग्राम पीसांगन, तहसील पीसांगन, जिला अजमेर

शिक्षा - स्‍नातक (बी.ए.), महर्षि दयानन्‍द सरस्‍वती विश्‍वविद्धालय, अजमेर

स्‍नातक (बी.एड.-कला), महर्षि दयानन्‍द सरस्‍वती विश्‍वविद्धालय, अजमेर

जीवनसाथी का नाम -  हाजी इंसाफ अली

विवाह की तिथि - 18/5/1990

बच्चों की संख्या - 2 पुत्र

व्यवसाय - गृहिणी

दूरभाष -  01452644786

मोबाइल नंबर -  9799586659

सदस्य श्रेणी - मुस्लिम

पद :

2008-13 - सदस्य, तेरहवीं राजस्थान विधान सभा

13/04/2009 -16/11/2011 - सदस्य, प्राक्कलन समिति (ख), राजस्थान विधान सभा

31/05/2010 - 31/03/2011 - सदस्य, महिलाओं एवं बालकों के कल्याण सम्‍बन्‍धी समिति, राजस्थान विधान सभा

17/11/2011 - 09/12/2013 - राज्य मंत्री, कार्यकाल, राजस्थान सरकार

17/11/2011 - 09/12/2013 - राज्य मंत्री, प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा विभाग, राजस्थान सरकार

17/11/2011 - 09/12/2013 - राज्य मंत्री, भाषा विभाग, राजस्थान सरकार

17/11/2011 - 09/12/2013 - राज्य मंत्री, भाषाई अल्प संख्यक विभाग, राजस्थान सरकार

सामाजिक पद

2001 से - अध्यक्ष, महिला विकास समिति, अजमेर

राजनीतिक पद

1991 - जिलाध्यक्ष, देहात जिला कांग्रेस कमेटी (अल्‍पसंख्‍यक प्रकोष्‍ठ), अजमेर

1995 - उपाध्यक्ष, ब्‍लॉक उपाध्‍यक्ष, ब्‍लॉंक कांग्रेस कमेटी, पीसांगन, अजमेर

2001 - सचिव, संयुक्‍त सचिव, जिला कांग्रेस कमेटी, अजमेर

2005 - उपाध्यक्ष, ब्‍लॉक उपाध्‍यक्ष, ब्‍लॉक कांग्रेस कमेटी, श्री नगर (पुष्‍कर व नसीराबाद क्षेत्र)

अन्य पद

1995 - सदस्य, पंचायत समिति, पीसांगन, अजमेर

2005 - सदस्य, जिला परिषद्, अजमेर

2001 - पार्षद, नगर परिषद्, अजमेर

अन्य जानकारी

विदेश यात्रा - हज यात्राा सउदी अरब (मक्‍का, मदीना)

विशेष अभिरुचि - साहित्‍य पठन, अनाथ बच्‍चों का नि:शुल्‍क अध्‍यापन

सम्मान एवं पुरस्कार - समाज सेवा में उत्‍कृष्‍ट कार्य करने पर पुरस्‍कृत

सामाजिक कार्यकलाप - सूफी शहबाज वेलफेयर सोसायटी (रजि. अजमेर)

स्थायी पता - 2531, बलदेव  नगर, माकड़वाली रोड़, अजमेर ।

श्रीमती नसीम अख्तर इंसाफ के राजनितिक सफर में दर्ज हुई  हार - जीत का संक्षिप्त ब्यौरा 

सदन सं. 13 (2008-13) कुल प्राप्त मत 42881, निकटतम प्रतिद्धंदी - श्री भंवरसिंह पलाडा (मत 36347) अन्तर - 6534 परिणाम  - श्रीमती नसीम अख्तर इंसाफ की जीत

सदन सं. 14 (2013-18) कुल प्राप्त मत 48723 निकटतम प्रतिद्धंदी श्री सुरेश सिंह रावत (मत 90013) अन्तर - 41290 परिणाम - श्रीमती नसीम अख्तर इंसाफ की हार

सदन सं. 15 (2018-23) कुल प्राप्त मत 75471 निकटतम प्रतिद्धंदी श्री सुरेश सिंह रावत (मत 84860) अन्तर - 9389 परिणाम - श्रीमती नसीम अख्तर इंसाफ की हार

Dilip Kumar Udai
(Bachelor of Journalism & LL.B.)


