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Saturday, September 9, 2023

असल मुद्दे बनाम ध्यान भटकाऊ रणनीतिक मुद्दे

 #TheUdai - 27

10 सितम्बर 2023

✍दिलीप कुमार उदय

व्यंग्यात्मक अल्फाज प्रस्तुत है :-

देश के असल मुद्दे बनाम ध्यान भटकाऊ रणनीतिक मुद्दे

सभी को विदित है की देश के असल मुद्दे क्या है!!!

फिर भी राजनीति करने वाले देश की जनता को बगला कर मुख्य मुद्दों से ध्यान हटाकर सिर्फ और सिर्फ ऐसे मुद्दों पर लाकर खड़ा कर देती है जो देश के नागरिकों को बांटने का कार्य बखूबी कर देती है। राजनीतिक पार्टियों को बहुत ही शानदार तजुर्बा और अनुभव है इनके पास विवादित मुद्दों की पूरी खान है कि कब कोनसा किस समय क्या मुद्दा जनता के समक्ष पेश करना है, ताकि असल मुद्दों से ध्यान भटकाकर राजनीतिक लाभ अर्जित किये जा सके।

अभी हाल ही का नया विवादित मुद्दा  *इंडिया बनाम भारत*

देश के राजनीतिक गलियारों से लेकर चाय -चौपाल, तमाम मीडिया, घर परिवार तक एक बहस का मुद्दा बड़ी चालाकी से छोड़ दिया गया है। *इस मुद्दे को लेकर हकीकत में जैसा जनता सोच रही है प्रतिक्रिया कर रही है वैसा कुछ नही है। मुद्दे को सिर्फ चुनावी माहौल में जनता को बगलाने हेतु पेश किया जा रहा है। यह मुद्दा सिर्फ राजनीतिक नफे नुकसान के लिए ही लाया गया है, सत्ता हो या विपक्ष दोनों ही अपनी राजनीतिक रोटियां सेखने में निपुण है।*

देश के सत्ता पक्ष को पटखनी देने हेतु विपक्ष ने इंडिया (Indian National Developmental Inclusive Alliance - I.N.D.I.A) नाम का नया गठबंधन बनाकर देश की राजनीति में उथल पुथल मचाने की तैयारी युद्धस्तर पर की जा रही है।

क्योंकि जैसे ही देश के विपक्ष ने

इंडिया नाम से नया गठबंधन बनाया केंद्र के सत्ता पक्ष को अचानक *इंडिया बनाम भारत याद आ गया।*  संघ प्रमुख ने एक कार्यक्रम में कहाँ कि इंडिया की जगह भारत का नाम इस्तेमाल हो ,एक तरह से यह उनकी अपील थी ..... उसके उपरांत राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की ओर से जी-20 के रात्रिभोज निमंत्रण में  प्रेसिडेंट ऑफ़ इंडिया की जगह प्रेसिडेंट ऑफ़ भारत लिखा होने से लेकर चल रहे ज़ी -20 सम्मेलन तक में...इंडिया बनाम भारत करके मुद्दे को गर्म किया जा रहा है।

विपक्ष (इंडिया दल) आरोप मंढ रहे है कि केंद्र सरकार देश के नाम के तौर पर *इंडिया शब्द का इस्तेमाल बंद करके अब केवल भारत* कहे जाने की योजना पर  कार्य कर रही है।

उपरोक्त आरोप पर केंद्र सरकार हो या राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से आधिकारिक तौर पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

असल मे पिछले 9 वर्षों में कई योजनाएं इंडिया नाम से केंद्र ने चलाई है .....उसी पर तंज कसते हुए कांग्रेस कार्य समिति (CWC) के सदस्य *गुरदीप सप्पल*  ने ट्वीट (अब X) किया है........

मोदी सरकार की दो सौ से ज़्यादा योजनाएँ चल रही हैं। इनमें से:

*52* योजनाओं का नाम इण्डिया पर है

*22* योजनाओं का नाम प्रधानमंत्री पर है 

और सिर्फ़ *5* योजनाओं का नाम भारत पर है।

ये भारत प्रेम नया नया ही है, INDIA गठबंधन से डर कर है।

*मायावती (BSP) ने कहा* : 

भारत बनाम इंडिया में बीजेपी ने गरीबी, महंगाई, बेरोजगारी और विकास के जरूरी मुद्दों को दरकिनार कर दिया है। इसलिए BSP पार्टी... इन जातिवादी, सांप्रदायिक एवं पूंजीवादी गठबंधनो से दूरी बनाए रखना सही समझती है।

*बीजेपी सांसद सुशील मोदी ने कहा*  संविधान में भारत और इंडिया दोनों है, अगर 75 सालों से भारत को इंडिया लिखा गया है तो प्रेसिडेंट ऑफ भारत लिखने में क्या आपत्ति है? हम "भारत माता की जय" बोलते हैं। विपक्ष यदि "इंडिया माता की जय" बोलना चाहे तो बोले।

*अरविंद केजरीवाल ने कहा*  देश 140 करोड लोगों का है किसी एक पार्टी का देश नही है अगर मान लीजिए कल को  इंडिया एलाइंस ने अपना नाम परिवर्तन करके यदि भारत रख लिया तो फिर BJP भारत का नाम भी बदल देंगें ? फिर क्या भारत का नाम बीजेपी रखेंगे!

