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Monday, October 30, 2023

 #TheUdai News - 32   
28 अक्टूबर 2023
✍दिलीप कुमार उदय

 ''विधायकनामा"
पेश हे विधानसभा क्षेत्र - पुष्कर के प्रत्याशी का परिचयनामा - 2 

भाजपा  प्रत्याशी -  सुरेश सिंह रावत ( पूर्व संसदीय सचिव एवं विधायक)

सुरेश सिंह रावत एक राजनीतिज्ञ और राजस्थान विधान सभा के सदस्य हैं जो राजस्थान के पुष्कर विधानसभा क्षेत्र का वर्ष 2013 से प्रतिनिधित्व कर रहे है 

पुष्कर के इतिहास में सर्वाधिक मतों से जीत हासिल करने का रिकॉर्ड इनके नाम दर्ज है, 10 वर्षो के राजनितिक सफर के दौरान राज्य में भाजपा की सत्ता के समय संसदीय सचिव के पद पर भी रहे सुरेश सिंह रावत पुष्कर क्षेत्र में  से भाजपा के बड़े नेता के रूप में भी जाने जाते है 
  
विधानसभा में विरोध के अनूठे प्रयोग करते हुए  लंपी वायरस के मुद्दे पर गाय को लेकर विधानसभा पहुँच थे इसी प्रकार बिजली का प्रतीकात्मक खम्बा एवं बील लेकर  भी  विरोध  दर्ज करवाकर मीडिया  में में चर्चित रहे थे अभी हाल ही में  पुष्कर के एक कपड़ा व्यापारी के द्वारा भाजपा विधायक सुरेश सिंह रावत पर गंभीर आरोप लगाए गए  हैं इस आरोप के कारण मीडिया में  पुनः खासे चर्चित हुए है 

भाजपा के असंतुष्ट कार्यकर्ता  एक बार पुनः तीसरी बार  विधानसभा क्षेत्र - पुष्कर के प्रत्याशी बनाये जाने पर खफा हे कांग्रेस की तरह यहाँ भी असंतुष्ट कार्यकर्ता नाखुश, निराश, हताश और मायुश है  इस वजह से बागी उम्मीदवार या अन्य राजनितिक दांव -पेच में जीत की हैट्रिक में अड़चने रुकावटे पैदा होने के आसार बन सकते है 

राजस्थान विधान सभा सचिवालय, विधानसभा सदन 14  (2013-18) एवं सदन 15 (2018-23) के अनुसार भाजपा  प्रत्याशी का परिचय 

सुरेश सिंह रावत 
पिता का नाम श्री सूरज सिंह रावत
माता का नाम श्रीमती राधा देवी रावत

लिँग पुरुष
जन्म तिथि एवं स्थान 28/3/1980 ग्राम मुहामी, अजमेर
शिक्षा स्‍नातक (बी.ए. (आनर्स)), महर्षि दयानन्‍द सरस्‍वती विश्‍वविद्धालय, अजमेर
जीवनसाथी का नाम श्रीमती रेखा रावत
विवाह की तिथि 29/11/2008
बच्चों की संख्या 2 पुत्र
व्यवसाय कृषि
मोबाइल नंबर 9414006464
सदस्य श्रेणी सामान्य

पद
2013-18 सदस्य, चौदहवीं राजस्थान विधान सभा
2018-23 सदस्य, पंद्रहवीं राजस्थान विधान सभा
02/04/2014-27/05/2016 सदस्य, याचिका समिति, राजस्थान विधान सभा
27/05/2016-01/05/2017 सदस्य, नियम समिति, राजस्थान विधान सभा
18/01/2016 - 17/12/2018 संसदीय सचिव, कार्यकाल, राजस्थान सरकार
सामाजिक पद
अध्यक्ष, तीर्थ गुरु श्री पुष्‍करराज विकास न्‍यास, पुष्‍कर, जिला अजमेर
2000-2002 सदस्य, अखिल भारतीय रावत युवा महासभा, राजस्‍थान
राजनीतिक पद
प्रदेश मंत्री, भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा, राजस्‍थान
प्रदेश महामंत्री, खेल प्रकोष्‍ठ, भारतीय जनता पार्टी, राजस्‍थान
2009-2013 मण्‍डल अध्‍यक्ष, भारतीय जनता पार्टी, श्रीनगर मण्‍डल, जिला अजमेर
अन्य पद
2017 से प्रदेश उपाध्यक्ष, भारत स्‍काउट एवं गाइड, राजस्‍थान
अन्य जानकारी
खेलकूद - क्रिकेट, कब्‍बडी (राष्‍ट्रीय स्‍तर पर)
विदेश यात्रा
गल्‍फ कन्‍ट्रीज (दुबई व 6 अन्‍य देश), हांगकांग, मॉरिशस, सिंगापुर

सम्मान एवं पुरस्कार
रावत रत्‍न, रावत महासभा, राजस्‍थान

स्थायी पता
बाबा फार्म, ग्राम मुहामी, वाया गगवाना, जिला अजमेर

स्थानीय पता
 एफ-19, विधायकपुरी, जयपुर

उपरोक्त उपलब्ध जानकारी अनुसार सावधानी पूर्वक तथ्यो की सामग्री को समावेश करते हुए परिचय को प्रेषित किया गया है यदि फिर भी किसी प्रकार की त्रुटि या जानकारी छूट गई हो तो टीम सुरेश सिंह रावत जानकारी उपलब्ध कराने का कष्ट कर सकते है, ताकि हम अपने ब्लॉग में जानकारी अपडेट कर सके।
धन्यवाद।

 भाजपा  प्रत्याशी -  सुरेश सिंह रावत के राजनितिक सफर में दर्ज हुई  जीत का संक्षिप्त ब्यौरा

सदन सं. 14 (2013-18) कुल प्राप्त मत 90013 निकटतम प्रतिद्धंदी  श्रीमती नसीम अख्तर इंसाफ (मत 48723) अन्तर - 41290  परिणाम -  सुरेश सिंह रावत  की जीत 

सदन सं. 15 (2018-23) कुल प्राप्त मत  84860 निकटतम प्रतिद्धंदी श्रीमती नसीम अख्तर इंसाफ  (मत  75471) अन्तर - 9389 परिणाम - सुरेश सिंह रावत  की जीत 

 Dilip Kumar Udai
(Bachelor of Journalism & LL.B.)