The Udai News & 
City Bureau - Pushkar Express News Bharat 24×7 National Hindi News Channel 
M: 9828782469
Blog :- https://dilipudai.blogspot.com
Facebook:- https://www.facebook.com/theudai
Twitter :- https://twitter.com/dilipudai
Youtube : - https://www.youtube.com/theudai
Linkedin:- https://www.linkedin.com/in/







Sunday, October 8, 2023

#TheUdai News - 30 
08 अक्टूबर 2023
✍दिलीप कुमार उदय

 जाति जनगणना उचित या अनुचित ?  

जातिगत जनगणना से केंद्र सरकार विरोध में क्यों है, डर किस बात का ? 

जाति जनगणना से सामाजिक, शैक्षिक व आर्थिक स्थिति का भी आंकलन होगा!

जितनी आबादी उतना हक, इससे साफ है कि वो देशवासियों में आपसी खाई और वैर-भाव बढ़ाना चाहती है। गरीब ही सबसे बड़ी जाति और सबसे बड़ी आबादी है - पीएम नरेंद्र मोदी

कांग्रेस पार्टी अगर केंद्र की सत्ता में आई तो देश में भर में ओ.बी.सी. के लोगों की सटीक संख्या का पता लगाने के लिए कास्ट सेंसस कराया जाएगा, "अब वह समय आ गया है कि हमें हिंदुस्तान का एक्स-रे करना है." - राहुल गांधी

राहुल गांधी  ने यह भी कहा - पता लगाना है कि अगर 90 अफसर देश को चला रहे हैं और उसमें ओबीसी की भागीदारी 5 फ़ीसदी है तो क्या ओबीसी की आबादी 5 फीसदी है? देश में एक ही मुद्दा है जातिगत जनगणना ओबीसी कितने हैं और उनकी भागीदारी कितनी होनी चाहिए?

जनगणना कराने का प्रावधान केंद्र के पास है जनगणना केंद्र सरकार ही करवा सकती है इसलिए  राजस्थान में जातिगत जनगणना नही सर्वे करवाया जायेगा  - अशोक गहलोत 

चुनाव से पूर्व राजस्थान के माननीय मुख़्यमंत्री श्री अशोक गहलोत का एक और पैंतरा बिहार की तर्ज पर राजस्थान में भी होगा जातिगत जनगणना का सर्वे, जनगणना के आंकड़ों के आधार पर भागीदारी सुनिश्चित करने की बात  कही जा रही है। 

सबसे पहले जान लेते हे जनगणना की कुण्डली  :-

वर्ष 1881 औपनिवेशिक काल (भारत में अंग्रेज़ों के शासन काल) के दौरान भारत में जनगणना की शुरुआत  हुई थी तब से  लेकर अभी तक 16 (सोलहवीं ) जनगणना 2021 में पूर्ण होने वाली थी परन्तु  कोविड-19 महामारी के प्रकोप के कारण इस  जनगणना को स्थगित कर दिया गया था।

जनगणना से अभिप्राय यह है की एक सुपरिभाषित हिस्से के सभी व्यक्तियों के एक विशिष्ट समय पर जनसांख्यिकीय, आर्थिक और सामाजिक आंकड़े (डेटा) एकत्र करना , उसका संकलन करना, विश्लेषण करना और उसे प्रसारित करना होता है साथ ही यह  जनसंख्या की विशेषताओं पर भी पेनी नजर डालना है।

Socio-Economic and Caste Census- SECC सामाजिक-आर्थिक और जाति-जनगणना देश में पहली बार वर्ष 1931 में  हुई थी उसके बाद जाति-जनगणना पहली बार वर्ष 2011 में आयोजित की गई थी हालांकि 2011 से लेकर 2023 के अंतिम पड़ाव तक भी जाति-जनगणना वर्ष 2011 के आँकडो  के बड़े अंश (भाग ) प्रकाशित नहीं किये गए हैं।  

