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Saturday, August 22, 2020

#सांसद औऱ विधायक पर तीर्थ पुरोहितों का आखिरकार ग़ुस्सा फूटा

 #TheUdai -12

22-08-2020

✍️ दिलीप कुमार उदय 


#सांसद औऱ विधायक पर तीर्थ पुरोहितों का आखिरकार ग़ुस्सा फूटा


मेने अपने पिछले ब्लॉग  #TheUdai -10 में लिखा था  *कस्बेवासियों को गुस्सा क्यो नही आता ???*


आज के उक्त गुस्से को लेकर अल्फाज प्रस्तुत है.......


*पुष्कर विधायक जी संत का चोला ओढ़े गांव गांव घूमकर विभिन्न मंदिरों से मिट्टी एकत्रित कर चुके है अब अयोध्या में कूच करेंगे...क्यो कूच करेंगे यह सबको विदित है, इसलिए भाजपा पार्टी से अजमेर जिले के सांसद, पुष्कर  के विधायक, अन्य भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ पुष्कर सरोवर में पूजापाठ करने पहुँचे थे पूजापाठ के बाद आज वहाँ मौजूद तीर्थ पुरोहितों ने पुष्कर सरोवर की समस्या को लेकर सांसद भागीरथ जी चौधरी, विधायक सुरेश जी रावत और भाजपा नेताओं के समक्ष पुष्कर की सबसे मुख्य समस्या- पुष्कर सरोवर में सीवरेज (ड्रेनेज सिस्टम) का गंदा पानी जो कि सरोवर में मिलकर सरोवर के पवित्र पानी को मेला कर रहा है। इस समस्या को लेकर इन राजनेताओं को तीर्थपुरोहितों ने ख़रीखोटी सुनाई और  निवेदन भी किया*।


ऐसा गुस्सा और खरीखोटी सभी तीर्थपुरोहितों के साथ साथ सभी पुष्करवासी भी कायम रखे ताकि कुम्भकर्ण की नींद सोए राजनेताओ को बार बार जगाने के काम आ सके। 


तीर्थपुरोहितों द्वारा खरीखोटी सुनाने पर भाजपा नेताओ का रटा रटाया *जवाब अभी कोरोना चल रहा है हमारा सारा फंड कोरोना आपदा में चल गया है यानि कोरोना नही होता तो आज के आज समस्या का निवारण कर देते साहब!*


*दूसरा जवाब - राज्य में अभी हमारी सरकार नही है, यानी कि पिछले कार्यकाल के 5 वर्ष में तो कई तीर मार लिए थे! यानी कि इन नेताओ के अनुसार पुष्कर की उक्त सारी समस्या तो अभी अभी जुम्मे जुम्मे पैदा हुई है मतलब!*


विधायक जी अब कह रहे है कि इस समस्या को लेकर अभियान चलायेंगे आंदोलन करेंगे!!

*काश विधायक जी पिछले 5 वर्ष के कार्यकाल पर नजर डालते जब पुष्कर नगर पालिका, राज्य सरकार वह केंद्र सरकार सभी जगह भाजपा पार्टी एवं भाजपा पार्टी का प्रचंड बहुमत वाली सरकार थी उसके बाद भी पुष्कर सरोवर की समस्या का समाधान नही कर पाए।* समाधान कर देते तो आज ऐसे जनता के सामने आड़े हाथ नही आते ओर ना ही खरी खोटी सुनने को मिलती खेर *राजनेताओं को खरीखोटी सुनने से कोई खास फर्क नही पड़ता! राजनेता खुद को खरा साबित करने के लिए पार्टी में अपनी जाजम मजबूत करने में लगे रहते है। जनता की जाजम से इनको कोई सरोकार नही होता है!*


*जब राजनेता सत्ताधारी पार्टी में होते है तब कहते है समस्याओं के निवारण हेतु योजना सरकार के पास भेज रखी है, जल्द ही निवारण हो जाएगा ऐसा आश्वासन देते हुए कई बार आपने सुना होगा।*


और जब यही *राजनेता जब विपक्ष में होते है तब कहते है हमारी सरकार नही है तो भाई सरकार है किसकी..... ?? समझिए नेताओ के लिए केवल पक्ष और विपक्ष होता है।* 

सरकार और जनता के बीच की कड़ी को निभाने वाले राजनेता अक्सर इस कड़ी को अलग करके रख देते है जब खुद को फिर से चमकाना हो या सत्ता में अपने नंबर बढ़ाने हो तब यह पुनः इस कड़ी को जोड़ने का प्रयत्न करते रहते है बाकी समय यह कुम्भकर्ण की नींद सोते है। 


इसलिए पुष्कर की विभिन्न समस्याओं का समाधान करने हेतु जनता को ही आगे आकर सचेत होकर एकजुट होकर पार्टीबाजी से निकलकर पुष्कर के हित को देखकर सतर्क होकर समाधान करवाने के प्रयास करने होंगे।