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Friday, October 27, 2023

#TheUdai News - 31  
27 अक्टूबर 2023
✍दिलीप कुमार उदय

 ''विधायकनामा"

पेश हे विधानसभा क्षेत्र - पुष्कर के प्रत्याशी का परिचयनामा - 1

पहला परिचय कांग्रेस प्रत्याशी - श्रीमती नसीम अख्तर इंसाफ (प्रदेश कांग्रेस कमेटी उपाध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री नसीम अख्तर इंसाफ) का

पुष्कर विधानसभा क्षेत्र में सक्रियता लगातार बरक़रार रखने एवं पायलट समर्थक छवि के कारण आलाकमान ने नसीम के साथ किया इंसाफ!

कांग्रेस प्रत्याशी - श्रीमती नसीम अख्तर इंसाफ पुष्कर क्षेत्र में लगातार सक्रीय रहने के कारण हमेशा चर्चों में रहती है, पिछले 2 विधान सभा चुनाव हारने के बावजूद पार्टी ने फिर दिया मौका, समर्थको में जबरदस्त उत्साह और खुशी की लहर, असंतुष्ट कार्यकर्ता नाखुश, निराश, हताश और मायुश, भारत जोड़ो यात्रा में नसीम ने सक्रीयता दिखाते हुए समर्थको के साथ यात्रा में हुई थी शामिल| समर्थक टीम नसीम के नाम से सोशल मीडिया में जय जयकार एवं गुणगान करने में अव्वल, नसीम विधानसभा क्षेत्र - पुष्कर में आयोजित छोटे से लेकर बड़े सामजिक कार्यक्रमो में अपनी उपस्थति दर्ज करवाकर आमजन में बेहतर नेता की छवि का आभास कराने में माहिर|

असंतुष्ट कार्यकर्ता बागी उम्मीदवार द्वारा या अन्य तरीके से इन्साफ की डगर पर नसीम की राह में रोड़े पैदा करने, संकट पैदा करने को बेताब है ऐसी चर्चाओं का बाजार में पुष्कर गर्म हो चूका है|

राजस्थान विधान सभा सचिवालय, विधानसभा सदन 13 (2008-13) के अनुसार कांग्रेस प्रत्याशी - श्रीमती नसीम अख्तर इंसाफ का परिचय

सदन सं. 13 (2008-13), जिला - अजमेर, चुनाव क्षेत्र - पुष्कर (सामान्य), दल - इण्डियन नेशनल कांग्रेस, चुनाव - आम चुनाव, विभाजन सं. - 80, कुल प्राप्त मत 42881, निकटतम प्रतिद्धंदी - श्री भंवरसिंह पलाडा (मत 36347)  6534 के अंतर् से जीत दर्ज करते हुए विधानसभा की दहलीज पर प्रवेश किया था 

श्रीमती नसीम अख्तर इंसाफ

पिता का नाम - श्री हाजी मोहम्मद यूसुफ पंवार

माता का नाम - श्रीमती हज्‍जानी जेबुनिशा

लिँग -  स्त्री

जन्म तिथि एवं स्थान -  28/5/1971 ग्राम पीसांगन, तहसील पीसांगन, जिला अजमेर

शिक्षा - स्‍नातक (बी.ए.), महर्षि दयानन्‍द सरस्‍वती विश्‍वविद्धालय, अजमेर

स्‍नातक (बी.एड.-कला), महर्षि दयानन्‍द सरस्‍वती विश्‍वविद्धालय, अजमेर

जीवनसाथी का नाम -  हाजी इंसाफ अली

विवाह की तिथि - 18/5/1990

बच्चों की संख्या - 2 पुत्र

व्यवसाय - गृहिणी

दूरभाष -  01452644786

मोबाइल नंबर -  9799586659

सदस्य श्रेणी - मुस्लिम

पद :

2008-13 - सदस्य, तेरहवीं राजस्थान विधान सभा

13/04/2009 -16/11/2011 - सदस्य, प्राक्कलन समिति (ख), राजस्थान विधान सभा

31/05/2010 - 31/03/2011 - सदस्य, महिलाओं एवं बालकों के कल्याण सम्‍बन्‍धी समिति, राजस्थान विधान सभा

17/11/2011 - 09/12/2013 - राज्य मंत्री, कार्यकाल, राजस्थान सरकार

17/11/2011 - 09/12/2013 - राज्य मंत्री, प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा विभाग, राजस्थान सरकार

17/11/2011 - 09/12/2013 - राज्य मंत्री, भाषा विभाग, राजस्थान सरकार

17/11/2011 - 09/12/2013 - राज्य मंत्री, भाषाई अल्प संख्यक विभाग, राजस्थान सरकार

सामाजिक पद

2001 से - अध्यक्ष, महिला विकास समिति, अजमेर

राजनीतिक पद

1991 - जिलाध्यक्ष, देहात जिला कांग्रेस कमेटी (अल्‍पसंख्‍यक प्रकोष्‍ठ), अजमेर

1995 - उपाध्यक्ष, ब्‍लॉक उपाध्‍यक्ष, ब्‍लॉंक कांग्रेस कमेटी, पीसांगन, अजमेर

2001 - सचिव, संयुक्‍त सचिव, जिला कांग्रेस कमेटी, अजमेर

2005 - उपाध्यक्ष, ब्‍लॉक उपाध्‍यक्ष, ब्‍लॉक कांग्रेस कमेटी, श्री नगर (पुष्‍कर व नसीराबाद क्षेत्र)

अन्य पद

1995 - सदस्य, पंचायत समिति, पीसांगन, अजमेर

2005 - सदस्य, जिला परिषद्, अजमेर

2001 - पार्षद, नगर परिषद्, अजमेर

अन्य जानकारी

विदेश यात्रा - हज यात्राा सउदी अरब (मक्‍का, मदीना)

विशेष अभिरुचि - साहित्‍य पठन, अनाथ बच्‍चों का नि:शुल्‍क अध्‍यापन

सम्मान एवं पुरस्कार - समाज सेवा में उत्‍कृष्‍ट कार्य करने पर पुरस्‍कृत

सामाजिक कार्यकलाप - सूफी शहबाज वेलफेयर सोसायटी (रजि. अजमेर)