*कांग्रेस के जयराम रमेश* ने कहा इंडिया शाइनिंग का नारा BJP लेकर आई थी। डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, न्यू इंडिया ऐसे कई चीजे है उसके जवाब में कांग्रेस ने *भारत जोड़ो यात्रा शुरू की।*

*गौरव गोगई* ने कहा इसरो,आईआईटी, आईआईएम, 

आईएस,आईपीएस आदि इन सभी मे आई का मतलब इंडिया ही है BJP सरकार इंडिया गठबंधन से इतना डर गई है कि बेबुनियाद काम कर रही है।

*राहुल गांधी* ने कहा कि : दिलचस्प बात है, हम जब भी अडानी पर सवाल उठाते हैं, मोदी जी एक नया ‘distraction’ ले आते हैं।

'INDIA या भारत' भी एक ऐसा ही मुद्दा है।

अब सबसे दिलचस्प तथ्य यह है कि...*2004 में जब 'भारत' नाम का भाजपा ने विरोध किया था!*

मुलायम सिंह यादव की कैबिनेट ने एक प्रस्ताव पारित किया कि संविधान में संशोधन करके 'इंडिया, दैट इज़ भारत' की जगह 'भारत, दैट इज़ इंडिया' लिखा जाना चाहिए। तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने फिर यह प्रस्ताव राज्य विधान सभा में रखा, *भाजपा को छोड़कर सभी ने इसे स्वीकार कर लिया।* भाजपा ने प्रस्ताव पारित होने से पहले ही वॉकआउट कर दिया था।

वर्ष 2010 और 2012 में कांग्रेस के सांसद शांताराम नाइक ने इस मुद्दे पर दो प्राइवेट बिल पेश किए थे, इस बिल के जरिए उन्होंने *संविधान से इंडिया शब्द पूरी तरह से हटाने का प्रस्ताव रखा था।*

वर्ष *2015 में योगी आदित्यनाथ* भी इस मुद्दे पर प्राइवेट बिल पेश कर चुके हैं। इस बिल में उन्होंने *संविधान में ‘इंडिया, दैट इज भारत’ की जगह ‘इंडिया, दैट इज हिंदुस्तान’ करने का प्रस्ताव दिया था।*

*2015 में मोदी सरकार (BJP) ने किया था विरोध*

वर्ष 2015 में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर हुई. इसमें देश का नाम 'इंडिया' की बजाय सिर्फ 'भारत' किए जाने की मांग की गई थी। *तब (मोदी सरकार) केंद्र ने इस याचिका का विरोध किया था* नवंबर 2015 में केंद्र सरकार ने अपना जवाब देते हुए कहा था, *देश को 'इंडिया' की बजाय 'भारत' कहने की जरूरत नहीं है*

याचिका का विरोध करते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा था कि संविधान के प्रारूप के दौरान संविधान सभा में देश के नाम को लेकर लंबी बहस हो चुकी है और काफी विचार-विमर्श के बाद अनुच्छेद-1 को सर्वसम्मति से अपनाया गया था।

2016 एवं 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने 'इंडिया' का नाम बदलकर 'भारत' करने की याचिका को  दोनों बार यह पुष्टि करते हुए  खारिज कर दिया कि "भारत" और "इंडिया" दोनों का संविधान में उल्लेख है।

अंत मे संविधान में क्या लिखा है उसको भी जान लेते है :-

Article 1 Says "India, that is Bharat, shall be a Union of States." 

भारतीय संविधान के आर्टिकल 1 में लिखा है, 'इंडिया, दैट इज भारत' यूनियन ऑफ स्टेट्स.' 

इंडिया अर्थात भारत, राज्यों का एक संघ होगा

धन्यवाद🙏🙏

Dilip Kumar Udai
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Monday, August 28, 2023

विधायक (एमएलए) के दावेदार!!

 #TheUdai - 26
29 अगस्त 2023
✍दिलीप कुमार उदय
व्यंग्यात्मक अल्फाज प्रस्तुत है :-

विधायक (एमएलए) के दावेदार!!