उक्त लेख के विचार मेरे निजी है।

✍️धन्यवाद

Dilip Kumar Udai

*"The Udai"*

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Thursday, August 13, 2020

47 दिन बाद पुष्कर में ढकी हुई अम्बेडकर प्रतिमा से थैली हटी

 #The Udai -11

13-08-2020

✍️ दिलीप कुमार उदय 


#47 दिन बाद पुष्कर में ढकी हुई अम्बेडकर प्रतिमा से थैली हटी


*आखिरकार पूर्व पार्षद चांदमल जी उदय द्वारा राजस्थान संपर्क पोर्टल पर की गई ऑनलाइन शिकायत का असर हुआ और प्रशासन की नींद जागी!*


प्रशासन का कहना रहा कि संविधान निर्माता अम्बेडकर साहब की प्रतिमा स्वतंत्रता दिवस पर ढकी ना रहे इसलिए प्रशासन ने थैली हटाई।


लगता है स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) का पर्व नही होता तो  शायद पता नही ओर कितना इन्तेजार करना पड़ता खेर *देर आये दुरस्त आये।*


*गौरतलब है कि दिनांक 26 जून 2020 को प्रतिमा को अनाधिकृत रूप से बिना किसी प्रशासनिक आदेश वह बिना किसी अधिकार के एक व्यक्ति विशेष ने राजनीति करने की मंशा से अंबेडकर साहब की प्रतिमा को पॉलिथीन के बड़े थैले से ढक दिया और फिर रस्सी से नीचे के भाग को बांध दिया गया तथा सोशल मीडिया पर भड़काऊ बयान देकर एक वर्ग विशेष को गुमराह किया गया।*


*उक्त घटना को लेकर पूर्व पार्षद चांदमल जी उदय* ने बताया कि पुलिस थाना पुष्कर, उपखंड अधिकारी पुष्कर,

अध्यक्ष एवं अधिशासी अधिकारी नगर पालिका पुष्कर को अम्बेडकर प्रतिमा ढकने वाले व्यक्ति के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई एवं उक्त थैली को हटाने का निवेदन भी किया गया था। परन्तु प्रसाशन द्वारा किसी भी तरह की कोई कार्यवाही नही होने पर *पुनः स्मरण पत्र दिए गए* फिर भी प्रसाशन के द्वारा कोई कार्यवाही नही हुई। केवल  मौखिक वार्तालाप में आश्वासन के अलावा कुछ नही मिलता देख *आखिरकार राजस्थान संपर्क पोर्टल पर ऑनलाइन शिकायत की गई।* 


लगता है उक्त शिकायत का ही नतीजा है कि 15 अगस्त से पहले आज बाबा साहेब की प्रतिमा पर लगी हुई थैली हटी एवं प्रतिमा को दुरस्त किया गया।


उक्त घटना को देखते हुए यदि आम व्यक्ति महापुरुषों की प्रतिमा को अपने स्तर पर ही ढककर बंद कर देगा तो इस प्रकार महापुरुषों की प्रतिमाओ का अपमान दिन प्रतिदिन बढ़ता जाएगा आमजन कानून को अपने हाथ में लेने लगेगा जो उचित और न्यायसंगत नहीं है।

 

उक्त लेख मेरे निजी विचार है साथ ही उक्त घटना पर मीडिया में दिये गए बयानों और खबर का विश्लेषण करते हुए लेख को प्रस्तुत किया गया 


✍️धन्यवाद

Dilip Kumar Udai

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Thursday, August 6, 2020

कस्बेवासियों को गुस्सा क्यो नही आता ???

#The Udai -10
06-08-2020
✍️ दिलीप कुमार उदय 

# *कस्बेवासियों को गुस्सा क्यो नही आता ???*

अल्फाज प्रस्तुत है.......
आज जिक्र करते है सुन्दरता से श्रृंगारीत एक बेहतरीन विश्व विख्यात कस्बे की....इस कस्बे की सबसे शानदार खूबी यह है कि इस कस्बे के मध्य में *सरोवर,इर्दगिर्द घने पहाड़, वर्षाकालीन- नदी झरने,पानी,जंगल, रेगिस्तान, हरियाली (ग्रीनबेल्ट) यह सभी एक ही जगह इस कस्बे में एक साथ आसपास मौजूद है।* इन सभी प्राकृतिक सरंचना का एक ही जगह पर एक साथ आसपास उपलब्ध होना बहुत ही बेहतरीन ओर विचित्रता को दर्शता है। *दुनिया मे अमूमन ऐसा स्थान बहुत ही कम देखने को मिलेगा* इस बेहद खूबसूरत कस्बे की सरंचना का जिक्र हिन्दू धर्मिक ग्रन्थो ओर हिन्दू प्राचीन मंदिरों से लेकर मुगलकालीन और जैन धर्म तक के पुरातत्त्व अवशेष का इतिहास सिमटे हुए है। *दुनिया के नक़्शे पर यह अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल एवं तीर्थनगरी पुष्कर है।* 👏👏