स्थायी पता - 2531, बलदेव  नगर, माकड़वाली रोड़, अजमेर ।

श्रीमती नसीम अख्तर इंसाफ के राजनितिक सफर में दर्ज हुई  हार - जीत का संक्षिप्त ब्यौरा 

सदन सं. 13 (2008-13) कुल प्राप्त मत 42881, निकटतम प्रतिद्धंदी - श्री भंवरसिंह पलाडा (मत 36347) अन्तर - 6534 परिणाम  - श्रीमती नसीम अख्तर इंसाफ की जीत

सदन सं. 14 (2013-18) कुल प्राप्त मत 48723 निकटतम प्रतिद्धंदी श्री सुरेश सिंह रावत (मत 90013) अन्तर - 41290 परिणाम - श्रीमती नसीम अख्तर इंसाफ की हार

सदन सं. 15 (2018-23) कुल प्राप्त मत 75471 निकटतम प्रतिद्धंदी श्री सुरेश सिंह रावत (मत 84860) अन्तर - 9389 परिणाम - श्रीमती नसीम अख्तर इंसाफ की हार

Dilip Kumar Udai
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Sunday, October 8, 2023

#TheUdai News - 30 
08 अक्टूबर 2023
✍दिलीप कुमार उदय

 जाति जनगणना उचित या अनुचित ?  

जातिगत जनगणना से केंद्र सरकार विरोध में क्यों है, डर किस बात का ? 

जाति जनगणना से सामाजिक, शैक्षिक व आर्थिक स्थिति का भी आंकलन होगा!

जितनी आबादी उतना हक, इससे साफ है कि वो देशवासियों में आपसी खाई और वैर-भाव बढ़ाना चाहती है। गरीब ही सबसे बड़ी जाति और सबसे बड़ी आबादी है - पीएम नरेंद्र मोदी

कांग्रेस पार्टी अगर केंद्र की सत्ता में आई तो देश में भर में ओ.बी.सी. के लोगों की सटीक संख्या का पता लगाने के लिए कास्ट सेंसस कराया जाएगा, "अब वह समय आ गया है कि हमें हिंदुस्तान का एक्स-रे करना है." - राहुल गांधी

राहुल गांधी  ने यह भी कहा - पता लगाना है कि अगर 90 अफसर देश को चला रहे हैं और उसमें ओबीसी की भागीदारी 5 फ़ीसदी है तो क्या ओबीसी की आबादी 5 फीसदी है? देश में एक ही मुद्दा है जातिगत जनगणना ओबीसी कितने हैं और उनकी भागीदारी कितनी होनी चाहिए?

जनगणना कराने का प्रावधान केंद्र के पास है जनगणना केंद्र सरकार ही करवा सकती है इसलिए  राजस्थान में जातिगत जनगणना नही सर्वे करवाया जायेगा  - अशोक गहलोत 

चुनाव से पूर्व राजस्थान के माननीय मुख़्यमंत्री श्री अशोक गहलोत का एक और पैंतरा बिहार की तर्ज पर राजस्थान में भी होगा जातिगत जनगणना का सर्वे, जनगणना के आंकड़ों के आधार पर भागीदारी सुनिश्चित करने की बात  कही जा रही है। 

सबसे पहले जान लेते हे जनगणना की कुण्डली  :-

वर्ष 1881 औपनिवेशिक काल (भारत में अंग्रेज़ों के शासन काल) के दौरान भारत में जनगणना की शुरुआत  हुई थी तब से  लेकर अभी तक 16 (सोलहवीं ) जनगणना 2021 में पूर्ण होने वाली थी परन्तु  कोविड-19 महामारी के प्रकोप के कारण इस  जनगणना को स्थगित कर दिया गया था।

जनगणना से अभिप्राय यह है की एक सुपरिभाषित हिस्से के सभी व्यक्तियों के एक विशिष्ट समय पर जनसांख्यिकीय, आर्थिक और सामाजिक आंकड़े (डेटा) एकत्र करना , उसका संकलन करना, विश्लेषण करना और उसे प्रसारित करना होता है साथ ही यह  जनसंख्या की विशेषताओं पर भी पेनी नजर डालना है।

Socio-Economic and Caste Census- SECC सामाजिक-आर्थिक और जाति-जनगणना देश में पहली बार वर्ष 1931 में  हुई थी उसके बाद जाति-जनगणना पहली बार वर्ष 2011 में आयोजित की गई थी हालांकि 2011 से लेकर 2023 के अंतिम पड़ाव तक भी जाति-जनगणना वर्ष 2011 के आँकडो  के बड़े अंश (भाग ) प्रकाशित नहीं किये गए हैं।  

SECC का मुख्य उद्देश्य प्रत्येक भारतीय परिवार (ग्रामीण और शहरी) से उनकी आर्थिक स्थिति एवं उसकी विशिष्ट जाति का नाम पूछकर आँकड़े एकत्रित करना था । आर्थिक स्थिति से यह आंकलन लगाना ताकि पुनर्मूल्यांकन करने में सहायता मिल सके की कोन व्यक्ति गरीब या वंचित है उन्हें नामित किया जा सके साथ ही कौन-सी जाति समूह आर्थिक रूप से पिछड़े थे और कौन से बेहतर थे राज्यों को सहायता कैसे वितरित की जाए, परिसीमन प्रक्रिया कैसे की जाए एवं संसाधनों  की दशा और दिशा  की रूपरेखा का निर्माण किस प्रकार किया जायेगा कैसे क्रियान्वन होगा मोठे तोर पर यही उद्देश्य होता है।

SECC और जनगणना के बीच का फेर समझना होगा - SECC राज्य द्वारा प्रदान की जाने वाली सहायता के लाभार्थियों की पहचान करने की एक विधि या उपकरण है जबकि जनगणना भारतीय जनसंख्या का एक मानचित्र पेश करती है।

जातिगत जनगणना की मांग बरसों से है यह कोई नई मांग नहीं है पक्ष और विपक्ष के राजनितिक दलों ने जाति जनगणना कराने की मांग लगातार उठाई है विपक्ष के साथ साथ एनडीए के भी कई सहयोगी दल भी राष्ट्रीय स्तर पर इसकी मांग करते आये है और कर रहे हैं। बिहार ने इस मांग को पूरा करने के लिए सर्वे की प्रक्रिया को पूर्ण करके जातिगत जनगणना के सर्वे आंकड़े सार्वजनिक कर दिए है इस पर केंद्र सरकार का विरोध बरक़रार है मालूम हो की 2018 में, तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने ओबीसी और एसईबीसी की पहचान के लिए जाति-आधारित सर्वेक्षण का वादा किया था। अब बीजेपी इसका विरोध कर रही है ? बीजेपी का नारा है - 'सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास' तो वह इस नारे से दूर क्यों भाग रही है ?”

