#The Udai -21
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Monday, August 16, 2021
पुष्कर में कांग्रेस पार्टी का दंगल
Sunday, August 1, 2021
प्रशासन की लापरवाही और जनप्रतिनिधियों की सुस्ती
#The Udai -20
01 अगस्त 2021
*दिलीप कुमार उदय*✍️
*प्रशासन की लापरवाही और जनप्रतिनिधियों की सुस्ती*
पर वंग्यात्मक अल्फाज प्रस्तुत है!
*पुष्कर - अंधेर नगरी चोपट राजा*
*मानसून की पहली अच्छी बारिश से पुष्कर सरोवर में पानी की आवक से खुशनुमा हुवा माहौल पर साथ ही पुष्कर के विकास की खोखली बाते हुई बेनकाब*
*पुष्कर की बेतरीब भूमिगत विधुत लाइन से आये दिन मूकप्राणियो के करंट लगने से मौत हो जाने की खबरे....जगह जगह टूटी फूटी सडके और गंदगी के अम्बार......रही सही कसर मानसून की पहली बारिश ने विश्व प्रसिद्ध धार्मिक और पर्यटक नगरी पुष्कर के करोड़ो रूपये के विकास कार्य की पोल खोलकर रख दी है। बारिश के कारण निचली बस्तियों में हर वर्ष की भांति पानी भरने कि समस्या जस की तस और बारिश के पानी के साथ सीवरलाइन का दूषित पानी भी सरोवर में जाता है... सरकार और जनप्रतिनिधियों के दावो में लाखो करोड़ो खर्च होने के बाद भी कोई ठोस समाधान नही।*
*बेतरीब विधुत लाइन से ऐसा प्रतीत होता है कि जब कोई बड़ा हादसा होगा तब जाके जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी निद्रासन से बाहर निकलेंगे !!*
*पुष्कर के कई लोगो की जमात अपने आपको जागरूक बहुत अक्लबन्द, होशियार, आधुनिक, ऊपर तक शीर्ष नेताओं तक पहुंच और प्रशासनिक अधिकारियों से सीधा संवाद करने के दावे करने वाली पुष्कर की तमाम जमात केवल खोखली बाते करके इतिश्री करने में माहिर है।*
*यहाँ के जनप्रतिनिधि सत्ता पक्ष या विपक्ष दोनों ही राजनीतिक नफे नुकसान के मुताबिक रुख तय करते हुए हो हल्ला मचाकर जनता को दिखाने के लिए थोड़ा सा विरोध करके इतिश्री कर लेते है पंरतु समस्या जस की तस कोई समाधान नही होता है। जनता समस्याओं को लेकर केवल ढोल पिटती रहेगी।*
पुष्करवासियो का गुस्सा कभी फूटता ही नही है यहाँ के लोग नेताओ और प्रशासनिक अधिकारियों के संग फ़ोटो खिंचवाकर सोशल मीडिया पर प्रेषित करने में व्यस्त रहते है। सरकारी अधिकारी, कर्मचारीयो के आने और जाने पर उनके स्वागत -सत्कार- सम्मान के लिए पलक पावड़े बिछाए रहते है। कोंन नया आया कौन गया उसके साथ तालमेल मेलजोल बढ़ाने का सबसे बढ़िया आसान तरीका स्वागत सम्मान आदि में सबसे आगे होते है। पुष्कर की मूल समस्याओं से कोई सरोकार नही ऐसे ही है पुष्करवासी!!
जय हो पुष्करराज महाराज और पुष्करवासियो की!!