SECC का मुख्य उद्देश्य प्रत्येक भारतीय परिवार (ग्रामीण और शहरी) से उनकी आर्थिक स्थिति एवं उसकी विशिष्ट जाति का नाम पूछकर आँकड़े एकत्रित करना था । आर्थिक स्थिति से यह आंकलन लगाना ताकि पुनर्मूल्यांकन करने में सहायता मिल सके की कोन व्यक्ति गरीब या वंचित है उन्हें नामित किया जा सके साथ ही कौन-सी जाति समूह आर्थिक रूप से पिछड़े थे और कौन से बेहतर थे राज्यों को सहायता कैसे वितरित की जाए, परिसीमन प्रक्रिया कैसे की जाए एवं संसाधनों  की दशा और दिशा  की रूपरेखा का निर्माण किस प्रकार किया जायेगा कैसे क्रियान्वन होगा मोठे तोर पर यही उद्देश्य होता है।

SECC और जनगणना के बीच का फेर समझना होगा - SECC राज्य द्वारा प्रदान की जाने वाली सहायता के लाभार्थियों की पहचान करने की एक विधि या उपकरण है जबकि जनगणना भारतीय जनसंख्या का एक मानचित्र पेश करती है।

जातिगत जनगणना की मांग बरसों से है यह कोई नई मांग नहीं है पक्ष और विपक्ष के राजनितिक दलों ने जाति जनगणना कराने की मांग लगातार उठाई है विपक्ष के साथ साथ एनडीए के भी कई सहयोगी दल भी राष्ट्रीय स्तर पर इसकी मांग करते आये है और कर रहे हैं। बिहार ने इस मांग को पूरा करने के लिए सर्वे की प्रक्रिया को पूर्ण करके जातिगत जनगणना के सर्वे आंकड़े सार्वजनिक कर दिए है इस पर केंद्र सरकार का विरोध बरक़रार है मालूम हो की 2018 में, तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने ओबीसी और एसईबीसी की पहचान के लिए जाति-आधारित सर्वेक्षण का वादा किया था। अब बीजेपी इसका विरोध कर रही है ? बीजेपी का नारा है - 'सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास' तो वह इस नारे से दूर क्यों भाग रही है ?”

बिहार में जाति जनगणना को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई में जाति सर्वेक्षण आंकड़े प्रकाशित करने पर रोक लगाने से इनकार करते हुए  कहा की वह राज्य द्वारा लिए गए नीतिगत निर्णय पर रोक नहीं लगाई जा सकती

मेरा स्पष्ट मानना है कि जातिगत जनगणना एक उचित मांग है

भारत में जाति जनगणना कराने की मांग राजनीतिक दलों एवं सामाजिक चिंतकों ने भी उठाई है इनके साथ साथ  ओ.बी.सी. समाज द्वारा भी यह मांग बार बार उठाई गई हे इस मांग का सबसे प्रभावपूर्ण कारण आरक्षण है। देश में आरक्षण को लेकर दो बड़े संशोधन - पहला EWS आरक्षण और दूसरा राज्यों को ओ.बी.सी. वर्ग की पहचान करने का अधिकार इन दोनों संशोधनों ने जातिगत जनगणना की मांग को गति प्रदान की है। जातिगत जनगणना से राज्य अपने स्तर पर ओ.बी.सी. वर्ग की पहचान सुनिश्चित कर उसी अनुपात में उन्हें आरक्षण का लाभ प्रदान करने में सक्षम होगा और मद्रास उच्च न्यायालय के एक फैसले से भी गति मिली हे फैसले में कहा गया हे की जाति जनगणना राज्य का विशेषाधिकार है राज्य के लिए आवश्यक है।

राज्य के नीति-निर्माण में सामाजिक वर्ग की वास्तविक स्थिति का पता ही नहीं होगा तो उनका उत्थान कैसे संभव हो पाएगा? वंचित वर्ग को मुख्यधारा में लेकर आने के लिए उनकी वास्तविक स्थिति, संख्या, सामाजिक, शैक्षिक एवं आर्थिक स्थिति के अध्ययन करने के बाद ही मुख्यधारा में क्रियान्वित किया जा सकता है।