बिहार में जाति जनगणना को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई में जाति सर्वेक्षण आंकड़े प्रकाशित करने पर रोक लगाने से इनकार करते हुए  कहा की वह राज्य द्वारा लिए गए नीतिगत निर्णय पर रोक नहीं लगाई जा सकती

मेरा स्पष्ट मानना है कि जातिगत जनगणना एक उचित मांग है

भारत में जाति जनगणना कराने की मांग राजनीतिक दलों एवं सामाजिक चिंतकों ने भी उठाई है इनके साथ साथ  ओ.बी.सी. समाज द्वारा भी यह मांग बार बार उठाई गई हे इस मांग का सबसे प्रभावपूर्ण कारण आरक्षण है। देश में आरक्षण को लेकर दो बड़े संशोधन - पहला EWS आरक्षण और दूसरा राज्यों को ओ.बी.सी. वर्ग की पहचान करने का अधिकार इन दोनों संशोधनों ने जातिगत जनगणना की मांग को गति प्रदान की है। जातिगत जनगणना से राज्य अपने स्तर पर ओ.बी.सी. वर्ग की पहचान सुनिश्चित कर उसी अनुपात में उन्हें आरक्षण का लाभ प्रदान करने में सक्षम होगा और मद्रास उच्च न्यायालय के एक फैसले से भी गति मिली हे फैसले में कहा गया हे की जाति जनगणना राज्य का विशेषाधिकार है राज्य के लिए आवश्यक है।

राज्य के नीति-निर्माण में सामाजिक वर्ग की वास्तविक स्थिति का पता ही नहीं होगा तो उनका उत्थान कैसे संभव हो पाएगा? वंचित वर्ग को मुख्यधारा में लेकर आने के लिए उनकी वास्तविक स्थिति, संख्या, सामाजिक, शैक्षिक एवं आर्थिक स्थिति के अध्ययन करने के बाद ही मुख्यधारा में क्रियान्वित किया जा सकता है।

सबका साथ-सबका विकास,सबका विश्वास-सबका प्रयास की संकल्पना से  देश सही मायनों में विकसित एवं सफल राष्ट्र तब बन पायेगा जब  समाज के सभी वर्गों का कल्याण सुनिश्चित किया जायेगा

संसाधनों के न्यायपूर्ण वितरण में व्यापक रूप से असमानता हे तो इस असमानता को समाप्त करने हेतु वंचितों की गणना करना न्यायोचित निर्णय है।

जाति जनगणना देश में जाति आधारित राजनीति को बढ़ावा देगी यह कहना अनुचित होगा , भारत की राजनीति में जाति का बहुत ही प्रबल प्रभाव बरसो से चला आ रहा और आगामी वर्षो में यह बरकरा रहने जैसा ही प्रतीत हो रहा है।

जनता के सामने मुख्य मीडिया संस्थानों द्वारा जातिगत जनगणना को लेकर स्पष्ट रुख नहीं रखा जा रहा है इस मुद्दे पर राजनीति करते हुए  हिन्दू धर्म की और धकेल कर विरोधाभास खड़ा किया जा रहा  है सोशल मीडिया में चर्चा की जा रही हे की यह हिन्दुओ को बाटने और आपस में फुट डालने जैसा आत्मघाती कदम है जबकि हकीकत एवं सच्चाई सिरे से बिलकुल अलग है इसके लिए तथ्यात्मक रूप से समझने की आवश्यकता है।

जब विभिन्न समुदाय एवं समाज अपने अपने जातिगत महासम्मेलन आयोजित करती है इन तमाम आयोजनों में पार्टी विचारधारा को परे करते हुए तमाम पार्टी के नेतागण एवं सामजसेवी स्वयं की जाती का उत्थान करने हेतु अपनी जाति के लिए सामाजिक, शैक्षिक व आर्थिक एवं राजनितिक भागीदारी की हुंकार बड़े  जोर शोर से करते है जाति के नाम पर किसी भी हद तक जाने को तत्पर रहते हे यदि ऐसा करना उनका उचित कदम एवं अधिकार हे तो  जब यही कार्य बिहार एवं राजस्थान की सरकार द्वारा जाति जनगणना सर्वे के माध्यम से सबका विकास सबका कल्याण करते हुए जाति अनुपात के माध्यम से व्याप्त विसंगतियों को दूर करते हुए सभी की भागीदारी सुनिश्चित करने का बीड़ा उठाकर किया जाने वाला कदम हे तो यह कदम गलत कैसे हो सकता हे यह तो सटीक रूप से उचित कदम और उचित फैसला है।

जाति जनगणना सर्वे से प्राप्त आंकडो  के संग्रह (डेटा क्लेक्शन) से  योजनाओं का बेहतर इंप्लीमेंटेशन (क्रियान्वन)  होगा ऐसा मेरा मानना है। 

जाति जनगणना जातिविहीन समाज के लक्ष्य के लिये भले ही अनुकूल न हो लेकिन यह समाज में व्याप्त असमानताओं को दूर करने में कारगर रूप से सही साबित हो सकती है।

लेख में व्यक्त विचार मेरे निजी है

धन्यवाद🙏🙏

Dilip Kumar Udai
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Monday, September 11, 2023

जी20 से दुनिया और भारत को क्या हासिल हुआ

#TheUdai News - 29 
11 सितम्बर 2023
✍दिलीप कुमार उदय
 
जी20 से दुनिया और भारत को क्या हासिल हुआ ?? 

अगले विश्व गुरु लूला जी!! 