*वार्ड पार्षद की नाक के नीचे गलत बेतरीब तरीक़े से विधुत लाइन डाल दी जाती है पार्षद मूकदर्शक बनकर खुलकर विरोध करने की हिमाकत भी नही कर सकता। भूमिगत विधुत लाइन सम्बंधित तय नियम की नियमावली क्या है किसी जनप्रतिनिधि पार्षद को शायद पता ही नही होगी। बेतरीब अव्यस्थित धीमी गति से डाली जा रही विधुत लाइन, गंदगी का अंबार और टूटी फूटी सडके साफ नजर आ रही है फिर भी आंख वाले अंधे बने हुए जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों को लानत भेजिए इसके अलावा और किया भी क्या जा सकता है।*
धन्यवाद।🙏
✍️
Dilip Kumar Udai
*B.J., B.A., M.A.*
Independent Journalist,
IT Professional &
Entrepreneur
*The Udai News*
Pushkar
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Wednesday, June 30, 2021
पुष्कर के नवीन हॉस्पिटल प्रकरण पर वंग्यात्मक अल्फाज
#TheUdai-19
30 Jun 2021
पुष्कर के नवीन हॉस्पिटल प्रकरण पर वंग्यात्मक अल्फाज प्रस्तुत है
#TheUdai-19
30 Jun 2021
पुष्कर के नवीन हॉस्पिटल प्रकरण पर वंग्यात्मक अल्फाज प्रस्तुत है
✍️ दिलीप कुमार उदय
राज्य सरकार द्वारा धार्मिक एवं पर्यटक नगरी पुष्कर एवं आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की सुविधार्थ नवीन हॉस्पिटल की सौगात प्रदान की गई है। उसके लिये सरकार का धन्यवाद।🙏🙏
पिछले 1-2 माह से नवीन हॉस्पिटल निर्माण को लेकर भूमि आवंटन के समर्थन और विरोध में ज्ञापनों की बौछार और सोशल मीडिया से लेकर प्रिंट मीडिया तक रोज कुछ न कुछ गर्मजोशी से भूमि विरोध को लेकर ज्यादा खबरे प्रेषित हो रही है इन खबरों को मीडिया बखूबी कवरेज भी कर रहा है।
सारे विरोध, किंतु -परन्तु, आदि को दरकिनार करते हुए खरेखडी मार्ग पुष्कर पर नवीन हॉस्पिटल निर्माण हेतु आवश्यक प्रशासनिक एवं सरकारी आदेशानुसार कार्यवाही को अंजाम दे दिया गया है। जल्द ही निर्माण प्रक्रिया शुरू होने की कगार पर है।
उक्त नवीन हॉस्पिटल भूमि आवंटन को लेकर उपजे विवाद पर रुख/नजरिये को टटोलने का थोड़ा सा प्रयास करते है.........
🧐🧐
1. जनता का रुख:-
पुष्कर की अधिकांश जनता असमंजस (कंफ्यूज) में रहती है। खुलकर विरोध या समर्थन की बात परोक्ष रूप से नही करती है।
पक्ष और विपक्ष के जनप्रतिनिधियो/टीम लीडर द्वारा जनता को जैसे कोई हिलोरे खिलाये वैसे खा लेते है, झूम लेते है। पुष्कर की जनता इसी तर्ज से चिंतित होती है।
असल मे पुष्कर सरोवर को लेकर पुष्करवासी और जनप्रतिनिधि कितने चिंतित व्यथित है स्वयं अपनी अंतरात्मा से पूछ सकते है।
जनता को पिछले 1-2 माह से विभिन्न सूचना तंत्रों (अख़बार, सोशल मीडिया आदि) द्वारा यह अहसास दिला दिया गया है कि यह मुद्दा पुष्कर सरोवर, राजनीतिक प्रतिष्ठा, गुटबाजी, भू -कारोबारी व्यवसायिक नजरिये वाला है, शायद इसलिए यह मामला इतना तूल पकड़ता गया है। वैसे किसी भी मुद्दे को किस करवट मोड़ना है यह मीडिया एवं राजनीतिज्ञ बखूबी जानते है।