कोन किस पार्टी से कर रहे है दावेदारी किसको मिलेगा टिकट आदि चर्चाओ का बाजार गर्म होने की कगार पर आ चुका है!!

विधानसभा के चुनाव की तारीख जैसे -जैसे नजदीक आ रही है वैसे वैसे विधायक बनने की तम्मना दिल मे संजोये रखने वाले एवं  राजनीति के क्षेत्र में अपना करियर चुनने एवं समाज सेवा करने की प्रबल इच्छा प्रकट करने वाले भावी विधायक एवं प्रत्याशीजनों को नमस्कार 🙏एवं अग्रिम शुभकामनाएं।😊💐

विधायक बनकर अपने क्षेत्र में विकास की गंगा बहाने का जज्बा रखने वाले ऐसे तमाम लोग विधायक बनने के प्रबल दावेदार है!! पर सोचनीय विषय यह है कि क्या दावेदार सिर्फ पूर्व विधायक, पूर्व में हारे हुए विधायक, हारे हुए पूर्व प्रत्याशी, खुद को शीर्ष नेता के दाएं हाथ- बाएं हाथ कहलवाने वाले, किसी जाति धर्म के विशेष नेता एवं स्वयंभू नेता या किसी पार्टी में विशेष पद पर विराजित लोग ही दावेदार हो सकते है?? कोई किसी पार्टी का समान्य सदस्य या आमजन यह सपना नही देख सकता ??😌😌

बेशक सपने देखने भी चाहिए और सपने को साकार करने के प्रयत्न भी करने चाहिए.......

पार्टीया टिकट नही देती है तो निर्दलीय के तोर पर भी प्रयास करने चाहिए। 

विधानसभा क्षेत्रो में जाति धर्म के बाहुल्य के तौर पर कब तक आमजन को गुमराह किया जाएगा..... फला जाति के इतने प्रतिशत वोट शेयर है तो प्रबल दावेदार फला जाति का ही होगा! यह मानसिकता आमजन के दिल दिमाग मे  बिठा दी गई है।

प्रत्याशी की योग्यता, व्यक्तित्व, संवैधानिक सोच एवं उसके विजन से ज्यादा उसकी जाति एवं उसके धर्म की बात की जाती है।

क्या किसी क्षेत्र में जाति विशेष के बाहुल्यता के अनुसार पार्टियां अपनी टिकट वितरण प्रणाली बनाती है ?? यदि ऐसा ही है तो पार्टियों में सिर्फ औपचारिकता वाली, नाममात्र वाली लोकतांत्रिक व्यवस्था है। 

क्या क्षेत्र विशेष किसी जाति धर्म की बापोती बन चुका है! साहब फला जाति के अलावा कोई नया चेहरा आ गया तो सीट तो गई ..... 

क्या पुराने चेहरों से सब खुश है!! नही तो फिर नए आने दो ना नए लोग आएंगे नया आयाम लिखेंगें, नया इतिहास बनायेंगे।

 लोगो द्वारा आम चर्चा में कहाँ जा रहा है......

अचानक से नए नए चेहरे होर्डिंग/बेनर के माध्यम से दिख रहे हैं सोशल मीडिया के द्वारा दिख रहे हैं। चुनावी मौसम आते ही बिलो से बाहर निकल रहे हैं तो भाई निकलने दो लोकतंत्र है, संवैधानिक देश है सबको हक है,अधिकार है, खुद को स्थापित करने का राजनीति में अपना दमखम दिखाने का भविष्य बनाने का...... अभी तो रेस में सब दौड़ सकते है दौड़ने दो क्या दिक्कत है। दावेदारों की बाढ़ आ रही है तो आने दो, बाढ़ नियंत्रण एवं प्रबंधन की व्यवस्था का जिम्मा पार्टियों का है वे कुशल प्रबंधन करना बखूबी जानते है।

नए चहरे तो चुनावी मौसम में ही आयेंगे , राजनीति की अखाड़े में कूदने आये तो कूदने दो जो पुराने है चुनावी मौसम से पूर्व से ही उछल कूद कर रहे है उन्होंने कोनसा तीर मार लिया ऐसी कोनसी विकास की गंगा बहा दी।

जनता को बगलाकर मुख्य मुद्दों को भटकाने के सिवा करते क्या है सिर्फ अपनी राजनीतिक रोटियां अलग अलग चूल्हों पर सेकते रहते है।

नया जमाना है नई सोच है तो नया सोचिए नया जरूर मिलेगा!