 "महात्मा गांधी को जी20 के ग्लोबल नेताओं ने दी श्रदांजलि" 

 "जी20 बजट 900 करोड़, खर्च  किये 4100 करोड़ से ज्यादा" 

 "न करूंगा, न करने दूंगा"

इस G20 शिखर सम्मेलन की मुख्य बातें - 
One Earth. एक पृथ्वी 
One Family. एक परिवार 
One Future.  एक भविष्य 

जी20 सदस्यों द्वारा दिल्ली घोषणा पत्र को स्वीकार एवं समर्थन से भारत के लिए यह एक कूटनीतिक जीत एवं  बड़ी कामयाबी की तर्ज पर देखा जा सकता हे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा को अपनाने की सराहना की है और उनके समर्थन और सहयोग के लिए सभी साथी जी20 सदस्यों के प्रति आभार व्यक्त किया है।

लचीले बुनियादी ढांचे का निर्माण, गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे में निवेश, और एक बेहतर भविष्य बनाना जो सभी के लिए अधिक अवसर, सम्मान और समृद्धि का प्रतिनिधित्व करे।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने जी20 सदस्य देशों के नेताओं के साथ प्रतिष्ठित राजघाट पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने रेखांकित किया कि गांधी जी के शाश्वत आदर्श सामंजस्यपूर्ण, समावेशी और समृद्ध वैश्विक भविष्य के लिए सामूहिक दृष्टिकोण का मार्गदर्शन करते हैं।

विश्व गुरु फॉर्मूला
अब समझने वाली बात यह हे की भारत से पूर्व भी कई देशों ने जी20 की  मेजबानी की थी परन्तु भारत द्वारा की गई मेजबानी एवं कामयाबी को मुख्यधारा का मीडिया एवं पार्टी विशेष का आईटी सेल सत्ताधारी पार्टी की व्यक्तिगत कामयाबी मानकर पेश कर रहा है वही दूसरी तरफ इस जी 20 सम्मेलन को लेकर विपक्ष सरकार की आलोचना करके सवाल भी दाग रहा है 

मोदी जी को विश्व गुरु बताकर पार्टी प्रचार प्रसार किया जा रहा हे जबकि G20 शिखर सम्मेलन प्रतिवर्ष एक क्रमिक अध्यक्षता में आयोजित किया जाता है, तो उसके अनुरूप अगली क्रमिक जी 20 की अध्यक्षता की जिम्मेदारी ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला दा सिल्वा को सौंपी गई है तो फिर अगले  *विश्व गुरु लूला जी होंगे!!*

प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी के साथ जी20 के ग्लोबल नेताओं ने महात्मा गांधी को श्रदांजलि एवं श्रदा सुमन अर्पित करके गाँधी के खिलाफ विपरीत विचारधारा रखने वाले तमाम लोगो को बता दिया हे की  गांधी की विरासत एवं विचारधारा का जलवा बरकरार रहेगा

प्रधान मंत्री का एक्स पर पोस्ट : 

“प्रतिष्ठित राजघाट पर, जी20 परिवार ने शांति, सेवा, करुणा और अहिंसा के प्रतीक महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की। जैसे-जैसे विविध राष्ट्र एकजुट हो रहे हैं, गांधी जी के शाश्वत आदर्श सामंजस्यपूर्ण, समावेशी और समृद्ध वैश्विक भविष्य के लिए हमारी सामूहिक दृष्टि का मार्गदर्शन करते हैं।''

राष्ट्रपति बाइडेन का एक्स पर पोस्ट:
आज राजघाट स्मारक पर जाना और अपने साथी जी20 नेताओं के साथ पुष्पांजलि अर्पित करना सम्मान की बात थी। महात्मा गांधी का अहिंसा, सम्मान और सत्य का संदेश आज पहले से कहीं अधिक मायने रखता है - यह दुनिया को प्रेरित करता रहे और हमारे देशों के बीच बंधन का आधार बने

जी20 बजट 900 करोड़, खर्च  किये 4100 करोड़ से ज्यादा
मीडिया में प्रकाशित सूत्र - सरकारी रिकॉर्ड अनुसार, 9-10 सितंबर को हुए इस जी 20 समिट में 4,100 करोड़ रुपये से अधिक का खर्चा हुआ है। रिकॉर्ड्स के अनुसार इन खर्चों को मोटे तौर पर करीब 12 कैटेगरीज में बांटा गया है। साल 2023-24 के बजट में जी20 सम्मेलन की अध्यक्षता के लिए 990 करोड़ रुपये आवंटित किये गए थे।

 'न करूंगा, न करने दूंगा'
 वियतनाम में बाइडेन के संबोधन के बाद जयराम रमेश का प्रधानमंत्री पर तंज 

जी20 शिखर सम्मेलन में शामिल होने के बाद वियतनाम पहुंचे अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने मीडिया सम्बोधन में जिक्र किया की मैंने पीएम मोदी से मानवाधिकारों के सम्मान, स्वतंत्र प्रेस की महत्वपूर्ण भूमिका एवं समृद्ध देश के विकास में नागरिक संस्थाओं के महत्व को लेकर चर्चा की हे इसी बयान को लेकर जयराम रमेश ने (ट्विटर) एक्स' पर प्रधानमंत्री  पर तंज कसकर कहा  की 'न करूंगा, न करने दूंगा'

(भारत ने प्रोटोकॉल तय किये थे उसके अनुसार राष्ट्रपति बाइडेन के साथ आये पत्रकार राष्ट्रपति बाइडेन एवं प्रधानमंत्री मोदी से प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिये सवाल नही पूछ पायेंगे)

धन्यवाद🙏🙏

Dilip Kumar Udai
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Sunday, September 10, 2023

जी-20 क्या है ?

 #TheUdai - 28 
10 सितम्बर 2023
✍दिलीप कुमार उदय

जी-20 क्या है ?