2. जनप्रतिनिधियो का रुख:-
पुष्कर नगरी के विकास हेतु बहुत अधिक चिंतित रहते है। इनकी तो बात ही निराली है यह चाहे तो पुष्कर की हवा का रुख बदल दे!! 🤨🤨
कहने को तो जनप्रतिनिधि होते है असल मे पार्टीप्रतिनिधि होते है।😉😉
खेर इनकी अपनी मजबूरी इनके हाथ राजनीतिक पार्टियों ने बांध रखे है।
( राजा बोला रात है
रानी बोली रात है
मंत्री बोला रात है
संतरी बोला रात है
सब बोले रात है
यह सुबह सुबह की बात है...)🤔🤔
इसी तर्ज पर राजनीतिक पार्टियों के शीर्ष नेताओं की अनुपालना में कटिबद्ध रहते है।
आप गलत न समझे देखिए शीर्ष नेता है तो सही निर्णय ही लिया होगा ना उसी तर्ज पर कटिबद्ध रहते है। 😊😊
प्रायः जनप्रतिनिधि टीम के जो सदस्य होते है वे वर्तमान और भविष्य में होने वाली राजनीतिक नियुक्ति एवं भागीदारी के लिए अपने शीर्षस्थ नेताओं के एक इशारे या आश्वासन पर यह अपना रुख तय करके चिंतित होते है।
यदि स्थानीय निकाय और राज्य में विपरीत पार्टियां नेतृत्व में होती है तब स्थानीय सत्तारूढ़ पार्टी अपनी दाल अच्छे से नही गला पाती है........तो इसके आगे की बात आप समझ सकते है!
🙂🙂 यह नेतृत्व उसी हिसाब से चिंतित रहता है।
3. प्रशासन का रुख
इनका तो मिजाज बड़ा ही निराला है साहब यह सरकार के आदेश की पालना में पलक पाँवड़े बिछाए रहते हैं। इधर आदेश उधर कार्यवाही खेर यह एक अलग विषय है कि आदेश की पालना में कार्यवाही तुरंत प्रभाव से करनी है या फिर...........आप समझ गए होंगे।
वैसे इनका रुख जबरदस्त होता है ....बनी बनाई हवा का रुख मोड़ने का दमखम रखते है। क्योकि इनके पास नियमावली का बस्ता भरा हुआ है। बस्ते का प्रयोग कब कैसे किस तरह करना है यह बखूबी जानते है। 📖🔍🖋️ यह जनता के हित हेतु पुष्कर नगरी को लेकर सदैव चिंतित रहते है!!
4.व्यवसायी नजरिये वाले लोगो का रुख
इनका प्रथम उद्देश्य प्रोफिट (लाभ) अर्जित करना है इनको जहां लाभ नजर आएगा उसी अनुरूप समर्थन या विरोध का तालमेल बिठाकर दोनों हाथों में लड्डू लेने की फिराक में रहते हैं।उसी तर्ज पर यह पुष्कर नगरी के लिए चिंतित रहते है।
5. सामाजिक संगठनो का रुख :- सामाजिक संगठन
समाज के लिए बेहतर कार्य करते है परंतु अक्सर इनके पीछे अदृश्य रूप से एवं प्रत्यक्ष रूप से राजनीतिक, सामाजिक, प्रशासनिक और आर्थिक ताकतो का समर्थन मौजूद रहता है। यह इनके मुताबिक संगठन
हितार्थ अपना रुख मोड़ लेते है या थाम लेते है। उसी तर्ज से यह भी पुष्कर नगरी के लिए बहुत चिंतित है।
6. सामाजिक कार्यकर्ताओं का रुख:-समाज सेवा और सहायता में इनका योगदान भी अहम होता है परंतु सामाजिक कार्यकर्ता स्वयं को वर्तमान एवं भावी राजनीति में अहम हिस्सेदारी की मंशा सदैव रखता है इसमें कोई शक या अतिशयोक्ति नही है। सामाजिक कार्यकर्ता बनने की पीछे मूल भावना सामाजिक सेवा के साथ साथ राजनीतिक पद या प्रतिष्ठित पद प्राप्त करना इनके उद्देश्य में निहित होता है तो यह अपना रुख समर्थित जनता की भावनाओ और मौजूदा परिस्थितियों को भाप कर अपना रुख तय कर लेते है।
