#TheUdai - 27
10 सितम्बर 2023
✍दिलीप कुमार उदय
व्यंग्यात्मक अल्फाज प्रस्तुत है :-
देश के असल मुद्दे बनाम ध्यान भटकाऊ रणनीतिक मुद्दे
सभी को विदित है की देश के असल मुद्दे क्या है!!!
फिर भी राजनीति करने वाले देश की जनता को बगला कर मुख्य मुद्दों से ध्यान हटाकर सिर्फ और सिर्फ ऐसे मुद्दों पर लाकर खड़ा कर देती है जो देश के नागरिकों को बांटने का कार्य बखूबी कर देती है। राजनीतिक पार्टियों को बहुत ही शानदार तजुर्बा और अनुभव है इनके पास विवादित मुद्दों की पूरी खान है कि कब कोनसा किस समय क्या मुद्दा जनता के समक्ष पेश करना है, ताकि असल मुद्दों से ध्यान भटकाकर राजनीतिक लाभ अर्जित किये जा सके।
अभी हाल ही का नया विवादित मुद्दा *इंडिया बनाम भारत*
देश के राजनीतिक गलियारों से लेकर चाय -चौपाल, तमाम मीडिया, घर परिवार तक एक बहस का मुद्दा बड़ी चालाकी से छोड़ दिया गया है। *इस मुद्दे को लेकर हकीकत में जैसा जनता सोच रही है प्रतिक्रिया कर रही है वैसा कुछ नही है। मुद्दे को सिर्फ चुनावी माहौल में जनता को बगलाने हेतु पेश किया जा रहा है। यह मुद्दा सिर्फ राजनीतिक नफे नुकसान के लिए ही लाया गया है, सत्ता हो या विपक्ष दोनों ही अपनी राजनीतिक रोटियां सेखने में निपुण है।*
देश के सत्ता पक्ष को पटखनी देने हेतु विपक्ष ने इंडिया (Indian National Developmental Inclusive Alliance - I.N.D.I.A) नाम का नया गठबंधन बनाकर देश की राजनीति में उथल पुथल मचाने की तैयारी युद्धस्तर पर की जा रही है।
क्योंकि जैसे ही देश के विपक्ष ने
इंडिया नाम से नया गठबंधन बनाया केंद्र के सत्ता पक्ष को अचानक *इंडिया बनाम भारत याद आ गया।* संघ प्रमुख ने एक कार्यक्रम में कहाँ कि इंडिया की जगह भारत का नाम इस्तेमाल हो ,एक तरह से यह उनकी अपील थी ..... उसके उपरांत राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की ओर से जी-20 के रात्रिभोज निमंत्रण में प्रेसिडेंट ऑफ़ इंडिया की जगह प्रेसिडेंट ऑफ़ भारत लिखा होने से लेकर चल रहे ज़ी -20 सम्मेलन तक में...इंडिया बनाम भारत करके मुद्दे को गर्म किया जा रहा है।
विपक्ष (इंडिया दल) आरोप मंढ रहे है कि केंद्र सरकार देश के नाम के तौर पर *इंडिया शब्द का इस्तेमाल बंद करके अब केवल भारत* कहे जाने की योजना पर कार्य कर रही है।
उपरोक्त आरोप पर केंद्र सरकार हो या राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से आधिकारिक तौर पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
असल मे पिछले 9 वर्षों में कई योजनाएं इंडिया नाम से केंद्र ने चलाई है .....उसी पर तंज कसते हुए कांग्रेस कार्य समिति (CWC) के सदस्य *गुरदीप सप्पल* ने ट्वीट (अब X) किया है........
मोदी सरकार की दो सौ से ज़्यादा योजनाएँ चल रही हैं। इनमें से:
*52* योजनाओं का नाम इण्डिया पर है
*22* योजनाओं का नाम प्रधानमंत्री पर है
और सिर्फ़ *5* योजनाओं का नाम भारत पर है।
ये भारत प्रेम नया नया ही है, INDIA गठबंधन से डर कर है।
*मायावती (BSP) ने कहा* :
भारत बनाम इंडिया में बीजेपी ने गरीबी, महंगाई, बेरोजगारी और विकास के जरूरी मुद्दों को दरकिनार कर दिया है। इसलिए BSP पार्टी... इन जातिवादी, सांप्रदायिक एवं पूंजीवादी गठबंधनो से दूरी बनाए रखना सही समझती है।
*बीजेपी सांसद सुशील मोदी ने कहा* संविधान में भारत और इंडिया दोनों है, अगर 75 सालों से भारत को इंडिया लिखा गया है तो प्रेसिडेंट ऑफ भारत लिखने में क्या आपत्ति है? हम "भारत माता की जय" बोलते हैं। विपक्ष यदि "इंडिया माता की जय" बोलना चाहे तो बोले।
*अरविंद केजरीवाल ने कहा* देश 140 करोड लोगों का है किसी एक पार्टी का देश नही है अगर मान लीजिए कल को इंडिया एलाइंस ने अपना नाम परिवर्तन करके यदि भारत रख लिया तो फिर BJP भारत का नाम भी बदल देंगें ? फिर क्या भारत का नाम बीजेपी रखेंगे!