G20 - ग्रुप ऑफ ट्वेंटी (G20) अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग का प्रमुख मंच है। यह सभी प्रमुख अंतरराष्ट्रीय आर्थिक मुद्दों पर वैश्विक संरचना और अधिशासन निर्धारित करने तथा उसे मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

इंडिया अर्थात भारत 1 दिसंबर 2022 से 30 नवंबर 2023 तक G20 की अध्यक्षता करेगा।

G20 की स्थापना

G20 की स्थापना 1999 में एशियाई वित्तीय संकट के बाद वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों के लिए वैश्विक आर्थिक और वित्तीय मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक मंच के रूप में की गई थी। 2007 के वैश्विक आर्थिक और वित्तीय संकट के मद्देनजर G20 को राष्ट्राध्यक्षों/शासनाध्यक्षों के स्तर तक उन्नत किया गया था, और 2009 में इसे "अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग हेतु प्रमुख मंच" के रूप में नामित किया गया था।

G20 शिखर सम्मेलन प्रतिवर्ष एक क्रमिक अध्यक्षता में आयोजित किया जाता है। 

शुरुआत में G20 व्यापक आर्थिक मुद्दों पर केंद्रित था, परंतु बाद में इसके एजेंडे में विस्तार करते हुए इसमें अन्य बातों के साथ व्यापार, जलवायु परिवर्तन, सतत विकास, स्वास्थ्य, कृषि, ऊर्जा, पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और भ्रष्टाचार-विरोध शामिल किया गया। 

G20 के सदस्य

ग्रुप ऑफ ट्वेंटी (G20) में 19 देश (अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किये, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका) और यूरोपीय संघ शामिल हैं। G20 सदस्य देशों में वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 85%, वैश्विक व्यापार का 75% से अधिक और विश्व की लगभग दो-तिहाई आबादी है।

अतिथि देश : 

बांग्लादेश, ईजिप्ट ,मॉरिशस, नीदरलैंड, नाइजीरिया, ओमान, सिंगापुर, स्पेन, संयुक्त अरब अमीरात

आमंत्रित अंतर्राष्ट्रीय संगठन : 

नियमित अंतर्राष्ट्रीय संगठनों (यूएन, आईएमएफ, डब्ल्यूबी, डब्ल्यूएचओ, डब्ल्यूटीओ, आईएलओ, एफएसबी और ओईसीडी) और क्षेत्रीय संगठनों (एयू, एयूडीए-एनईपीएडी और आसियान) की पीठों के अतिरिक्त G20 के अध्यक्ष के रूप में भारत द्वारा आईएसए, सीडीआरआई और एडीबी को अतिथि अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के रूप में आमंत्रित किया जाएगा।

G20 की कार्यशैली 

G20 अध्यक्षता के तहत एक वर्ष के लिए G20 एजेंडा का संचालन किया जाता है और शिखर सम्मेलन का आयोजन किया जाता है। 

G20 में दो समानांतर ट्रैक होते हैं: वित्त ट्रैक और शेरपा ट्रैक। वित्त मंत्री और सेंट्रल बैंक के गवर्नर वित्त ट्रैक का नेतृत्व करते हैं जबकि शेरपा ट्रैक का नेतृत्व शेरपा करते हैं।

शेरपा पक्ष की ओर से G20 प्रक्रिया का समन्वय सदस्य देशों के शेरपाओं द्वारा किया जाता है, जो नेताओं के निजी प्रतिनिधि होते हैं। वित्त ट्रैक का नेतृत्व सदस्य देशों के वित्त मंत्री और सेंट्रल बैंक गवर्नर करते हैं। दो ट्रैक के भीतर, विषयगत रूप से उन्मुख कार्य समूह हैं जिनमें सदस्यों के संबंधित मंत्रालयों के साथ-साथ आमंत्रित/अतिथि देशों और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधि भाग लेते हैं (वित्त ट्रैक मुख्य रूप से वित्त मंत्रालय के नेतृत्व में है)। ये कार्य समूह प्रत्येक अध्यक्षता के पूरे कार्यकाल में नियमित बैठकें करते हैं। शेरपा वर्ष के दौरान हुई वार्ता का पर्यवेक्षण करते हैं, शिखर सम्मेलन के लिए एजेंडा आइटम पर चर्चा करते हैं और G20 के मूल कार्य का समन्वय करते हैं।

इसके अलावा, ऐसे सम्पर्क समूह हैं जो G20 देशों के नागरिक समाजों, सांसदों, विचार मचों, महिलाओं, युवाओं, श्रमिकों, व्यवसायों और शोधकर्ताओं को एक साथ लाते हैं।

इस समूह का कोई स्थायी सचिवालय नहीं है। इसकी अध्यक्षता ट्रोइका द्वारा समर्थित है - पिछला, वर्तमान और आने वाला अध्यक्षता। भारत की अध्यक्षता के दौरान, ट्रोइका में क्रमशः इंडोनेशिया, भारत और ब्राजील शामिल होंगे

लेख सामग्री साभार : G20 ऑर्गेनाइजेशन

धन्यवाद🙏🙏

Dilip Kumar Udai
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Saturday, September 9, 2023

असल मुद्दे बनाम ध्यान भटकाऊ रणनीतिक मुद्दे

 #TheUdai - 27

10 सितम्बर 2023

✍दिलीप कुमार उदय

व्यंग्यात्मक अल्फाज प्रस्तुत है :-

देश के असल मुद्दे बनाम ध्यान भटकाऊ रणनीतिक मुद्दे

सभी को विदित है की देश के असल मुद्दे क्या है!!!

फिर भी राजनीति करने वाले देश की जनता को बगला कर मुख्य मुद्दों से ध्यान हटाकर सिर्फ और सिर्फ ऐसे मुद्दों पर लाकर खड़ा कर देती है जो देश के नागरिकों को बांटने का कार्य बखूबी कर देती है। राजनीतिक पार्टियों को बहुत ही शानदार तजुर्बा और अनुभव है इनके पास विवादित मुद्दों की पूरी खान है कि कब कोनसा किस समय क्या मुद्दा जनता के समक्ष पेश करना है, ताकि असल मुद्दों से ध्यान भटकाकर राजनीतिक लाभ अर्जित किये जा सके।

अभी हाल ही का नया विवादित मुद्दा  *इंडिया बनाम भारत*

देश के राजनीतिक गलियारों से लेकर चाय -चौपाल, तमाम मीडिया, घर परिवार तक एक बहस का मुद्दा बड़ी चालाकी से छोड़ दिया गया है। *इस मुद्दे को लेकर हकीकत में जैसा जनता सोच रही है प्रतिक्रिया कर रही है वैसा कुछ नही है। मुद्दे को सिर्फ चुनावी माहौल में जनता को बगलाने हेतु पेश किया जा रहा है। यह मुद्दा सिर्फ राजनीतिक नफे नुकसान के लिए ही लाया गया है, सत्ता हो या विपक्ष दोनों ही अपनी राजनीतिक रोटियां सेखने में निपुण है।*

देश के सत्ता पक्ष को पटखनी देने हेतु विपक्ष ने इंडिया (Indian National Developmental Inclusive Alliance - I.N.D.I.A) नाम का नया गठबंधन बनाकर देश की राजनीति में उथल पुथल मचाने की तैयारी युद्धस्तर पर की जा रही है।