यह सर्वाधिक रूप से पुष्कर नगरी हेतु चिंतित रहते है।
उपरोक्त बताये गए रुख अनुरूप आप समझ सकते है कौन किस रुख मुताबिक...... पुष्कर नगरी हेतु चिंतित है।
वैसे लोकतंत्र व्यवस्था में किसी विषय पर असहमति/विरोध या समर्थन करने का उचित अधिकार संविधान ने सभी लोगो को प्रदान किया है। इस पूरे घटनाक्रम में पुष्कर के आसपास के सभी गांव एवं पुष्कर कस्बे के सभी जनप्रतिनिधियों से लेकर अनेक
संगठन एवं कार्यकर्ताओ ने हिस्सा लेकर ज्ञापन,आपत्तियां, विरोध एवं समर्थन आदि के माध्यम से अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई परन्तु इन सबमे सर्वाधिक चर्चा सामाजिक कार्यकर्ता अरुण जी पाराशर एवं रवि बाबा पार्षद के विरोध की रही है। मीडिया ने भी इनको भरपूर तरिके से कवरेज प्रदान किया है।
सामाजिक कार्यकर्ता अरुण जी पाराशर ने भूमि आवंटन विरोध के लिए प्रयुक्त हो सकने वाले महत्वपूर्ण दस्तावेज, RTI दस्तावेज, पत्र, नक्शे, न्यायालय फैसले आदि एवं अपने तर्को को सोशल मीडिया पर लगातार प्रस्तुत कर रहे है इसलिए लोगो मे इस मुद्दे को लेकर बहुत चर्चित हो रहे है।
दूसरी और समर्थन करने वालो का कुनबा बहुत बड़ा है कुछ जनप्रतिनिधियों को छोड़कर कांग्रेस और भाजपा के सभी जनप्रतिनिधि खरेखडी रोड पर बनने वाले हॉस्पिटल पर सहमति प्रदान कर चुके है।
इस तमाम प्रकरण एवं अन्य माध्यम से एवं सुनने में आया है की कांग्रेस के वरिष्ठ नेता धर्मेंद्र जी राठौड़ का पुष्कर की राजनीति में नया प्रवेश हो गया है। नवीन हॉस्पिटल भूमि आवंटन से लेकर निर्माण तक कि कार्यवाही में इनका अहम योगदान बताया जा रहा है। कांग्रेस पार्टी में दमखम एवं मुख्यमंत्री तक अपना संवाद तुरंत प्रभाव से पहुचाँने का दम रखते है।
उक्त लेख में प्रयुक्त विचार/अल्फाज मेरे निजी है।
धन्यवाद🙏🙏
✍️
Dilip Kumar Udai
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Thursday, June 3, 2021
पुष्कर में अव्यवस्थित भूमिगत विधुत केबल और उधड़ी सड़के।
Wednesday, June 2, 2021
ऑब्लाइज
TheUdai -17
02-06-2021
*ओब्लाइज*
*दिलीप कुमार उदय*
✍️
चलो आज *ओब्लाइज* पर कुछ व्यंग्यात्मक अल्फाज पेश करते है:-
ओब्लाइज (Oblige) जिसका हिंदी में भावार्थ है :- *उपकृत (एहसानमंद, कृतज्ञ), आभारी, अनुगृहित आदि* हिंदी वाला रहने देते है, इंग्लिश वाला ही प्रयुक्त कर लेते है यह कुछ ज्यादा प्रचलन में है - *ओब्लाइज*