दावेदार युवा हो या वरिष्ठ, सोच नई होनी चाहिए, नई सोच होगी तो बेशक मजेदार और लाजवाब होगी।

अंततः यही कहूंगा जिसने पिछले 5 सालों में क्षेत्र में रहकर समाज सेवा में अग्रणी रहकर खून पसीना बहाया हो तन मन धन से समाज सेवा की हो वो प्रबल दावेदार होगा..... बिल्कुल नही जी......😉🤨🤨

पार्टियों में दावेदार वो होगा जो हाईकमान की नजर में प्रचंड वोट से जीत हासिल करने हेतु सारे साम दाम दंड भेद में निपुण हो ऐसे महानुभाव को आशीर्वाद प्रदान किया जायेगा।

इसलिए कभी कभी चुनावी मौसम के दिनों में बिल से निकलने वाले नए चेहरे भी सितम ढा सकते हैं।

उक्त लेख में प्रयुक्त विचार मेरे निजी है।

लेख पर प्रतिक्रिया दीजिये, लाइक एवं शेयर भी कीजिये।

धन्यवाद🙏🙏
Dilip Kumar Udai
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Friday, November 18, 2022

दिशा सूचक बोर्ड बन गए है- नेता सूचक बोर्ड

 #The Udai - 25
18 नवंबर 2022

✍️दिलीप कुमार उदय

व्यंग्यात्मक अल्फाज प्रस्तुत है :-

दिशा सूचक बोर्ड बन गए है- नेता सूचक  बोर्ड

(पुष्कर - 0 KM, जयपुर - 145 KM, ब्रह्मा मंदिर ---->> )  इस तरह से लिखे हुए दिशा सूचक बोर्ड पुष्कर के प्रमुख मार्गो पर स्थित है।

पुष्कर एक धार्मिक एवं अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल है जो सभी को विदित है सभी भली भांति जानते है परंतु यहाँ पर सभी प्रमुख मार्गों पर लगे हुए दिशा सूचक बोर्ड पर आए दिन बेनर, होर्डिंग्स टंगे रहते है उसी संदर्भ में लेख प्रस्तुत है:-

अमूमन पूरे देश में नेशनल, स्टेट हाइवे रोड पर शहर -कस्बो एवं  गांवों में दिशा सूचक बोर्ड लगे हुए होते है जो सभी आमजन , राजनेताओ एवं रसूखदारों को पता है। यह दिशा सूचक आमजन हो यात्रीगण हो सभी को गंतव्य स्थान तक पहुँचने के लिए मददगार साबित होते है क्योकि इनपर विभिन्न स्थानों के मार्गों की दूरी आदि की जानकारी अंकित होती है। 

तकनीक के इस दौर में इलेक्ट्रॉनिक गेजर्ट्स स्मार्ट यूज़र्स गूगल मैप जैसी एप्लिकेशन से भी गंतव्य स्थान तक पहुँच जाते है।

 राजस्थान सरकार की राजधारा एप्लिकेशन से भी सरकारी विभाग- कार्यालय एवं आमजन की सुविधार्थ  एवं आवश्यक सेवाओं के महत्वपूर्ण स्थानों को इस ऐप के माध्यम से ढूंढा जा सकता है।

तकनीक के इस दौर की बात ही निराली है, तकनीकी ज्ञान में हर कोई निपुण नही है, इसलिए राज्य एवं स्थानीय सरकारों द्वारा लगाए गए दिशा सूचक बोर्ड आजकल नेता सूचक एवं रसूकदार सूचक बोर्ड बनकर रह गए है 

आये दिन किसी न किसी पार्टी विशेष नेताओ के या रसूकदार लोगो द्वारा स्वयं एवं पार्टी प्रचार प्रसार हेतु या फिर जन्मदिवस के स्वागत सत्कार, विशेष पर्व आदि आदि.... की शुभकामनाएं प्रेषित करने हेतु बड़े बड़े होर्डिंग्स ,बेनर को दिशा सूचक बोर्ड पर टांग दिया जाता है जब तक तेज हवाओं का दौरे शुरू नही होता या फिर होर्डिंग्स फट नही जाता या

कोई नया बेनर नही लगा दिया जाता तब तक होर्डिंग्स या बेनर दिशा सूचक बोर्ड पर सजा रहता है!