*कांग्रेस के जयराम रमेश* ने कहा इंडिया शाइनिंग का नारा BJP लेकर आई थी। डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, न्यू इंडिया ऐसे कई चीजे है उसके जवाब में कांग्रेस ने *भारत जोड़ो यात्रा शुरू की।*
*गौरव गोगई* ने कहा इसरो,आईआईटी, आईआईएम,
आईएस,आईपीएस आदि इन सभी मे आई का मतलब इंडिया ही है BJP सरकार इंडिया गठबंधन से इतना डर गई है कि बेबुनियाद काम कर रही है।
*राहुल गांधी* ने कहा कि : दिलचस्प बात है, हम जब भी अडानी पर सवाल उठाते हैं, मोदी जी एक नया ‘distraction’ ले आते हैं।
'INDIA या भारत' भी एक ऐसा ही मुद्दा है।
अब सबसे दिलचस्प तथ्य यह है कि...*2004 में जब 'भारत' नाम का भाजपा ने विरोध किया था!*
मुलायम सिंह यादव की कैबिनेट ने एक प्रस्ताव पारित किया कि संविधान में संशोधन करके 'इंडिया, दैट इज़ भारत' की जगह 'भारत, दैट इज़ इंडिया' लिखा जाना चाहिए। तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने फिर यह प्रस्ताव राज्य विधान सभा में रखा, *भाजपा को छोड़कर सभी ने इसे स्वीकार कर लिया।* भाजपा ने प्रस्ताव पारित होने से पहले ही वॉकआउट कर दिया था।
वर्ष 2010 और 2012 में कांग्रेस के सांसद शांताराम नाइक ने इस मुद्दे पर दो प्राइवेट बिल पेश किए थे, इस बिल के जरिए उन्होंने *संविधान से इंडिया शब्द पूरी तरह से हटाने का प्रस्ताव रखा था।*
वर्ष *2015 में योगी आदित्यनाथ* भी इस मुद्दे पर प्राइवेट बिल पेश कर चुके हैं। इस बिल में उन्होंने *संविधान में ‘इंडिया, दैट इज भारत’ की जगह ‘इंडिया, दैट इज हिंदुस्तान’ करने का प्रस्ताव दिया था।*
*2015 में मोदी सरकार (BJP) ने किया था विरोध*
वर्ष 2015 में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर हुई. इसमें देश का नाम 'इंडिया' की बजाय सिर्फ 'भारत' किए जाने की मांग की गई थी। *तब (मोदी सरकार) केंद्र ने इस याचिका का विरोध किया था* नवंबर 2015 में केंद्र सरकार ने अपना जवाब देते हुए कहा था, *देश को 'इंडिया' की बजाय 'भारत' कहने की जरूरत नहीं है*
याचिका का विरोध करते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा था कि संविधान के प्रारूप के दौरान संविधान सभा में देश के नाम को लेकर लंबी बहस हो चुकी है और काफी विचार-विमर्श के बाद अनुच्छेद-1 को सर्वसम्मति से अपनाया गया था।
2016 एवं 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने 'इंडिया' का नाम बदलकर 'भारत' करने की याचिका को दोनों बार यह पुष्टि करते हुए खारिज कर दिया कि "भारत" और "इंडिया" दोनों का संविधान में उल्लेख है।
अंत मे संविधान में क्या लिखा है उसको भी जान लेते है :-
Article 1 Says "India, that is Bharat, shall be a Union of States."
भारतीय संविधान के आर्टिकल 1 में लिखा है, 'इंडिया, दैट इज भारत' यूनियन ऑफ स्टेट्स.'
इंडिया अर्थात भारत, राज्यों का एक संघ होगा
धन्यवाद🙏🙏
Dilip Kumar Udai
(B.J. & LL.B.)
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