पुष्कर क्षेत्र का जो *धार्मिक,आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक ढांचे का जो स्वरूप है* उसमे पुष्कर सरोवर, ब्रह्मा मंदिर एवं अन्य सेकड़ो मंदिर, पर्यटन स्थल, कपड़ा व्यवसाय (एक्सपोर्ट), होटल, धर्मशालायें, गुलाब, गुलकंद, आंवला, जामुन आदि एवं इनसे जुड़े अनेक छोटे ओर बड़े व्यवसाय का प्रमुख स्थान है।

पुष्करराज भृमण हेतु आने वाले लोगो को दो भागों में विभक्त किया जा सकता है!

*पहले : तीर्थयात्री*
*दूसरे : पर्यटक (देशी और विदेशी)*

तीर्थयात्री :- पुष्कर आने वाले अधिकतर तीर्थयात्री सिर्फ 1 दिन पुष्कर को देते है जिसमे  तीर्थयात्री पुष्कर सरोवर , बह्मा मंदिर ओर कुछ अन्य मंदिर के दर्शन करके  दान, दक्षिणा देकर और कुछ छोटी मोटी खरीददारी करके निकल जाते है।

पर्यटक :- उपरोक्त तीर्थयात्री की  भांति पुनरावर्ती करने के साथ साथ उनकी तमन्ना पुष्कर की प्राकृतिक सरंचना के खूबसूरत पर्यटन स्थलों के दृश्य को अपने मोबाइल कैमरे में समेटने और इन स्थलों के साथ समय बिताने की लालसा इच्छा उनको पुष्कर में रुकने को मजबूर करती है।

उपरोक्त पुष्करराज की विशेषता जिसके बारे में पुष्करवासी भलीभांति जानते है, फिर से जानकर, पढ़कर आपको बहुत अच्छा लग रहा होगा। *परन्तु एक सवाल जो कई सवाल खड़े करता है.....*

*पुष्कर वासियो को कभी गुस्सा क्यो नही आता??*

*पुष्कर क्षेत्र वासियो के लिए पुष्करराज अन्नदाता है तो अन्नदाता को लेकर चिंतित क्यो नहीं है??*

अगर देखा जाए तो पुष्कर क्षेत्र की समस्याओं के निवारण के लिए कुछ समाजसेवी लोग और कुछ संस्थाएं अपने स्तर से सरकार औऱ प्रशासन को आगाह तो करती है पर उससे निजात या *निवारण ना* के बराबर होता है।

*पुष्कर की विभिन्न समस्याओं के उचित निवारण हेतु एक बड़े आंदोलन के रूप में सभी पुष्करवासियो को मिलकर डटकर आगे आना होगा, राजनीतिक पार्टीबाजी से बाहर निकल कर धरातल पर कुछ करना होगा, नही किया गया तो .......आगामी वर्षो में पुष्कर सरोवर प्रदूषित होता रहेगा, घाटों की दशा खराब हो रही है, डेजर्ट खत्म हो चुके है जो बचे हुए है वह भी खत्म होने की कगार पर है, पहाड़ो का अवेध खनन हो रहा है,  ड्रेनेज सिस्टम पूरी तरह से बिगड़ा हुआ है, पार्क उजड़े हुए  है, अंतरराष्ट्रीय पुष्कर मेला क्षेत्र पूरी तरफ भूमाफियाओ की गिरफ्त में आ गया है,  मेला क्षेत्र को लेकर प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की सुस्ती से मेला क्षेत्र संकुचित हो गया है क्षेत्र संकुचित हो गया है,  मेले क्षेत्र के डेजर्ट खत्म हो गए कभी इन डेजर्ट से सनसेट ओर पुष्कर मेले का नजारा बहुत ही शानदार मनमोहक दृश्य हुआ करता था जो लुप्त सा हो गया है।*

पुष्करवासी कुम्भकर्ण की नींद सोए हुए है, गहरी नींद से जागकर सचेत हो जाइए नही तो सब कुछ उजड़ जाने के बाद हाथ मलते रहोगे पुष्कर के प्राकृतिक अस्तित्व को बचाने का साहस दिखाओ!!

*उक्त लेख के माध्यम से जनप्रतिनिधियों से सरकार से और प्रशासन से आग्रह, अनुरोध, विनती, निवेदन है कि पुष्कर के पर्यटन स्थलों एवं पुष्कर के भौगोलिक प्राकृतिक स्थलों को बचाने संरक्षित करने और उनका भविष्य की तर्ज पर विकास करने हेतु विशेष बजट, योजनाएं आदि को क्रियान्वित करवाने का श्रम करे।

उक्त लेख के विचार मेरे निजी है

✍️धन्यवाद
Dilip Kumar Udai
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