निजी वाहन से लेकर यात्री वाहन, ट्रांसपोर्ट वाहन आदि से यात्री या आमजन की नजरें दिशा सूचक बोर्ड ढूंढती रहती है जब दिशा सूचक बोर्ड नजर आता है तब उसपे गंतव्य स्थान या मार्ग दूरी नजर नही आती है नजर आती है फलाने नेता या फलाने रसूकदार द्वारा हमारे शहर कस्बे में आपका स्वागत अभिनन्दन है। स्थान की जगह या मार्ग का तो पता नही पर यात्री को नेता या रसूकदार लोगो के  नाम जरूर पता चल जाते है। 

दिशा सूचक बोर्ड के साथ साथ पुष्कर में प्रवेश करते ही महात्मा गांधी सर्किल भी आये दिन नेता स्वागत सर्किल बन जाता है। महात्मा गांधी जी तो सर्किल में नजर ही नही आते क्योकि गांधी जी की प्रतिमा के बिल्कुल सामने बेनर लगा दिया जाता है। गांधी जी तो नजर नही आते है नजर आते है मुस्कुराते हुए नेताजी, फलाने जी, रसूकदार जी के बड़े बडे होर्डिंग्स एवं बेनर। 

पता नही क्यो विज्ञापन हेतु निर्धारित स्थान पर बेनर लगाने में इनको इतना परहेज क्यू रहता है! उपरोक्त बताई गई जमात को लगता है कि बेनर दिशा सूचक बोर्ड एवं गांधी सर्किल पर स्थित गांधी जी की प्रतिमा के बिल्कुल सामने लगाने से ही इनकी कद काठी लोगो को पता चलेगी। 

बेचारे कई शिर्ष नेताओ ओर रसुकदारो को तो पता ही नही की मेरा मुस्कुराता हुआ इठलाता हुवा इतराता हुवा, काले ऐनक के साथ फलाने श्रीमान के साथ दिशा सूचक बोर्ड पर कितने महीनों से टंगा हुवा है। यह टंगा हुवा बेनर आमजन को यात्रियों को कितनी तकलीफ देय पैदा कर रहा होगा इनसे अंजान है बेचारे क्या करे कार्यकर्ताओं का मित्रो का मान रखने के लिए टंगे रहते है!😊

आमजन यात्रीगण दूसरे माध्यम से पता लगाते रहते है किस स्थान तक किस मार्ग तक पहुँचे है क्योकि शहर के सभी दिशाओं में लगे दिशा सूचक बोर्ड तो नेताओ और रसूकदार के बैनरो से होर्डिंग्स से ढके हुए जो रहते है।

सोचिये -  दिशा सूचक बोर्ड जरूरी है या दिशा सूचक बोर्ड पर इन लोगो के बेनर, होर्डिंग्स जरूरी है ?? 🤨🤨

कई जगह पर दिशा सूचक बोर्ड में एक तरफ विज्ञापन हेतु जगह निर्धारित होती है और कई जगह पर नही होती है। ज्यादातर अक्सर ऐसा देखा जा सकता है कि जहाँ दिशा सूचक बोर्ड लगे हुए है उनपर विभिन्न स्थानों की दिशा एवं दूरी अंकित होती है उस दिशा सूचक बोर्ड पर अधिकांश समय बेनर ही टंगे रहते है।

बेचारे अधिकारी, कर्मचारी भी विवश है दिशा सूचक बोर्ड से बेनर हटाने का साहस कभी नही दिखाते यदि साहस दिखा दिया तो उस अधिकारी, कर्मचारी का भगवान ही मालिक है !! क्योकि पुष्कर की जनता में मौजूद राजनीतिक पार्टी के कार्यकर्ता, रसूकदार एवं नेता स्वयं को प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक, उच्च अधिकारी के खासमखास दाएं- बाएं हाथ, कलाई, भुजा, हथेली, अंगुली पता नही क्या क्या समझते है 🤙🙋‍♂️☝️🫴🫲🫵 😜😎

दिशा सूचक बोर्ड पर बेनर होर्डिंग्स के मामले में विरोधी पार्टियां सदैव मित्रता का भाव रखती है इस मामले में इनके विचार बड़े नेक है!😊

उक्त लेख में प्रयुक्त विचार मेरे निजी है।

 लेख मजेदार लगा तो प्रतिक्रिया दीजिये, लाइक एवं शेयर भी कीजिए।

धन्यवाद🙏🙏

✍️

Dilip Kumar Udai
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Friday, February 25, 2022

राजस्थान के 2022-23 बजट में पुष्कर सरोवर के लिए अलग से नही हुई बजट घोषणा !!

 #The Udai -24
25 फरवरी 2022

✍️दिलीप कुमार उदय

व्यंग्यात्मक अल्फाज प्रस्तुत है :-

*राजस्थान के 2022-23 बजट* में  पुष्कर सरोवर के लिए अलग से नही हुई बजट घोषणा !!