क्योंकि जैसे ही देश के विपक्ष ने

इंडिया नाम से नया गठबंधन बनाया केंद्र के सत्ता पक्ष को अचानक *इंडिया बनाम भारत याद आ गया।*  संघ प्रमुख ने एक कार्यक्रम में कहाँ कि इंडिया की जगह भारत का नाम इस्तेमाल हो ,एक तरह से यह उनकी अपील थी ..... उसके उपरांत राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की ओर से जी-20 के रात्रिभोज निमंत्रण में  प्रेसिडेंट ऑफ़ इंडिया की जगह प्रेसिडेंट ऑफ़ भारत लिखा होने से लेकर चल रहे ज़ी -20 सम्मेलन तक में...इंडिया बनाम भारत करके मुद्दे को गर्म किया जा रहा है।

विपक्ष (इंडिया दल) आरोप मंढ रहे है कि केंद्र सरकार देश के नाम के तौर पर *इंडिया शब्द का इस्तेमाल बंद करके अब केवल भारत* कहे जाने की योजना पर  कार्य कर रही है।

उपरोक्त आरोप पर केंद्र सरकार हो या राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से आधिकारिक तौर पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

असल मे पिछले 9 वर्षों में कई योजनाएं इंडिया नाम से केंद्र ने चलाई है .....उसी पर तंज कसते हुए कांग्रेस कार्य समिति (CWC) के सदस्य *गुरदीप सप्पल*  ने ट्वीट (अब X) किया है........

मोदी सरकार की दो सौ से ज़्यादा योजनाएँ चल रही हैं। इनमें से:

*52* योजनाओं का नाम इण्डिया पर है

*22* योजनाओं का नाम प्रधानमंत्री पर है 

और सिर्फ़ *5* योजनाओं का नाम भारत पर है।

ये भारत प्रेम नया नया ही है, INDIA गठबंधन से डर कर है।

*मायावती (BSP) ने कहा* : 

भारत बनाम इंडिया में बीजेपी ने गरीबी, महंगाई, बेरोजगारी और विकास के जरूरी मुद्दों को दरकिनार कर दिया है। इसलिए BSP पार्टी... इन जातिवादी, सांप्रदायिक एवं पूंजीवादी गठबंधनो से दूरी बनाए रखना सही समझती है।

*बीजेपी सांसद सुशील मोदी ने कहा*  संविधान में भारत और इंडिया दोनों है, अगर 75 सालों से भारत को इंडिया लिखा गया है तो प्रेसिडेंट ऑफ भारत लिखने में क्या आपत्ति है? हम "भारत माता की जय" बोलते हैं। विपक्ष यदि "इंडिया माता की जय" बोलना चाहे तो बोले।

*अरविंद केजरीवाल ने कहा*  देश 140 करोड लोगों का है किसी एक पार्टी का देश नही है अगर मान लीजिए कल को  इंडिया एलाइंस ने अपना नाम परिवर्तन करके यदि भारत रख लिया तो फिर BJP भारत का नाम भी बदल देंगें ? फिर क्या भारत का नाम बीजेपी रखेंगे!

*कांग्रेस के जयराम रमेश* ने कहा इंडिया शाइनिंग का नारा BJP लेकर आई थी। डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, न्यू इंडिया ऐसे कई चीजे है उसके जवाब में कांग्रेस ने *भारत जोड़ो यात्रा शुरू की।*

*गौरव गोगई* ने कहा इसरो,आईआईटी, आईआईएम, 

आईएस,आईपीएस आदि इन सभी मे आई का मतलब इंडिया ही है BJP सरकार इंडिया गठबंधन से इतना डर गई है कि बेबुनियाद काम कर रही है।

*राहुल गांधी* ने कहा कि : दिलचस्प बात है, हम जब भी अडानी पर सवाल उठाते हैं, मोदी जी एक नया ‘distraction’ ले आते हैं।

'INDIA या भारत' भी एक ऐसा ही मुद्दा है।

अब सबसे दिलचस्प तथ्य यह है कि...*2004 में जब 'भारत' नाम का भाजपा ने विरोध किया था!*

मुलायम सिंह यादव की कैबिनेट ने एक प्रस्ताव पारित किया कि संविधान में संशोधन करके 'इंडिया, दैट इज़ भारत' की जगह 'भारत, दैट इज़ इंडिया' लिखा जाना चाहिए। तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने फिर यह प्रस्ताव राज्य विधान सभा में रखा, *भाजपा को छोड़कर सभी ने इसे स्वीकार कर लिया।* भाजपा ने प्रस्ताव पारित होने से पहले ही वॉकआउट कर दिया था।

वर्ष 2010 और 2012 में कांग्रेस के सांसद शांताराम नाइक ने इस मुद्दे पर दो प्राइवेट बिल पेश किए थे, इस बिल के जरिए उन्होंने *संविधान से इंडिया शब्द पूरी तरह से हटाने का प्रस्ताव रखा था।*

वर्ष *2015 में योगी आदित्यनाथ* भी इस मुद्दे पर प्राइवेट बिल पेश कर चुके हैं। इस बिल में उन्होंने *संविधान में ‘इंडिया, दैट इज भारत’ की जगह ‘इंडिया, दैट इज हिंदुस्तान’ करने का प्रस्ताव दिया था।*

*2015 में मोदी सरकार (BJP) ने किया था विरोध*

वर्ष 2015 में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर हुई. इसमें देश का नाम 'इंडिया' की बजाय सिर्फ 'भारत' किए जाने की मांग की गई थी। *तब (मोदी सरकार) केंद्र ने इस याचिका का विरोध किया था* नवंबर 2015 में केंद्र सरकार ने अपना जवाब देते हुए कहा था, *देश को 'इंडिया' की बजाय 'भारत' कहने की जरूरत नहीं है*

याचिका का विरोध करते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा था कि संविधान के प्रारूप के दौरान संविधान सभा में देश के नाम को लेकर लंबी बहस हो चुकी है और काफी विचार-विमर्श के बाद अनुच्छेद-1 को सर्वसम्मति से अपनाया गया था।

2016 एवं 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने 'इंडिया' का नाम बदलकर 'भारत' करने की याचिका को  दोनों बार यह पुष्टि करते हुए  खारिज कर दिया कि "भारत" और "इंडिया" दोनों का संविधान में उल्लेख है।

अंत मे संविधान में क्या लिखा है उसको भी जान लेते है :-

Article 1 Says "India, that is Bharat, shall be a Union of States." 

