#03 The Udai
कुछ अल्फाज प्रस्तुत है......
दिलीप कुमार उदय
start using the phrase "physical distancing" instead of "social distancing
सोशल डिस्टेंसिंग या फिजिकल डिडिस्टेंसिंग........
दोनों में से अगर एक शब्द को चुनना हो तो क्या चुनोगे ??
तमाम आधुनिक सूचना तंत्र के माध्यम से एवं मौखिक वार्तालाप, चर्चा आदि द्वारा मन की तेज गति से भी त्वरित पूरा भारत सोशल डिस्टेंसिंग रखने का संदेश दे रहा है कि सोशल डिस्टेंसिंग रखकर ही कोरोना जेसी संक्रमित बीमारी पर विजय प्राप्त की जा सकती है।
इन दिनों 'सोशल डिस्टेंसिंग' शब्द काफी प्रचलित हो रहा है इसका प्रयोग प्रधानमंत्री से लेकर तमाम जनप्रतिनिधि अपने बयानों में और भाषणों में कर रहे हे, स्वास्थ्य मंत्रालय भी इसी शब्द का इस्तेमाल अपने दिशा निर्देशों में कर रहा है।
बेशक पूरे भारत के सभी लोग सोशल डिस्टेंसिंग की बात कर रहे है तो लोग सोशल डिस्टेंसिंग शब्द को ही चुनेंगे। क्योकि भारतीय व्यक्ति अपने आपको एक सामाजिक प्राणी कहना पसंद करता है समाज मे लोगो के साथ कुछ ज्यादा ही मेलजोल रखता है। सामाजिक रीतिरिवाजो और सामाजिक परम्पराओं का निर्वाह करता है जिसका प्रतिशत गांव कस्बे में कही अधिक है और शहरों में थोड़ा कम। जैसे ही कोरेना बीमारी ने भारत मे प्रवेश किया और लोगो को संक्रमित करना शुरू किया चारो ओर से ध्वनि गुंजित होने लगी कि सोशल डिस्टेंसिंग रखकर हम इस संक्रमित बीमारी की जंग को लड़कर हरा सकते है तब से सरकार, संस्थायें एवं जागरूक लोग सोशल डिस्टेंसिंग बरकार रखने का भरसक प्रयास कर रहे है।
देखा जाए तो हम सोशल डिस्टेंसिंग रखकर भी हम सोशल कनेक्टेड है क्योंकि हमारे पास एक बेहतर तकनीक इंटरनेट है। इंटरनेट से संचालित तमाम सोशल प्लेटफार्म से हम अपने घरों में रहकर भी सोशल कनेक्टेड है साथ ही पूरी दुनिया मे क्या हो रहा है उसकी हर पल की खबरों को लेकर हम सोशल रूप से चर्चा कर रहे है।
दया, करुणा, मित्रता और भाईचारा की बदोलत इस बीमारी से ग्रसित संकट की घडी में लोग एक- दूसरे की मदद, भूखे लोगो को भोजन आदि की व्यवस्था करके अपना *सामजिक कर्त्यव्य निभा रहे है, हकीकत ओर गहराई से देखा जाए तो यह सब कुछ सोशल डिस्टेंसिंग रखते नही फिजिकल डिस्टेंसिंग रखते हुए हम कर रहे है।
इधर World Health Organization : WHO (डब्ल्यूएचओ) ने भी लोगो का भ्रम दूर करते हुए कहा है कि नोवेल कोरोना वायरस से जंग लड़ने के लिए सोशल नही फिजिकल डिस्टेंसिंग की बात कही है। शारिरिक दूरी शब्द का उपयोग करना चाहिए क्योकी सोशल कनेक्टिविटी बेहद जरूरी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बहुत सोच विचार के बाद सोशल डिस्टेंसिंग शब्द के प्रयोग की जगह सावधानी बरते हुए फिजिकल डिस्टेंसिंग शब्द का इस्तेमाल कर रहा हे।
एक नजर इधर भी .....कोरोना वायरस की महामारी के कारण भारत में कोरेना लॉकडाउन से देश मे गरीब, श्रमिक, मजदूर वर्ग ऐसा है जिसे सिर्फ भूख, गरीबी, बेबसी और लाचारी समझ में आ रही है इस कारण उसे कोरेना जैसी बीमारी के लिए सोशल डिस्टेंसिंग या फिजिकल डिडिस्टेंसिंग जैसे शब्द और सरकार द्वारा उनके लिए की की जा रही हरसम्भव व्यवस्था के बावजूद सरकार द्वारा किये गए लॉकडाउन से बेफिक्र पैदल ही पलायन करना चाहता है, किसी भी तरह अपने गांव शहर तक पहुँचना चाहता है।
आप सोचिये कि जिस देश में जाति, धर्म, लिंग, आर्थिक स्थिति आदि के आधार पर सामाजिक दूरी बनती रही है और बना ली जाती है, वहाँ पर उन सभी लोगों को सामाजिक रूप से जोड़ने का और एक साथ एक जगह रखने का विश्वास एवं अधिकार हमें हमारा भारतीय संविधान देता हे परन्तु इस महामारी के कारण इसके बचाव का रामबाण इलाज बताया गया हे वह हे सोशल डिस्टेंसिंग.....
भविष्य में यह अवधारणा बरक़रार न रहे और न ही मजबूत हो इसलिए मेरा यह निजी विचार हे की हमें सोशल डिस्टेंसिंग की जगह फिजिकल डिस्टेंसिंग शब्द का इस्तेमाल करना चाहिए!
खेर शब्दों के झोलमझाल में ना उलझे सोशल डिस्टेंसिंग या फिजिकल डिस्टेंसिंग, लॉकडाउन जिन्हें जो शब्द समझ आये उसकी पालना करे
देश की समस्त सरकारे, मेडिकल स्टाफ, प्रशासन, पुलिसकर्मी ,सफाई कर्मी, कोरोना वोलियंटरर्स एवं अन्य सभी लोग इस प्राणघातक कोरोना बीमारी के होते हुए भी लोगो की सेवा में जी जान से जुटे हुए है उनके जज्बे ओर साहस को तहे दिल से सलाम
इस बीमारी से निजात पाने में हम होंगे कामयाब बहुत जल्द....मन में है विश्वाश पूरा है विश्वास होगी चहलकदमी फिर से एक बार।
स्वस्थ रहिये। फिलहाल घर मे व्यस्त रहिये। मस्त रहिये।
धन्यवाद
Dilip Kumar Udai
"The Udai"
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