*अलग से बजट घोषणा नही हुई तो क्या पुष्कर सरोवर का विकास रुक जायेगा समस्याओं का निवारण नही होगा???*

*सत्ता पक्ष के एवं विपक्ष के नेता पुष्कर सरोवर के इर्द गिर्द परिक्रमा करते रहते है इनकी परिक्रमा पिछले कई सालों से पूरी नही हो पा रही है !*

*पूर्व शिक्षा मंत्री नसीम मेडम पुष्कर को लेकर सदैव चिंतित रहती है* इनका चिंतित रहना स्वाभाविक भी है पुष्करराज एवं जनता के आशीर्वाद से विधायक रहते हुये शिक्षा मंत्री का पदभार मिला था। *वो अलग बात है कि पिछले 2 चुनावो में जनता का आशीर्वाद नही मिल पाया परन्तु पुष्करराज का आशीर्वाद बरकरार रहा जिसके तहत वर्तमान में प्रदेश कांग्रेस कमेटी में उपाध्यक्ष पद पर है।* खेर लोकतंत्र में किसी को जीत और किसी को हार नसीब होनी है।

 मेडम ने अपने अथक  प्रयास से सरोवर के लिए मीटिंग्स आयोजित की डीपीआर को बजट में शामिल करवाने हेतु जद्दोजहद भी की, जब बजट में डीपीआर शामिल नही हुई तो *ठीकरा अधिकारियों के माथे डाल दिया गया। अधिकारियों को दोषी करार देकर उन्हें लापरवाह घोषित करते हुए कार्यवाही की मांग तक कर डाली है।* पुष्कर सरोवर के लिए बजट घोषणा नही होने पर CM को पत्र भी लिख दिया है। *पुष्कर सरोवर बजट को लेकर अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बनाकर चेन से नही बैठूंगी वाला दांव भी लगा दिया है.....अब देखो यह दांव कितना कारगर सिद्ध होता है!!*

🤔सोचनीय विषय यह है कि पुष्कर सरोवर में बरसाती गंदे पानी वाली समस्या तो सालो से है। *राजस्थान का बजट अचानक तो घोषित हुवा नही, तय समयावधि में ही बजट आता है तो उसके अनुसार पूर्व में  तैयारी कर लेनी चाहिए थी इतनी ढिलाई क्यो बरती गई ??*🤔🤔

*वैसे प्रतिष्ठा का दांव तो वर्तमान विधायक श्री सुरेश रावत को भी लगाना चाहिए उन्हें जनता ने 2 बार चुना है आगामी चुनाव तक 10 वर्ष पूरे भी हो जायेंगे। उन्होंने हजारो करोड़ रुपये के विकास कार्य करवाये थे तो पुष्कर सरोवर विकास ओर बरसाती पानी के साथ गंदे पानी की समस्या अछूती कैसे रह गई , इनके पूर्व कार्यकाल के समय केंद्र, राज्य, सांसद एवं विधायक सभी एक पार्टी से थे पूरी चेन थी फिर भी समस्या जस की तस कैसे रह गई। यह जनता हेतु गहन अध्ययन का विषय है।*😉😉

इन्होंने डीपीआर (Detailed Project Report) मामले को लेकर कहां था कि यह राशि *ऊंट के मुंह मे जीरा है, माना कि जीरा है आप आपके विधायक कोष से एवं आपकी पार्टी के सांसद कोष से या केंद्र द्वारा ऊंट के मुंह मे राई* जितना ही कर दिखा दीजिये ना  😊😊

*पुष्कर सरोवर के बरसाती पानी के साथ गंदे पानी वाली समस्या का निवारण बहुत आवश्यक है इसका समाधान सर्वप्रथम होना जरूरी है।* 

🙏🙏

राजस्थान बजट में पर्यटन को लेकर भी महत्वपूर्ण घोषणाएं हुई है जिन्हें जानना भी जरूरी है :- 

*पुष्कर धार्मिक नगरी के साथ साथ अंतराष्ट्रीय पर्यटन स्थल भी है। राजस्थान के प्रमुख पर्यटक स्थलो में पुष्कर का महत्व क्या है सर्वविदित है।*

*पर्यटन, कला एवं संस्कृति* और *आधारभूत संरचना* के तहत *सड़क एवं सुनियोजित विकास हेतु स्वीकृत बजट से भी पुष्कर की कायापलट हो सकती है !!*  

*पर्यटन :-* इस बजट में *1 हजार करोड़* का पर्यटन विकास कोष बनाया गया है।

 *400 करोड़ रुपये प्रदेश की Tourism Destination के रूप में Branding करने, जिसमे Media Plan, Events, Concerts आदि शामिल होंगे*

 तथा *600 करोड़ रुपये पर्यटन स्थलों/ सर्किट से संबंधी आधारभूत संरचना के कार्यो के लिए खर्च किए जायेंगे।*

*साथ ही प्रत्येक जिले में 2-2 पर्यटक स्थलों को चिन्हित कर जन सुविधा संबंधी 100 करोड रुपए के कार्य आगामी वर्ष हाथ में लिए जाना प्रस्तावित है।*