भारतीय संविधान के आर्टिकल 1 में लिखा है, 'इंडिया, दैट इज भारत' यूनियन ऑफ स्टेट्स.' 

इंडिया अर्थात भारत, राज्यों का एक संघ होगा

धन्यवाद🙏🙏

Dilip Kumar Udai
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Monday, August 28, 2023

विधायक (एमएलए) के दावेदार!!

 #TheUdai - 26
29 अगस्त 2023
✍दिलीप कुमार उदय
व्यंग्यात्मक अल्फाज प्रस्तुत है :-

विधायक (एमएलए) के दावेदार!!

कोन किस पार्टी से कर रहे है दावेदारी किसको मिलेगा टिकट आदि चर्चाओ का बाजार गर्म होने की कगार पर आ चुका है!!

विधानसभा के चुनाव की तारीख जैसे -जैसे नजदीक आ रही है वैसे वैसे विधायक बनने की तम्मना दिल मे संजोये रखने वाले एवं  राजनीति के क्षेत्र में अपना करियर चुनने एवं समाज सेवा करने की प्रबल इच्छा प्रकट करने वाले भावी विधायक एवं प्रत्याशीजनों को नमस्कार 🙏एवं अग्रिम शुभकामनाएं।😊💐

विधायक बनकर अपने क्षेत्र में विकास की गंगा बहाने का जज्बा रखने वाले ऐसे तमाम लोग विधायक बनने के प्रबल दावेदार है!! पर सोचनीय विषय यह है कि क्या दावेदार सिर्फ पूर्व विधायक, पूर्व में हारे हुए विधायक, हारे हुए पूर्व प्रत्याशी, खुद को शीर्ष नेता के दाएं हाथ- बाएं हाथ कहलवाने वाले, किसी जाति धर्म के विशेष नेता एवं स्वयंभू नेता या किसी पार्टी में विशेष पद पर विराजित लोग ही दावेदार हो सकते है?? कोई किसी पार्टी का समान्य सदस्य या आमजन यह सपना नही देख सकता ??😌😌

बेशक सपने देखने भी चाहिए और सपने को साकार करने के प्रयत्न भी करने चाहिए.......

पार्टीया टिकट नही देती है तो निर्दलीय के तोर पर भी प्रयास करने चाहिए। 

विधानसभा क्षेत्रो में जाति धर्म के बाहुल्य के तौर पर कब तक आमजन को गुमराह किया जाएगा..... फला जाति के इतने प्रतिशत वोट शेयर है तो प्रबल दावेदार फला जाति का ही होगा! यह मानसिकता आमजन के दिल दिमाग मे  बिठा दी गई है।

प्रत्याशी की योग्यता, व्यक्तित्व, संवैधानिक सोच एवं उसके विजन से ज्यादा उसकी जाति एवं उसके धर्म की बात की जाती है।

क्या किसी क्षेत्र में जाति विशेष के बाहुल्यता के अनुसार पार्टियां अपनी टिकट वितरण प्रणाली बनाती है ?? यदि ऐसा ही है तो पार्टियों में सिर्फ औपचारिकता वाली, नाममात्र वाली लोकतांत्रिक व्यवस्था है। 

क्या क्षेत्र विशेष किसी जाति धर्म की बापोती बन चुका है! साहब फला जाति के अलावा कोई नया चेहरा आ गया तो सीट तो गई ..... 

क्या पुराने चेहरों से सब खुश है!! नही तो फिर नए आने दो ना नए लोग आएंगे नया आयाम लिखेंगें, नया इतिहास बनायेंगे।

 लोगो द्वारा आम चर्चा में कहाँ जा रहा है......

अचानक से नए नए चेहरे होर्डिंग/बेनर के माध्यम से दिख रहे हैं सोशल मीडिया के द्वारा दिख रहे हैं। चुनावी मौसम आते ही बिलो से बाहर निकल रहे हैं तो भाई निकलने दो लोकतंत्र है, संवैधानिक देश है सबको हक है,अधिकार है, खुद को स्थापित करने का राजनीति में अपना दमखम दिखाने का भविष्य बनाने का...... अभी तो रेस में सब दौड़ सकते है दौड़ने दो क्या दिक्कत है। दावेदारों की बाढ़ आ रही है तो आने दो, बाढ़ नियंत्रण एवं प्रबंधन की व्यवस्था का जिम्मा पार्टियों का है वे कुशल प्रबंधन करना बखूबी जानते है।

नए चहरे तो चुनावी मौसम में ही आयेंगे , राजनीति की अखाड़े में कूदने आये तो कूदने दो जो पुराने है चुनावी मौसम से पूर्व से ही उछल कूद कर रहे है उन्होंने कोनसा तीर मार लिया ऐसी कोनसी विकास की गंगा बहा दी।

जनता को बगलाकर मुख्य मुद्दों को भटकाने के सिवा करते क्या है सिर्फ अपनी राजनीतिक रोटियां अलग अलग चूल्हों पर सेकते रहते है।

नया जमाना है नई सोच है तो नया सोचिए नया जरूर मिलेगा!

दावेदार युवा हो या वरिष्ठ, सोच नई होनी चाहिए, नई सोच होगी तो बेशक मजेदार और लाजवाब होगी।

अंततः यही कहूंगा जिसने पिछले 5 सालों में क्षेत्र में रहकर समाज सेवा में अग्रणी रहकर खून पसीना बहाया हो तन मन धन से समाज सेवा की हो वो प्रबल दावेदार होगा..... बिल्कुल नही जी......😉🤨🤨

पार्टियों में दावेदार वो होगा जो हाईकमान की नजर में प्रचंड वोट से जीत हासिल करने हेतु सारे साम दाम दंड भेद में निपुण हो ऐसे महानुभाव को आशीर्वाद प्रदान किया जायेगा।

इसलिए कभी कभी चुनावी मौसम के दिनों में बिल से निकलने वाले नए चेहरे भी सितम ढा सकते हैं।

उक्त लेख में प्रयुक्त विचार मेरे निजी है।

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