सबका साथ-सबका विकास,सबका विश्वास-सबका प्रयास की संकल्पना से  देश सही मायनों में विकसित एवं सफल राष्ट्र तब बन पायेगा जब  समाज के सभी वर्गों का कल्याण सुनिश्चित किया जायेगा

संसाधनों के न्यायपूर्ण वितरण में व्यापक रूप से असमानता हे तो इस असमानता को समाप्त करने हेतु वंचितों की गणना करना न्यायोचित निर्णय है।

जाति जनगणना देश में जाति आधारित राजनीति को बढ़ावा देगी यह कहना अनुचित होगा , भारत की राजनीति में जाति का बहुत ही प्रबल प्रभाव बरसो से चला आ रहा और आगामी वर्षो में यह बरकरा रहने जैसा ही प्रतीत हो रहा है।

जनता के सामने मुख्य मीडिया संस्थानों द्वारा जातिगत जनगणना को लेकर स्पष्ट रुख नहीं रखा जा रहा है इस मुद्दे पर राजनीति करते हुए  हिन्दू धर्म की और धकेल कर विरोधाभास खड़ा किया जा रहा  है सोशल मीडिया में चर्चा की जा रही हे की यह हिन्दुओ को बाटने और आपस में फुट डालने जैसा आत्मघाती कदम है जबकि हकीकत एवं सच्चाई सिरे से बिलकुल अलग है इसके लिए तथ्यात्मक रूप से समझने की आवश्यकता है।

जब विभिन्न समुदाय एवं समाज अपने अपने जातिगत महासम्मेलन आयोजित करती है इन तमाम आयोजनों में पार्टी विचारधारा को परे करते हुए तमाम पार्टी के नेतागण एवं सामजसेवी स्वयं की जाती का उत्थान करने हेतु अपनी जाति के लिए सामाजिक, शैक्षिक व आर्थिक एवं राजनितिक भागीदारी की हुंकार बड़े  जोर शोर से करते है जाति के नाम पर किसी भी हद तक जाने को तत्पर रहते हे यदि ऐसा करना उनका उचित कदम एवं अधिकार हे तो  जब यही कार्य बिहार एवं राजस्थान की सरकार द्वारा जाति जनगणना सर्वे के माध्यम से सबका विकास सबका कल्याण करते हुए जाति अनुपात के माध्यम से व्याप्त विसंगतियों को दूर करते हुए सभी की भागीदारी सुनिश्चित करने का बीड़ा उठाकर किया जाने वाला कदम हे तो यह कदम गलत कैसे हो सकता हे यह तो सटीक रूप से उचित कदम और उचित फैसला है।

जाति जनगणना सर्वे से प्राप्त आंकडो  के संग्रह (डेटा क्लेक्शन) से  योजनाओं का बेहतर इंप्लीमेंटेशन (क्रियान्वन)  होगा ऐसा मेरा मानना है। 

जाति जनगणना जातिविहीन समाज के लक्ष्य के लिये भले ही अनुकूल न हो लेकिन यह समाज में व्याप्त असमानताओं को दूर करने में कारगर रूप से सही साबित हो सकती है।

लेख में व्यक्त विचार मेरे निजी है

धन्यवाद🙏🙏

Dilip Kumar Udai
(Bachelor of Journalism & LL.B.)
The Udai News & 
City Bureau - Pushkar Express News Bharat 24×7 National Hindi News Channel 
M: 9828782469
Blog :- https://dilipudai.blogspot.com
Facebook:- https://www.facebook.com/theudai
Twitter :- https://twitter.com/dilipudai
Youtube : - https://www.youtube.com/theudai
Linkedin:- https://www.linkedin.com/in/

#The Udai News -34 21 अगस्त 2024 ✍️ दिलीप कुमार उदय धार्मिक एवं पर्यटन स्थल पुष्कर में भारत बंद का दिखा सफल असर आरक्षण में उप-वर्गीकरण के फै...