*साहसिक पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए एडवेंचर टूरिज्म प्रमोशन स्कीम लाई जायेगी* 

*पर्यटकों को सुविधा उपलब्ध कराने की दृष्टि से 10 करोड रुपए की लागत से एकीकृत ऑनलाइन बुकिंग पोर्टल मोबाइल एप्स विकसित किए जाएंगे।*

*पर्यटकों की सहायता एवं सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों हेतु 500 पर्यटक मित्र भर्ती किये जायेंगे।*

*आधारभूत संरचना के तहत* :-

नाथद्वारा -राजसमंद, *पुष्कर- अजमेर*, पिलानी -झुंझुनू ,एवं माउंट आबू -सिरोही में  *₹160 करोड़* की लागत से सौंदर्यीकरण अन्य आधारभूत कार्य करवाये जायेंगे।

*(160 करोड़ में से पुष्कर हेतु कितने करोड़ का सौंदर्यीकरण  होगा ??)*

*राजस्थान के बजट में पर्यटन को खासा महत्व दिया गया है उस लिहाज से देखा जाए तो पुष्कर के विकास को पंख लगने चाहिए!!*

 *राजनीति महत्वकांशा एवं गुटबाजी पंख को कतरने का प्रयास न करे तो विकास नामी पंख की उड़ान पुष्कर के लिए शानदार हो सकती है।*

*कांग्रेस की आपसी गुटबाजी के  एवं राजनीतिक वर्चस्व की उठापटक के कारण पुष्कर में नवीन 100 बेड के हॉस्पिटल की राजनीति देख चुके है। हॉस्पिटल मुद्दा अभी शांत है, अभी सरोवर मुद्दे का शोर है राजनेता शोर मचाकर जनता को गुमराह करने में माहिर होते है जनता समझ ही नही पाती आखिर राजनेता चाहते क्या है।*

खेर वर्तमान मुद्दे की बात की जाए *राजनीतिक प्रतिष्ठा किसकी बरकरार रहती है यह आगामी समय ही बताएगा क्योकि पर्यटन के लिहाज से पुष्कर का पर्यटक की दृष्टि से विकास अब RTDC चेयरमैन धर्मेंद्र सिंह राठौड़ के हाथों में भी आ गया है।* आगामी विधानसभा चुनाव से पहले RTDC चेयरमैन पुष्कर की काया पलटने में कितनी रुचि रखते है और रुचि धरातल पर कब आएगी यह तो आने वाला समय ही बता पायेगा।

*पर्यटन विकास कोष से या अन्य विकास कोष से पुष्कर सरोवर हेतु भरपूर आवश्यक पूरा कोष या ऊंट के मुंह में जीरा जितना या ऊंट के मुंह में राई जितना कितना कोष मिलता यह देखना बड़ा दिलचस्प होगा।*🤨🤨

स्थानीय निकाय, अजमेर विकास प्राधिकरण, पर्यटन विभाग, संबंधित अन्य विभाग  एवं राजनेता सब मिलकर पुष्कर की काया पलट सकते है!! यदि इनकी इच्छाशक्ति प्रबल रूप से कार्य करे तो।

राजस्थान बजट की पूरे देश मे विपक्ष को छोड़कर सभी तारीफ कर रहे है और *पुष्कर में बजट को लेकर राजनीति वर्चस्व की लड़ाई शुरू हो गई जिसे मीडिया बड़े मजे से भुना रहा है*😊😊

लेख में प्रयुक्त विचार मेरे निजी है।

धन्यवाद🙏🙏


✍️ Dilip Kumar Udai 
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Thursday, February 24, 2022

 #The Udai -23

24 फरवरी 2022

✍️दिलीप कुमार उदय

 

राजस्थान के बजट की पूरे देश में चर्चा 

विपक्ष को नहीं भाया बजट

बजट को लेकर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया का विवादित बयान भी सुर्खियों में


राज्य बजट के राजकोषीय संकेतक :-

👉 वर्ष 2022-23 के बजट अनुमानों में ₹ 2 लाख 14 हजार 977 करोड़ 23 लाख की राजस्व प्राप्तियां

👉 वर्ष 2022-23 के बजट अनुमानों में ₹2 लाख 38 हजार 465 करोड़ 79 लाख का राजस्व व्यय

👉 वर्ष 2022-23 के बजट अनुमानों में राजस्व घाटा ₹ 23 हजार 488 करोड़ 56 लाख

👉 वर्ष 2022-23 का राजकोषीय घाटा ₹ 58 हजार 211 करोड़ 55 लाख जो GSDP का 4.36 प्रतिशत है