गांव, कस्बे, शहर, प्रदेश क्या पूरे देश में यह शब्द बहुत ही प्रचलित है यह एक ऐसा शब्द है जिसके द्वारा बरसो से रुके काम हो या अन्य कोई जटिल या सामान्य कार्य हो, किसी योजना, सेवा आदि का तुरंत लाभ प्राप्त करना हो या लागू करना हो आदि आदि.......इन सबके लिए *ओब्लाइज एक ऐसा शब्द है जिसमे इतनी ताकत है की सारे अटके एवं मनमर्जी वाले कार्य तुरंत प्रभाव से हो जाते है।* बशर्ते ऑब्लाइज होने और करने वाली पोजिशन की केटेगरी में आप आते हो तो यह ताकत बखूबी काम करती है।
जब हम चारो और नजरे दौड़ाते है देखते है तो ऐसा *प्रतीत होता है कि प्रभावशाली ऑब्लाइज कुनबा बड़े प्यार और ठाट से आपस मे एक दूसरे को अपने -अपने क्षेत्र अनुरूप ओब्लाइज करते है।* देर सवेर इन सभी को आपस मे बहुत काम पड़ता रहता है ....एक दूसरे से!! क्योकि *पता नही किसने किसकी किस तरह नब्ज दबा रखी है* नब्ज छोड़ते ही ऑक्सिजन का प्रवाह कम हो जाता है ऒर ऑक्सीजन की कमी से क्या हो जाता है, सब जानते हो कितना भयंकर है।
*कहने का तात्पर्य यह है कि सरकार के माध्यम से आमजन (जनता) तक पहुँचने वाली सेवायें/ योजनाए आदि के तय नियम जिससे सरकार एवं जनता के मध्य विश्वाश ओर समर्थन की कड़ी जुड़ी होती है उस कड़ी को तोड़ने -मरोड़ने ओर मसलने का कृत्य ऑब्लाइज कुनबा अपने मुताबिक नियमो की अवहेलना करके, जनता को अंगूठा दिखा कर, जनता को यह अहसास दिलाते है कि हमे ओब्लाइज करना पड़ता है! क्या करे ??*
अब आप सोच रहे होंगे कि ऑब्लाइज कुनबा क्या बला है तो आप थोडा सा दिमाग पर जोर लगाए आपको पता चल जाएगा कि यह ऑब्लाइज कुनबा कोंन है......????
*यदि आप खास प्रभावशाली ऑब्लाइज कुनबे की श्रेणी में आप आते हो तो ऑब्लाइज कुनबा आमजन (जनता) को साइड में करके आपको पहले प्राथमिकता देगा!!* यह वर्तमान सिस्टम की एक हकीकत है!!
इस ओब्लाइज के चक्रव्यूह में *आमजन -असहाय, मजबूर, विवश, निराश, हताश* - (जितने भी ऐसे शब्द है उन सभी को स्मरण करते हुए निरन्तर पढ़ सकते है) होकर सबकुछ सहकर आगामी चुनाव की तारीख को टटोलने में लग जाता है कहता फिरता है चुनाव आने दो *मजा चखा दूंगा अब आमजन मजा केवल चुनाव में ही चखा सकता है बाकी समय उसकी इतनी औकात कहाँ है!*
कई बार तो असली हकदार को मिलने वाला लाभ/ सेवा/योजना का हक कोई और पहले प्राप्त करके चला जाता है, इस प्रका से *हक मारना मानवीय मूल्यों के विपरीत है।*
*कलम की ताकत से सच का दृश्य दिखाने पर तिलमिलाहट तो मचेगी, गुस्सा भी आएगा। तिलमिलाहट और गुस्से का जवाब कलम से प्रस्तुत होता रहेगा :-*
उक्त व्यंग्य में कही गई बात मौजूदा सिस्टम का हिस्सा बन चुकी है! व्यंग्य के माध्यम से पुनः रिफ्रेश किया गया है। व्यंग्य को कोई भी व्यक्तिगत रूप से न ले, यदि कोई लेना चाहे तो फिर उसकी इच्छा।😊😊
धन्यवाद।🙏
लेख में प्रयुक्त विचार मेरे निजी है।
✍️
Dilip Kumar Udai
*B.J., B.A., M.A.*
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#The Udai News -34 21 अगस्त 2024 ✍️ दिलीप कुमार उदय धार्मिक एवं पर्यटन स्थल पुष्कर में भारत बंद का दिखा सफल असर आरक्षण में उप-वर्गीकरण के फै...