सर्वाधिक चर्चा के मुख्य बिंदु :-

👉 राज्य का प्रथम कृषि बजट

👉 "सरकारी कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाल

👉 चिरंजीवी योजना में पंजीकृत 1.33 करोड़ महिलाओं को मुफ्त मोबाइल साथ मे डेटा भी

👉 1 लाख युवाओं को रोजगार

👉 समस्त 118 लाख घरेलू उपभोक्ताओं को राहत-100 यूनिट तक प्रतिमाह उपभोग करने वालों को 50 यूनिट बिजली निःशुल्क, 150 यूनिट तक 3 रुपये प्रति यूनिट का अनुदान तथा 150 से 300 यूनिट तक के उपभोग पर 2 रुपये प्रति यूनिट अनुदान

👉 चिरंजीवी योजना में  प्रति परिवार 10 लाख रुपये का सालाना चिकित्सा बीमा (पहले 5 लाख था अब 10 लाख) साथ ही 5 लाख का निःशुल्क दुर्घटना बीमा कवर भी। सभी श्रेणी के राजकीय चिकित्सा संस्थानों में उपलब्ध Outdoor (OPD) एवं Indoor (IPD) सुविधाएं समस्त प्रदेशवासियों के लिए पूर्णतः निःशुल्क

 👉 टूरिज्म को इंडस्ट्री का दर्जा एवं राजस्थान रूरल टूरिज्म स्कीम, ₹ 1000 करोड़  का पर्यटन विकास कोष

राजस्थान के मुख्यमंत्री ने राज्य का सालाना बजट पेश किया सरकार के समर्थक बजट को बेहतरीन बताकर प्रशंसा कर रहे हैं वही विपक्ष में बैठे लोग विरोध करते हुए जनता से छलावा बता रहे है उसी कड़ी में अब विवादित बयान का जिक्र कर लेते है:-

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा वर्ष 2022-23 के लिए बजट पेश करने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए BJP के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पुनिया ने कहा था कि यह बजट लीपापोती वाला बजट है ऐसा लग रहा है कि किसी काली दुल्हन को ब्यूटीपार्लर में ले जाकर उसका अच्छे से शृंगार करके पेश कर दिया गया हो इससे ज्यादा इस बजट में मुझे कुछ नहीं लगता.....

उक्त अटपटे विवादित बयान के बाद कांग्रेस के निशाने पर आ गए पुनिया :- कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं ने विवादित बयान  को अभद्र और गैरजिम्मेदाराना बताया है और कहां की ऐसी टिप्पणियों से न सिर्फ महिलाओं का अपमान किया है, बल्कि महिलाओं की गरिमा को भी ठेस पहुंचाई है।

कांग्रेस की महिला इकाई ने भी राजस्थान के वार्षिक बजट पर BJP के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया की कथित विवादित टिप्पणी को लेकर आरोप लगाया है कि महिला विरोधी मानसिकता भाजपा के डीएनए में है।

काली दुल्हन वाले विवादित बयान से चौतरफा घिरने के बाद पुनिया ने माफी मांगी

बोले मेरे कहे शब्दो से किसी को ठेस लगी हो भावनाएं आहत हुई तो मैं क्षमा प्रार्थी हूं।

राज्य महिला आयोग अध्यक्ष रेहाना रियाज चिश्ती ने कहा कि पुनिया की टिप्पणी नस्लभेदी एवं अपमानजनक है, पुनिया के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने हेतु विधानसभा अध्यक्ष को भेजा जाएगा नोटिस ......

उक्त विवाद से राजस्थान का सियासी माहौल हुवा गर्म

 मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत जी द्वारा बजट भाषण में प्रस्तुत कुछ पंक्तियाँ जो हर व्यक्तित्व को निर्देशित करती है ब्लॉग के द्वारा आपके समक्ष प्रस्तुत है :-

🌻 "युवा पीढ़ी सिंह की भांति सभी समस्याओं से लड़ सकती है।

🌻 "न थके अभी पैर, ना अभी हिम्मत हारी है। हौसला है जिंदगी में कुछ कर दिखाने का, इस लिए अभी भी सफर जारी है।।

🌻 'अपने पैसे पर भरोसा मत करो बल्कि अपने पैसे को भरोसे में रखो ' 

🌻 ना पूछो मेरी मंजिल कहाँ है, अभी तो सफर का इरादा किया है। ना हारूंगा हौसला उम्र भर, ये मैंने किसी से नहीं खुद से वादा किया है।।


धन्यवाद।🙏

✍️

Dilip Kumar Udai 

B.J., B.A., M.A.

Independent Journalist,

IT Professional &

Entrepreneur


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